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दूसरों की बीच मैं खुद को भूल गयी थी…

खुद की देखभाल में कमी और अपनी तरफ से लापरवाही का ही नतीजा आज शीशे में उसके अक्स के रूप में दिख रहा था। वो खुद को पहचान ही नहीं पायी...

खुद की देखभाल में कमी और अपनी तरफ से लापरवाही का ही नतीजा आज शीशे में उसके अक्स के रूप में दिख रहा था। वो खुद को पहचान ही नहीं पायी…

रात की पार्टी से लौट कर रवि तो बेखबर सो गए लेकिन सुमन की नींद उचट चुकी थी। सच ही तो कहा था रवि ने आज पार्टी में, “तुम में अब वो बात नहीं रही सुमन जो पहले थी। जब देखो बीमार ही लगती हो।”

रवि की बात सुन सुमन का मूड ऑफ़ हो गया। सुमन का उतरा चेहरा देख रवि ने झट से माफ़ी भी माँग ली ये कह कि “मैं तो मज़ाक कर रहा था…” लेकिन सुमन को रवि की बात लग चुकी थी। 

कहाँ कमी रह गई मुझ में जो रवि ने ये कही आज। ये रवि ही तो थे जो मेरी खूबसूरती पर मर मिटे थे, तभी तो अपने दोस्त की बारात में जब रवि की नज़रे मुझपे गई तो वही पहली नज़र में अपना दिल हार बैठे थे। मेरे घर वालों को मनाने में कितने पापड़ बेले तब जा के शादी हुई थी हमारी। 

दिल बेचैन सा हो उठा तो उठ के शीशे के सामने जा खड़ी हुई सुमन। आज जाने कितने दिनों बाद ध्यान से खुद को देखा बालों में सफेदी झलकने लगी थी, चेहरा कैसे बेजान सा, पेट और शरीर पे चढ़ी मोटापे की चर्बी और आँखों के नीचे काले घेरे जैसे उम्र से दस साल बड़ी लग रही थी सुमन। 

“अब बेटी पंद्रह साल की हो गई है मेरी तो अब भी क्या सफ़ेद बाल नहीं होंगे? लेकिन ये चेहरा…”, खुद को झूठा आश्वासन देने लगी सुमन। 

“नहीं नहीं ये सब खुद को दिलासा देने वाली बातें हैं, आखिर मिसेस वर्मा और मिसेस खन्ना के बच्चे तो मेरी नित्या से भी बड़े हैं, तब भी कैसे फिट और सुन्दर दिख रही थीं दोनों कल की पार्टी में। तभी तो रवि ने धीरे से कहा था मुझे कि अब वो बात नहीं रही मुझमें। रवि का उन औरतों से यू बातें करना कहीं ना कहीं कचोट सा गया सुमन को। रवि की बातें सुमन की स्वाभिमान को चोट दे गई। 

नित्या और रवि के पीछे ही सुमन हर पल समर्पित रहती इतना की कहीं ना कहीं खुद को भूल बैठी थी। रवि और नित्या की ख़ुशी के लिये अपनी ख़ुशी अपनी अहमियत को भुला बैठी थी सुमन। खुद की देखभाल और अपने तरफ से लापरवाही का ही नतीजा आज शीशे में उसके अक्स के रूप में दिख रहा था। 

अपने आप को हर कोने से देखने के बाद कुछ सोच मन ही मन सुमन मुस्कुरा उठी फिर अलार्म लगाया और सो गई। अगले दिन जल्दी उठ स्पोर्ट्स शू पहने और वॉक पे निकल गई। वॉक से वापस आयी तो रवि को उठाया। सुमन का नया अवतार देख रवि भी बहुत ख़ुश हुए और प्यार से सुमन को गले लगा लिया। सुमन ने अब अपना ख्याल रखने की ठान ली थी। 

रवि और नित्या के जाने के बाद हल्का नाश्ता कर सुमन पार्लर चली गई। जाने कितने दिनों या कहें तो महीनों बाद आज फुर्सत से पार्लर गई थी सुमन, नहीं तो कोई न कोई बहाना कर के ये काम टला ही जाता रहा। उसके बाद तो सुमन की काया ही पलट गई। 

सुबह शाम की नियमित वॉक और हेल्दी खाना ने भी अपना असर दिखाया और कुछ ही महीनों में ही सुमन ने अपना पुराना स्वास्थ्य और चेहरे की रौनक वापस पा ली। 

शाम की पार्टी के लिये गुलाबी शिफॉन की साड़ी के साथ हल्के मेकअप और पर्ल नेकलेस पहने सुमन को जब रवि ने देखा तो बस देखता ही रह गया। आज बरसों बाद उसकी पुरानी सुमन उसके सामने खड़ी थी। रवि को प्रेम भरी नज़रों से घूरते देख किसी नवयौवना सी शर्मा गई सुमन। शर्म की लाली ने सुमन की खूबसूरती को दोगुना कर दिया। 

हाथों में हाथ डाले जब रवि और सुमन ने पार्टी हाल में कदम रखा तो सबकी नज़रें मानो रवि और सुमन पे ही टिक गईं। रवि और सारे मेहमानों की नज़रों में अपनी प्रसंशा देख सुमन का खोया आत्मविश्वास लौट आया। समय रहते सुमन ने खुद की अहमियत जान कर अपनी ख़ुशी ढूंढ ली थी।  आज सुमन जान गई थी कि जब वो खुद ख़ुश होगी, अपना ख़याल रखेगी तभी अपने परिवार का भी ख्याल रख पायेगी। 

मूल चित्र : Azraq Al Rezoan, Pexels

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