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हमारा न सही लेकिन नेग का तो मान रखें ननद जी…

रिया का दिल धक् धक् करने लगा। आज तक ऐसे किसी को ज़वाब नहीं दिया था लेकिन खुद पर गर्व भी हुआ कि खुद को दब्बूपन से आजाद किया उसने...

रिया का दिल धक् धक् करने लगा। आज तक ऐसे किसी को ज़वाब नहीं दिया था लेकिन खुद पर गर्व भी हुआ कि खुद को दब्बूपन से आजाद किया उसने…

आज रिया बहुत ख़ुश थी पहली बार उसने अपने स्वाभिमान के लिये कदम उठाया था। रिया स्वाभाव से सीधी और थोड़ी दब्बू थी। सबके साथ अच्छे से रहती ससुराल में लेकिन उसके स्वाभाव के कारण सब उसका फायदा उठाते। सब काम निकलवाते और उसे नीचा भी दिखा देते थे। ख़ास कर रिया की ननद, रिया से चीज़े भी लेती और कोई पूछता तो कहती, “बहुत कंजूस है भाभी, कुछ लेन देन नहीं करती।” जबकि रिया हमेशा अपनी ननद से बहुत अच्छे से लेन देन करती।

दुखी हो जब रिया अपने पति के पास जाती तो रवि (रिया के पति) भी रिया को समझाते, “देखो रिया तुम बच्ची नहीं हो। मैं मानता हूँ मेरे घर वाले गलत करते हैं लेकिन खुद के लिये स्टैंड तो तुम्हे ही लेना होगा। मैं तुम्हारे लिये हमेशा नहीं बोल सकता। जब जो गलत करें उसे तभी टोको।” रिया बेचारी चुप रह जाती।

इस बार भी वही हुआ जो हर बार होता था रिया के बेटे के मुंडन में पूरा परिवार इक्कठा हुआ था। मुंडन में जाने से पहले ही रिया ने अपनी ननद रेखा से पूछा, “दीदी आपको क्या नेग चाहिए?”

“भाभी आपकी चॉइस मुझे नहीं पसंद तो आप मुझे पैसे ही भिजवा देना। मैं ले लुंगी गोल्ड और कपड़े”, रेखा ने ज़वाब दिया।

जब रिया ने रवि को बताया कि रेखा ने बोला है पैसे ही भिजवा दो,  तो दोनों पति पत्नी ने विचार कर तीस हजार भिजवा दिये रेखा को।

आज मुंडन के टाइम जब पूरा परिवार इक्कठा हुआ तो छोटी बुआ ने पूछा, “रेखा क्या नेग दिया भाभी ने बेटे के मुंडन पर।”

तपाक से रेखा ने कहा, “अरे क्या देंगे ये दोनों कंजूस कहीं के…!” रेखा के कहते ही सारी औरते हंसने लगी।

अपमानित रिया ने रवि को देखा रवि भी वही खड़ा सुन रहा था। अपना अपमान तो रिया ने बहुत झेला था पर अपने पति का नहीं सह पायी और तुंरत रेखा को सबके सामने ही कहा, “ये क्या दीदी आपने उन तीस हजार रूपये का तो बताया ही नहीं सबको जो हमने आपको नेग में भेजे हैं, ताकि आप अपने पसंद का गोल्ड और कपड़े ले लो क्यूंकि मेरी पसंद आपको पसंद नहीं।”

एक सांस में रिया ने बरसों से दबी भड़ास निकाल दी। रिया का दिल धक् धक् करने लगा आज तक ऐसे किसी को ज़वाब नहीं दिया था लेकिन खुद पर गर्व भी हुआ कि खुद को दब्बूपन से आजाद किया उसने।

सब चुप हो रेखा को देख रहे थे। इस तरह के ज़वाब की आशा रिया से रेखा को नहीं थी। सब रेखा को कहने लगे, “जब भाई भाभी नेग भिजवाते है तो उसका मान भी रखो इस तरह अपमानित क्यूँ करती हो?”

शर्मिंदा हो रेखा पूरे समारोह में चुपचुप रही। रवि आज बहुत ख़ुश था क्यूंकि उसकी सीधी सी रिया ने खुद के लिये अपने आत्मसम्मान के लिये बोलना सीख लिया था और खुद को दब्बू रिया के चोले से आजादी दी थी।

मूल चित्र : shylendrahoode from Getty Images Signature via CanvaPro

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