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इंद्र लोग में बैठे स्वामी अब सुन भी लो ये अरज हमारी, अब भेज भी दो मेघदूतो को बरसाओ इस वसुधा पे पानी।
सूखी सूखी ये धारा इंतजार में है पहली बारिश के,मृगतृष्णा में तपती मरुभूमि ताके नभ को व्याकुल नैनों से।
पुकारती है डाली डाली कब होंगी वो पहली बारिश,मोर, पपीहा बैठे इस आस में कब होंगी वो पहली बारिश।
इंद्र लोग में बैठे स्वामी अब सुन भी लो ये अरज हमारी,अब भेज भी दो मेघदूतो को बरसाओ इस वसुधा पे पानी।
अतृप्त हो चुकी आत्मा को तृप्ति का अहसास कराओ,सूखी हुई इस धारा को अमृत का रस पान कराओगे।
मूल चित्र : Pexels
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