कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

अब तू अपनी सास की झूठी तारीफ करनी बंद कर…

तू झूठी तारीफ करना बंद कर, आज तक जब भी मैं तेरे घर आई हूं, तुझे ही काम करते देखा है। वो लोग तो सिर्फ बैठ के गप्पें ही मारती मिलीं मुझे। 

तू झूठी तारीफ करना बंद कर, आज तक जब भी मैं तेरे घर आई हूं, तुझे ही काम करते देखा है। वो लोग तो सिर्फ बैठ के गप्पें ही मारती मिलीं मुझे। 

“रक्षा सुन मैं तेरे घर शाम तक आ जाऊंगी, फिर हम साथ चलेंगे। करवाचौथ की शॉपिंग के लिए। बोल कितने बजे आऊँ?” रक्षा की दोस्त आरती ने फोन पर बात करते हुए पूछा।

“आरती तुझे मैं माँजी से पूछ कर थोड़ी देर बताती हुँ”, रक्षा ने कहा।

तभी आरती ने मज़ाक करते हुए कहा, “कौन सी सास से? बहन ये भी तो बता दे? मुझे तो तेरी हालत देख के वो गाना याद आ जाता है, ”रजिया गुंडों में फंस गई” और तू बेचारी तीन सासों  दादी सास, चाची सास और खुद की सास के बीच फंस गयी। हा हा…”

“चुपकर! तू भी ना कुछ भी बोलती है! ऐसा कुछ भी नहीं जैसा तू समझ रही है। सब बहुत अच्छे हैं।” रक्षा ने कहा।

“‘अरे यार, मैं तो मज़ाक कर रही थी। ठीक है जो तुझे अच्छा लगे। अच्छा तू मुझे शाम तक मैसेज डाल देना। मैं तब तक काम निपटा लूँ फटाफट, क्योंकि मुझे तो सब कुछ ही करना है। तू वहाँ सासों के बीच अटकी है और यहाँ काम को देखकर मेरी  सांस अटके पड़ी है। चल रखती हूं। बाय!”
कहते हुए आरती ने फोन रख दिया।

आरती रक्षा की कॉलेज की दोस्त थी जो अभी कुछ महीने पहले ही उसकी कॉलोनी में रहने आयी थी। शाम को दोनों बज़ार गयीं। तो आरती ने कहा, “रक्षा कुछ खाने के लिए पैक करा लेते हैं, वरना घर जा के खाना तो नहीं बन पाएगा मुझसे।”

रक्षा ने कहा, “ठीक है तुम कराओ। तब तक मैं मेडिकल स्टोर से दादी जी की दवा भी लेकर आती हूं।”

उसके बाद आरती में कहा, “काश तू भी अकेली रहती तो बाहर से ही खाना पैक करा कर लेती जाती। सासों के रहते तो ये सम्भव नहीं। मैं तो कभी-कभी ये सोचती हूं, मुझसे एक सास नहीं  संभलती, तू तीन को कैसे संभालती होगी?”

रक्षा ने कहा, “ऐसा तू क्यों सोचती है? मेरी तीनों सासें बहुत अच्छी हैं। हम मिल-बाँट कर काम भी करते हैं। और तुझे तो पता है कि मेरे पतिदेव रमन इकलौते बेटे हैं और चाची जी ने तो माँजी से बढ़कर सेवा की है। लेकिन किस्मत कह ले कि उनकी कोई संतान नहीं हुई।”

आरती ने कहा, “तू झूठी तारीफ करना बंद कर आजतक जब भी मैं तेरे घर आई हूं, तुझे ही काम करते देखा है। वो लोग तो सिर्फ बैठ के गप्पें ही मारती मिलीं मुझे। ज्वाइंट फैमिली का यही नुकसान है।”

रक्षा ने कहा, “बहुत बार हकीकत और देखने में भी फर्क होता है।” शाम को दोनों सहेलियां बज़ार कर के आ गयीं। अगले दिन डोरबेल बजी तो रक्षा की सास उमा ने दरवाज़ा खोला। देखा तो दरवाज़े पर आरती थी।

“आरती तुम आओ ना अंदर।”

“बहु आरती आयी हैं,” उमा जी ने आरती को घर के अंदर बुलाते  हुए कहा और आरती को सोफे पर बैठने के लिए कहा।

आरती की आंखे घर का माहौल देखकर फ़टी की फटी रह गयीं। रसोई में चाची सास संध्या और उमा जी खाना एक साथ मिलकर बना रही थीं। दादी सास पोती के साथ खेल रही थी। सब मिल बाँट कर हँसी खुशी काम कर रहे थे।

तभी आरती को उमा जी ने कहा, “आरती बेटा, तुम रक्षा के कमरे में ही चली जाओ। आराम से बातें कर लेना और रक्षा की मेहंदी भी लग जायेगी।”

आरती अंदर गयी तो रक्षा बेड पर बैठकर मेहंदी लगवा रही थी घर के कामों की कोई चिंता नहीं थी उसके चेहरे पर। तभी रक्षा ने कहा, “आरती तू आ बैठ। अरे तूने मेहंदी नहीं लगवाई?”

“कैसे लगाऊँ? बेटी संभालू या घर के काम या फिर मेहंदी लगा के बैठ जाऊँ? और तुझे तो पता है कि मेरे पति देव को कुछ ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रहता इन सब में। सबकी किस्मत तेरे जैसी नहीं होती बहन। तेरे तो सब काम आसानी से हो जा रहे हैं। तुझे देखकर कौन कहेगा कि तू तीन सासों के बीच अकेली बहु है?”

“बिलकुल यही बात मैं कल तुझे समझाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन तू सुनने को तैयार नहीं थी। मेरी तीनों सासु मायें मेरा पूरा ख्याल रखती हैं। बेशक कभी-कभी काम ज्यादा होता है। गलती पर डाँट भी मिलती है। लेकिन अगर मैं बीमार होती हूँ, तो मुझे समय से दवा और मेरी तीनो माँओ  की दुआ भी मिलती है।

तीज त्यौहार पर जब मेरा व्रत होता है, तो सब मिल कर काम संभाल लेती हैं। मुझे अपनी बेटी अनाया को लेकर भी कोई टेंशन नहीं रहती। वो भी अपनी दादी लोगों के साथ सुरक्षित घर में रहती है और मैं बाहर मार्केट के काम आसानी से कर लेती हूं। अनाया का खाना-पीना सब कुछ समय पर हो जाता है। अब बोल क्या बोलती है? क्या तुझे अब भी लगता है कि मैं बेचारी बहु हूँ?

तभी उमा जी अंदर आयीं और कहा, “ये क्या बेटा? तुमने अभी तक मेहंदी नहीं लगाई? जाओ अपनी बेटी कुहू को यहीं लेती आओ। अनाया के साथ कुछ देर खेल लेगी और तुम भी यहीं मेंहदी लगा लेना”

आरती अपनी ही नजरों में शर्मिदगी महसूस करने लगी। सबने साथ मिल कर करवा चौथ मनाया। परिवार की खुशियां देखकर आरती भी आज खुश हुई और उसने कहा, “तू तो भागों वाली बहु है, जिसे तीन सास के रूप में तीन मायें मिली हैं। तेरे जैसी किस्मत हर लड़की की हो। सबको ऐसी सास मिले।”

दोस्तों उम्मीद करती हूं कि मेरी ये नई कहानी आप सब को पसंद आएगी। कहानी का सार सिर्फ इतना है कि संयुक्त परिवार की अपनी खूबसूरती है। परिवार  सबके त्याग समर्पण और आपसी प्यार से ही और खूबसूरत एवं मजबूत बनता है।

मूल चित्र : graphixel from Getty Images Signature via Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

79 Posts | 1,625,359 Views
All Categories