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जब नारीवाद की कोई पूर्व-परंपरा नहीं थी तब मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने इसकी नींव रखी

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी किताब में उस सामाजिक व्यवस्था की आलोचना की जिसमें स्त्रियों को अच्छी महिला बनने पर जोर दिया जाता है...

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी किताब में उस सामाजिक व्यवस्था की आलोचना की जिसमें स्त्रियों को अच्छी महिला बनने पर जोर दिया जाता है…

आज भारत जैसे देश में मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट का नाम शायद ही कोई जानता होगा। कोई नहीं जानता होगा कि 1792 में मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने Vindication of the Rights of Women लिखी थी जिसमें उन्होंने उस सामाजिक व्यवस्था की आलोचना की। जिसमें स्त्रियों को अच्छी महिला बनने पर जोर दिया जाता है और अन्य सभी चीजों को छोड़कर अपने सौन्दर्य के प्रति सजग होने के लिए स्त्रियों को प्रोत्साहित किया जाता है जो उन्हें केवल दमघोटू आर्दर्शों के दायरे में जीने के लिए तैयार करती है।

20वीं सदी के मध्य में जब पश्चिम के देशों में नारीवादी आंदोलनों ने अपनी जमीन मजबूत कर नागरिक अधिकार आंदोलन, छात्र-आंदोलन, युद्ध विरोधी आंदोलन और मजदूर आंदोलन मजबूत होने लगे, तब मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट इतिहास के दस्तावेजों से फिर से जीवित हो गई। उनके कृतित्व पर नए सिरे से चर्चा की गई और इस सत्य को स्वीकार्य किया गया कि मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट स्त्री अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली पूरी दुनिया में पहली महिला थी। उनपर लिखी कई जीवनियों में उन्हें जिसमें पहली उनके पति विलियम गांडविन की थी, ने सबसे पहले यह कहा था कि मेरी यूरोपीय और अमेरिकी देशों में स्त्री-आंदोलन की जननी थी।

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने कई आम परिवार में स्त्रियों के जीवन को नज़दीक से देखा 

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट का जन्म 27 अप्रैल 1759  को स्पिटलफील्ड्स, लंदन में हुआ था। किसान पृष्ठभूमि के उनके पिता एडवर्ड जॉन वोलस्टोनक्राफ्ट और माता एलिजाबेथ डिक्सन के साल बच्चों में मैरी दूसरे स्थान पर थी। आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं होने के कारण मैरी का परिवार हमेशा शहर बदलते रहता था। मैरी के यह अच्छा इसलिए भी था कि वे कई शहरों के आम मेहनतकश परिवारों की स्थिति और परिवार में स्त्रियों के जीवन को नजदीक से देख पाती।

लगातार शहर बदलने के बाद भी मैरी के पिता आर्थिक स्थिति को बेहतर नहीं कर पा रहे थे जिसका खमियाजा मैरी की मां को पति के मार-पीट से झेलनी पड़ती थी। अपनी मां को इस मार-पीट से बचाने के लिए मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट मां के कमरे की पहरेदारी भी करती। इन स्थितियों ने उनको यथास्थिति के विरुद्ध विद्रोह करने की सीख भी दी और कठिन हालात में पढ़ाई पूरा करने के लिए विवश भी किया। आजीविका के लिए मैरी को कभी पढ़ाना पड़ता तो कभी गवर्नेस के रूप में काम करती।

1784 में मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने एक गांव में स्कूल खोला

1784 में मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने अपनी बहन एलिजा और दोस्त फैनी ब्लड के साथ मिलकर हैकनी से सटे एक गांव में स्कूल खोला। यहीं मैरी की मुलाकात रिर्चड प्राइस से हुई जो अपनी किताब “रिव्यू ऑफ प्रिंसिपल क्वेश्चंस ऑफ मॉरल्स” से प्रसिद्ध हो चुका था। रिर्चड प्राइस के माध्यम से मैरी उस दौर के कई लेखकों और विचारकों से मिलती। यहीं मैरी सुप्रसिद्ध प्रकाशक जोसेफ जॉनसन से मिली जो मैरी के स्त्री शिक्षा के विचार से बहुत प्रभावित हुए।

उन्होंने मैरी को अनुवादक और अपना सलाहकार बना लिया। बहुत जल्द ही मैरी समीक्षाएं भी लिखने लगी। जल्द ही मेरी ने “थॉट्स ऑफ एजुएकेशन ऑफ डाटर्स” नाम से किताब लिखी जो कई विवादों में घिर गई। मैरी ने इस किताब में पारंपरिक शिक्षा प्रणाली की आलोचना की स्त्री शिक्षा के संदर्भ में। मैरी ने यह तर्क दिया कि स्त्रियों में बौद्धिक क्षमता और विषयों को सीखने की ग्रहणशीलता पुरुषों से कम कतई नहीं है। इस किताब की इतनी आलोचना हुई कि मैरी का स्कूल बंद हो गया, और वह बेरोजगार हो गई।

आजीविका के संकट से उबरने के लिए मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने आयरलैंड आकर फिर गवर्नेस का काम शुरू किया। यहीं 1786 में उन्होंने अपना पहला उपन्यास “मैरी” लिखा जिसने उनको साहित्यकारों के साथ उठने-बैठने का मौका दिया। यही समय था जब फ्रांसीसी क्रांति पूरे यूरोप को अपनी चपेट में ले रहा था। इंग्लैड का समाज दो भाग में बंट चुका था। इसी समय टॉमस पेन की “राइट्स ऑफ मैन” दो खंडों में प्रकाशित हुई।

मैरी की चर्चित किताब 

इसी समय मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने Vindication of the Rights of Women पर काम करना शुरू कर दिया जो 1792 में प्रकाशित हुई। इंग्लैड के बाहर पूरे यूरोप और अमेरिका में इस किताब को बहुत पसंद किया गया। मैरी ने इस किताब में स्त्री के पक्ष में अपने तर्क रखते हुए कहा कि शैशवावस्था से ही स्त्रियों को यह शिक्षा दी जाती है कि सौन्दर्य स्त्रियों के लिए जरूरी है इसलिए दिमाग शरीर के हिसाब से स्वयं को ढालता है और अपने स्वर्णजड़ित पिंजरे में चक्कर काटते हुए वे अपनी जेल को पसंद करना सीख जाती है।

समाज का पुरुष अधिपत्य हर चीज पर स्त्रीयों के अधिकार और उसके साथ प्राकृतिक न्याय पर चोट करते हैं। यह वहीं दौर था जब मार्क्स और एंगेल्स महिलाओं के सामाजिक स्थितियों के लिए संपत्ति के कारणों को जिम्मेदार बता रहे थे। Vindication of the Rights of Women के विचार ही स्त्री शिक्षा, रोजगार, राजनीति में भागीदारी और महिला मतदान के आधार बने।

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट अपनी किताब में हांलाकि इस नतीजे पर पहुंचने में असफल रही कि पुरुष अधिपत्य समाज से तभी समाप्त हो सकता है जब समाज स्त्री-पुरुष असमानता के कारणों को पहचानकर उसके मुक्ति का मार्ग खोजे। यह उनके विचार की सीमाएं जरूर कही जा सकती है परंतु, यह मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट के चिंतन के अधूरेपन की सीमा नहीं है। इसको उस दौर की सीमा भी कहीं जा सकती है।

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने किताब प्रकाशित होने के बाद आलोचनाओं का सामना किया

Vindication of the Rights of Women प्रकाशित होने के बाद पूरे इंग्लैड के बुद्धिजीवियों के जमात मे भूचाल आ गया। मैरी के आलोचकों ने उन्हें “घाघरा पहने मादा लकड़बग्गा (हाइना इन पेटीकोट्स)” तक कहा। आलोचकों का दबाब इतना बढ़ गया कि मैरी के शुभचिंतकों ने उनको कुछ समय के लिए इंग्लैड से बाहर चले जाने का सुझाव दिया। वह फ्रांस आ गई, जहां वह अमेरिकी लेखक और व्यापारी गिलबर्ट इमले से मिली। पहले मैत्री हुई जो जल्द ही प्रेम संबंध में बदल गई। मैरी और इमले से पहली संतान फेनी 1795 में हुई। मैरी और इमले अपने बच्चे के साथ स्कैण्डेनेविया की यात्रा पर रही। इसी सफर में मैरी ने अपनी अंतिम कृति “मारिया” लिखी जो उनके मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई।

स्कैण्डेनेविया के यात्रा से लौटने पर मैरी ने यह महसूस किया कि इमले के संबंध किसी अन्य महिला के साथ हैं। इस पीड़ा को लेकर मैरी इंग्लैड वापस आ गई। निराशा इस हद तक बढ़ गई कि उन्होंने आत्महत्या का प्रयास भी किया। निराशा के इस दौर से उबरने में विलियम गॉडविन एक मित्र बनकर आए। जिससे मैरी ने शादी कर ली, इस शादी से मैरी को एक बेटी हुई जिसका नाम उन्होंने अपना ही नाम दिया – मेरी। बेटी के जन्म के बाद मेरी आठ दिनों तक लगातार तेज बुखार से घिरी रही और 10 सितंबर 1797 को इस दुनिया से कूच कर गई।

स्त्री मुक्ति के पूरे विमर्श में मैरी ने नारीवाद की आवाज तब बुलंद की जहां इसकी कोई पूर्व-परंपरा नहीं थी। उनके दौर में उनके विचारों को पूरी दुनिया ने स्वीकार्य नहीं किया। आज नारीवाद का जो भी विस्तार हुआ है उसकी नींव  मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट की रखी हुई है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है।

नोट : Vindication of the Rights of Women का हिंदी अनुवाद स्त्री-अधिकारों का औचित्य-साधन के नाम से हुआ, जिसको कई प्रकाशकों ने छापा है।

मूल चित्र : britlitsurvey, Wikipedia

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