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क्या मेरे इन प्रश्नों का जवाब आप में से किसी के पास है?

मेरा सवाल एक ही है क्यों मुझे हर रीति रिवाज से बांधा जाता हैं और खासकर माँ बनने के बाद मेरी निज़ी जिंदगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता है।

मेरा सवाल एक ही है क्यों मुझे हर रीति रिवाज से बांधा जाता हैं और खासकर माँ बनने के बाद मेरी निज़ी जिंदगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता है।

आज ये सवाल पूछती हूँ, एक औरत से ही सारे सवाल क्यों पूछे जाते हैं, क्यों उससे ही अपने हर कदम का जवाब देना पड़ता है?

क्यों अंत में एडजस्ट उसे ही करना पड़ता है? क्यों उसे ही रीति रिवाजों से बांधा जाता है और खासकर माँ बनने के बाद उसकी निज़ी जिंदगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता है?

उसके पास बस उतने ही विकल्प होते हैं जितने की परिवार ने उसे दिए होते हैं और अगर वो अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाए तो उसे गलत की श्रेणी में खड़ा कर दिया जाता है?

इन सभी सवालों का जवाब माँगती ये चंद पंक्तियाँ आप लोगों के साथ साझा कर रही हूं

क्यों लोग उठाते हैं सवाल मेरी शख्सियत पर,
मेरे होने पर और कुछ खोने पर?

मेरे कुछ करने पर या थम कर सुस्ताने पर,
आगे बढ़ने पर और पीछे मुड़ के ना देखने पर?

मेरे हँसने पर या घंटों रोने पर,
मेरे फैसलों पर और मेरी कबिलियत पर?

मेरे सपनों पर या मेरी हकीक़त से रुबरु होने पर,
मेरी मंशाओं पर और होने वाली शंकाओं पर?

क्यों लोग उठाते है सवाल मेरी शख्सियत पर?

और इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिश करती ये पंक्तियां औरत के सशक्त होने का सबूत पेश करती हैं, जिसमें वो हर झलावे को मिथ्या बता देती है

पर वो भूल जाते हैं कि मैं आज की नारी हूँ,
खुद ही खुद के लिए काफी हूँ।

हाँ, फर्क़ नहीं पड़ता मुझे अब जमाने की बेड़ियों से,
खुले आसमां में पंख फैलाकर उड़ना सीख चुकी हूं मैं।

खुद का और अपने जैसे अनगिनत का हौंसला बढ़ाती हूँ मैं।
मुश्किलों से घबराती नहीं हूँ मैं, खुद ही खुद के लिए काफी हूँ मैं।
खुद ही खुद के लिए काफी हूँ मैं।

एक औरत को भी एक पुरुष की तरह सपने देखने का ह़क़ है और आज जब औरत अपने आप को इतना सक्षम पाती है कि वो भी हर स्थिति का डट कर सामना करे तो वो मौका उसे जरूर मिलना चाहिए।

मूल चित्र : YouTube

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Deepika Mishra

I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...

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