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दो भागों में बँट जाते हैं

मन मर्ज़ी से, सीधी मांग निकाले, मस्ती में मुक्त, झूमते, उड़ते कुँवारे धुले-धुले और खुले-खुले बाल।

मन मर्ज़ी से, सीधी मांग निकाले, मस्ती में मुक्त, झूमते, उड़ते कुँवारे धुले-धुले और खुले-खुले बाल।

कभी आड़ी-टेढ़ी तो कभी
मन मर्ज़ी से, सीधी मांग निकाले,
मस्ती में मुक्त, झूमते, उड़ते कुँवारे
धुले-धुले और खुले-खुले बाल।

फिर नियत की गई जगह पर
सटीक-स्थिर मांग के रूप में
दो भागों में बंट जाते हैं।

और उनकी पसंद की चोटी
या मुट्ठी भर जूड़े में, बस
सिमट कर रह जाते हैं।

मूल चित्र: Bhoopal M via Pexels

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