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जानिये गिलोय के फायदे, नुकसान और इसे अपने घर में उगाने का तरीका!

अमृता यानि गिलोय के फायदे आप जानते हैं पर क्या ये जानते हैं कि चाहे आपका बड़ा बग़ीचा है या फिर एक बालकनी, इम्यूनिटी बूस्टर यह औषधीय पौधा आप भी लगा सकते हैं!

अमृता यानि गिलोय के फायदे आप जानते हैं पर क्या ये जानते हैं कि चाहे आपका बड़ा बग़ीचा है या फिर एक बालकनी, इम्यूनिटी बूस्टर यह औषधीय पौधा आप भी लगा सकते हैं!

करोना के दौर में स्वास्थ्य सम्बंधी पहलू को भी हम सबने क़रीब से देखा और समझा कि सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य ही है। अब अगर इस धन कुबेर की चाबी आसानी से मिल जाए तो क्या लेना चाहेंगे आप?

जी हाँ! तो ये अमृता वहीं चाभी है। अमृता यानी गिलोय! आयुर्वेदिक भाषा में ‘गड़ूची’ एक ऐसा औषधीय पौधा जिसके लिए कह सकते हैं कि ‘हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा’। आपका बड़ा बग़ीचा है, छोटा लॉन है या फिर एक बालकनी है, इम्यूनिटी बूस्टर यह औषधीय पौधा आप भी लगा सकते हैं। इस वर्षा के मौसम में गिलोय अमृत से कम नहीं।

इसका वानस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है। गर्मी के मौसम में इसमें छोटे पीले रंग के फूल गुच्छे में लगते हैं। इसके बेर जैसे फल पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके तने (काण्ड या डंडी) पर गाँठ जैसे उभार होते हैं। इसके तने में पाया जाने वाला कड़वे स्वाद का स्टार्च जिसे गिलोय सत्व कहते हैं, मुख्य औषधि होता है और इसी में हैं गिलोय के फायदे। 

गिलोय की पत्ती, तना, जड़ सभी आयुर्वेदिक दवाओं में प्रयोग की जाती है। इस की तासीर गर्म होती है। गिलोय एंटीपायरेटिक, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी आर्थेटिक, एंटी एजिंग एजेंट और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर एक बेल यानि लता है। गिलोय में मिनरल, अमीनोएसिड, कैल्शियम और फासफोरस और स्टार्च जैसे तत्व पाए जाते हैं। गिलोय को एक एडेप्टोजेनिक जड़ी-बूटी के रूप में भी  इस्तेमाल किया जाता है जो मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है। ये भी हैं गिलोय के फायदे!

        

गिलोय घर में लगाने का तरीका

एक चौथाई पत्ती की खाद, आधी गोबर की खाद और एक चौथाई मिट्टी का मिश्रण बना लें। फिर मिश्रण को एक 10 इंची गमले में डालें। अब गिलोय के तने का 5 से 6 इंच का एक टुकड़ा लें, उसके एक सिरे को नीचे से तिरछा काटें। अब इसे मिट्टी में लगा दें। थोड़ा पानी दे दें।

 15 से 20 दिनों के अंदर इसमें कोपलें आ जाती हैं। देखते-देखते पान के पत्ते के आकार के पत्ते आने लगते हैं, क्योंकि यह एक लता( क्रीपर )है तो इसे किसी सहारे पर चढ़ा दें। धीरे-धीरे जब इसका इतना मोटा होने लगता है तो इससे और पौधे भी बनाए जा सकते हैं।

यदि नीम के पेड़ का सहारा हो तो कहने ही क्या क्योंकि नीम गिलोय सर्वोत्तम गिलोय है।  गिलोय जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को अपने में ले लेती है। 

शुद्धता की पहचान कैसे करें

शुद्धता की पहचान के लिए गिलोय के क्वाथ को जब आयोडीन के घोल में डाला जाता है तो उसका गहर रंग गहरा नीला हो जाता है।

कहां से खरीदें

कटिंग आप अपने घर के पास कि किसी नर्सरी से या ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं और अगर आपके मित्र के पास उपलब्ध है तो कहने ही क्या!

गिलोय का काढ़ा कैसे बनेगा

एक ग्लास पानी उबलने को रखें उसमें 2 इंच गिलोय के तने के टुकड़े को कूटकर डाल दें। एक कप रह जाने पर गुड़ मिलाकर छान लें। आप चाहे तो एक चौथाई चम्मच शहद भी मिला सकते हैं । खाली पेट इसका सेवन करें। 

बेहतर स्वाद के लिए पांच तुलसी पत्ते, आधा इंच अदरक, तीन से चार काली मिर्च, दो लौंग, आधा इंच दालचीनी का टुकडा डालकर भी डाल कर उबाल सकते हैं, स्वाद बढ़ जाएगा।

गिलोय के फायदे

  • यह सामान्य कमजोरी, बुखार, पीलिया, पेचिश, गोनोरिया, मूत्र रोग, हेपेटाइटिस और एनीमिया जैसी अनगिनत बीमारी के इलाज में भी इस्तेमाल होता है।
  • सूजन कम करने के गुण के कारण गठिया में उपयोगी है।
  • गिलोय का तना पानी में घिसकर गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में दो बार डालने से कान की मैल बाहर निकल जाती है।
  • गिलोय के जूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपच और बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
  • गिलोय में शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के खास गुण के कारण यह डायबिटीज के उपचार में कारगर है।
  • गिलोय को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से याददाश्त बढ़ती है। 
  • लंबे समय से चलने वाले बुखार को जड़ से खत्म करने में गिलोय रामबाण है ।
  • शरीर में ब्लड प्लेटलेट की संख्या बढ़ाता है जिससे डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है।
  • इसके रोजाना प्रयोग से मलेरिया से बचा जा सकता है।   
  • गिलोय ताजगी लाने वाले तत्व के रूप में भी कार्य करता है इसे ग्रीन टी की तरह भी प्रयोग कर सकते हैं, शरीर में सफेद सेल की कार्य क्षमता बढ़ती है।
  • शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारू बनाता है।
  • बैक्टीरिया जनित रोगों से सुरक्षित करता है।
  • प्रजनन क्षमता बढ़ाता है।
  • सांस संबंधी रोगों दमा और खांसी को भी दूर करता है।
  • हाथ-पैर में जलन या झुनझनी की समस्या में गिलोय की पत्तियों को पीसकर तलवों और हथेलियों में लगाने से आराम मिलता है।
  • घी के साथ गिलोय लेने से वात रोग, गुड़ के साथ लेने से कब्ज, खांड के साथ पित्त, शहद के साथ लेने से कफ की शिकायत दूर होती है।
  • अस्थमा के निदान में और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी गिलोय अद्भुत है।
  • गिलोय रक्तशोधक और रक्तवर्धक है।
  • हल्दी को गिलोय के पत्तों के रस के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है।
  • हरड़, बहेड़ा, गिलोय और आंवले के काढ़े में शुद्ध शिलाजीत पका कर खाने से मोटापा बढ़ना रुक जाता है। 3 ग्राम गिलोय, 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता जाता है।
  • गिलोय फल चेहरे पर मलने से चेहरे के मुहाॅसे और झाइयां दूर हो जाती है।
  • सफेद दाग के रोग, उल्टी, मलेरियाजनित सिर दर्द में गिलोय का काढ़ा लाभप्रद है।

 गिलोय से नुकसान

गिलोय के फायदे तो अनेक हैं लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी हैं।

  • मात्रा से अधिक सेवन करने पर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के लक्षण जैसे ल्यूपस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस का व्यक्ति शिकार हो सकता है।
  • गर्भवती और स्तनपान करने कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन इसकी गर्म तासीर के कारण कम करना चाहिए ।
  • यदि सर्जरी हुई है या सर्जरी करवानी है तो भी इसका इस्तेमाल ना करें अन्यथा घाव भरने में समय लगता है।
  • यदि पेट में कोई समस्या है तो भी गिलोय के सेवन से बचना चाहिए गिलोय कब्ज भी पैदा करता है
  • ब्लड शुगर के लेवल कम होने पर भी गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए वरना वह और कम हो जाता है।
  • पांच साल से छोटे शिशु को गिलोय बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं देनी चाहिए ।

तो सजा डालिए अपनी बगिया या बालकनी को इस बेहतरीन औषधि से! यदि आपके घर के सामने कोई पार्क है तो यह बहुमूल्य औषधि अपने पार्क में जरूर लगाएं। दूसरों तक भी इसका लाभ पहुंचाएं।

आप सब स्वस्थ रहें! खुश रहें! यही कामना है मेरी!

 मूल चित्र : Canva Pro 

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