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बेटियां…

एक घर को रोशन कर फिर दूसरे घर विदा हो जाती बेटियां। सबको अपना बना फिर परायी हो जाती बेटियां। कैसी रीत है ये बनाई...

एक घर को रोशन कर फिर दूसरे घर विदा हो जाती बेटियां। सबको अपना बना फिर परायी हो जाती बेटियां। कैसी रीत है ये बनाई…

कितनी खूबसूरत होती है बेटियां।
हिरणी सी चंचल, तितली सी नाजुक बेटियां।
जिस घर होती वहाँ हर पल रखती रौनक ये बेटियां।

लाखों मन्नतो से मिलती बेटियां।
ख़ुद का ही नहीं दूसरा घर भी रोशन करती बेटियां।
माँ-बाबा का दिल का टुकडा बेटियां।
दिलों को जोड़ती, घरों को बनाती बेटियां।
कभी मुस्कराती, कभी झुंझलाती, कभी खुद माँ बन सबका ख्याल रखती बेटियां।
एक घर को रोशन कर फिर दूसरे घर विदा हो जाती बेटियां।
सबको अपना बना फिर परायी हो जाती बेटियां।
कैसी रीत है ये बनाई, जिस माँ बाबा ने जन्म दिया उनकी ही नहीं कहलाती बेटियां।

मूल चित्र :  Milan Manoj via Pexels

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