कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

समाज के नाम पर कितना ध्यान रखोगे तुम…

समाज के नाम पर, हे भगवान! कितना ध्यान रखोगे तुम, इतनी परवाह कि हमें आदत नहीं, इतनी परवाह करते रहे तुम, तो हो जाएगी हमारी भी आदत खराब।

समाज के नाम पर, हे भगवान! कितना ध्यान रखोगे तुम, इतनी परवाह कि हमें आदत नहीं, इतनी परवाह करते रहे तुम, तो हो जाएगी हमारी भी आदत खराब।

दोहरा मापदंड अपनाते हैं,
जरा उसकी पराकाष्ठा देखिए तो जनाब,
खुद की बेटी मिनी पहने
और हम जींस पहने तो खराब।

खुद की बेटियां किसी से भी बात कर ले,
उससे कोई फर्क नहीं पड़ता,
लेकिन हम भाई के दोस्तों से भी बात कर ले,
तो उसका देना पड़ता है हमें जवाब।

कहां गई थी,
किसके साथ आ रही हो,
कौन था वो,
जो इतना मुस्कुरा कर बात कर रही हो।

हे भगवान! कितना ध्यान रखोगे तुम,
इतनी परवाह कि हमें आदत नहीं,
इतनी परवाह करते रहे तुम,
तो हो जाएगी हमारी भी आदत खराब।

समाज के नाम पर
मेरे प्यारे दोस्तों,
अपने घर में ध्यान दो,
क्यों दूसरो के चरित्र पर
छींटे लगाने का देखते हो ख्वाब।

मूल चित्र : Sharath Kumar via Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

26 Posts | 432,420 Views
All Categories