कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म क्या है और आज हमें इसकी ज़रुरत क्यों है?

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म यानि अंतर्विरोधी नारीवाद यह कहता है कि सिर्फ एक समुदाय या फिर एक जाति की महिलाओं की समस्याओं की बात करना असल नारीवाद नहीं है।

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म यानि अंतर्विरोधी नारीवाद यह कहता है कि सिर्फ एक समुदाय या फिर एक जाति की महिलाओं की समस्याओं की बात करना असल नारीवाद नहीं है।

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म जिसका हिंदी अर्थ है ‘अंतर्विरोधी नारीवाद’, ये शब्द थोड़ा कठिन है और शायद इसीलिए हम इसके बारे में बात ही नहीं करते हैं।

हम सब अपनी सुविधानुसार फेमिनिज्म का शब्द का प्रयोग अपने रोज़ के जीवन में करते हैं लेकिन हम में से कोई भी ये जानने का कष्ट नहीं करता कि आखिर फेमिनिज्म क्या है

अंतर्विरोधी (Intersectionality) शब्द नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और प्रोफेसर किम्बरले क्रेंशॉ द्वारा गढ़ा गया था। क्रेशॉ कहती हैं, “सभी असमानता समान नहीं होती हैं,” एक अंतर्विषय दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि लोगों की सामाजिक पहचान भेदभाव के जटिल अनुभवों को पैदा कर सकती है। हम जाति असमानता के बारे में बात करते हैं, जो लिंग, वर्ग, कामुकता या आप्रवासी स्थिति के आधार पर असमानता से अलग है।

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म क्या है

फेमिनिज्म सिर्फ एक शब्द नहीं है इसके बहुत से प्रकार हैं उनमें से एक है अंतर्विरोधी नारीवाद या इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म।

“यह किसी भी संदर्भ में असमानताओं की गहराई और उनके बीच संबंधों को समझने के लिए अत्याचार के अतिव्यापी, समवर्ती रूपों का अनुभव करने वालों की आवाज़ों को केंद्र में रखता है।”

उदाहरण के लिए, जाति, वर्ग और लिंग एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और दोनों को प्रतिच्छेद करते हैं। जाति और लिंग परस्पर जुड़े हुए हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, जाति, वर्ग, नस्ल, लिंग, जातीयता, क्षमता जैसे उत्पीड़न के विभिन्न अक्ष हैं, जो इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं। यह सिद्धांत मूल रूप से ब्लैक फेमिनिज्म से निकला है।

अपने अस्तित्व के दौरान, नारीवाद ने मुख्य रूप से सफेद, मध्यम वर्ग की महिलाओं द्वारा अनुभव किए जाने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

अन्तर्विरोधी नारीवाद, नारीवाद के प्रमुख विचार को चुनौती देता है जो कि अति श्वेत / उच्च-वर्ग / उच्च-जाति / समर्थ / सीस विषमलैंगिक है और जो हाशिए के दृष्टिकोण को ध्यान में नहीं रखता है।

उदहारण के तौर पर यदि समाज का एक वर्ग वह है जो महिलाओं को पढ़ने के लिए भी घर से बहार नहीं निकलने देता और वहीं दूसरी ओर एक वर्ग वह है जो महिलाओं को पढ़ने की आज़ादी देता है, लेकिन घूमने की नहीं तो इन दोनों वर्गों के साथ होने वाला अन्याय अलग-अलग है और इन दोनों को अलग नज़रिये से देखना होगा तभी हल प्राप्त होगा। इसलिए इनका नारीवाद भी अलग होगा।


नारीवादी को तब तक पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता है जब तक कि हम यह नहीं समझते कि जाति, वर्ग, लिंग, क्षमता, एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं।

इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म/अंतर्विरोधी नारीवाद की आवश्यकता क्यों है?

नारीवाद एक ऐसी चीज है जो विभिन्न वर्ग / जाति / नस्ल और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के अनुभवों और विभिन्न बहुपक्षीय पहलुओं को दर्शाता है। अनुभव भी उनके लिंग, आयु, आदि के आधार पर भिन्न होते हैं।

अंतर्विरोधी नारीवाद यह कहता है कि सिर्फ एक समुदाय या फिर एक जाति की महिलाओं की समस्याओं की बात करना असल नारीवाद नहीं है, असल नारीवाद वो है जहाँ हर प्रकार की महिला की समस्याओं की बात की जाए और सभी की समस्याओं को देखने का नजरिया अलग होना चाहिए।

जैसे एक समुदाय में महिलाओं को सर ढककर रखना आवश्यक है वहीं दूसरे समुदाय में उनको सर खुला रखने की तो आज़ादी है लेकिन पाश्चात्य कपड़े पहनने की आज़ादी नहीं है तो नारीवाद की आवश्यकता तो दोनों जगह है लेकिन एक ही दृष्टिकोण से समाधान निकलना असंभव है।

हमें यह समझने की जरूरत है कि कैसे सभी उत्पीड़न एक-दूसरे से अलग हैं और अपने स्वयं के संदर्भों में अद्वितीय हैं। जब हम इस अंतर को समझते हैं, तो हम समझते हैं कि हाशिए के उत्पीड़न को दूर करने के लिए अलग-अलग जांच की तत्काल आवश्यकता क्यों है।

इंटरसेक्शनल का एक महत्पूर्ण पहलू ‘विशेषाधिकार’ है

जब हम अंतर्विरोध की बात करते हैं तो एक महत्वपूर्ण पहलू जिसे याद रखना आवश्यक है, वह है ‘विशेषाधिकार’। विशेषाधिकार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह इंगित करना बहुत आसान है कि लोगों को कैसे और क्यों उत्पीड़ित किया जाता है लेकिन यह बताने के लिए बहुत हिम्मत लगती है कि उत्पीड़क कौन है और कैसे समाज में उनकी विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति के कारण उनका प्रभुत्व विभिन्न तरीकों से जारी है।

विशेषाधिकार से अभिप्राय है जब कुछ महिलाएं जिनकी स्तिथि समाज में ऐसी है की वो नारीवाद की बात कर सकती हैं तो उनको यह ध्यान रखना चाहिए की वो किसी प्रकार की सोच को बढ़ावा ना दें और उनका आंदोलन किसी एक ही वर्ग, धर्म आदि में बंधा न रहे।

नारीवादी मुद्दों पर जहां हम विशेषाधिकार रखते हैं, यहाँ उन महिलाओं को सुनना महत्वपूर्ण है जो ऐसे अधिकार नहीं रखती हैं। उनके अनुभवों को सुनने के लिए, एक अधिक जटिल लेंस के माध्यम से दुनिया को देखने और उन लोगों की आवाज़ उठाने के लिए जिनके पास कम शक्ति है।

अंतर्मुखता एक शब्द है जिसका उपयोग यह वर्णन करने के लिए किया जाता है कि भेदभाव के विभिन्न कारक हैं और किसी के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। नारीवाद के प्रति अंतर्विरोधी को जोड़ना आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लैंगिक समानता की लड़ाई को समावेशी बनाने की अनुमति देता है।

मूल चित्र : Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

23 Posts | 92,609 Views
All Categories