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मुजफ्फरपुर गैंगरेप केस : हर घंटे ऐसी ख़बरें! किसी को कुछ भी फर्क पड़ रहा है?

आज हम आज मुजफ्फरपुर गैंगरेप के बारे में सुन रहे हैं, हो सकता है कल आपके शहर या गांव की खबर सुन रहे हों। तो इन सबका कोई अंत है भी या नहीं?

आज हम आज मुजफ्फरपुर गैंगरेप के बारे में सुन रहे हैं, हो सकता है कल आपके शहर या गांव की खबर सुन रहे हों। तो इन सबका कोई अंत है भी या नहीं?

चेतावनी : इस पोस्ट में मर्डर/ब्लात्कार का विवरण है जो कुछ लोगों को उद्धेलित कर सकता है। 

बिहार के मुजफ्फरपुर में साहेबगंज थाना इलाके के एक गांव में नाबालिग बालिका को 4 आरोपियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाने की कोशिश करी गयी। इससे पहले उन्होंने नाबालिग लड़की का एक संदिग्ध वीडियो भी बनाया था और कई दिनों से लड़की को इसे वायरल करने की धमकी देकर चुप रहने को बाधित कर रहे थे। बुधवार सुबह इलाज़ के दौरान पीड़िता ने दम तोड़ दिया। लड़की के पिता ने FIR में गांव के ही गुलशन कुमार, चंचल कुमार, अभिनय कुमार और राजू कुमार का नाम दर्ज कराया है। 

क्यों? कब तक? क्या ये खबरें हमें असवेंदनशील नहीं बना रही? अब महिलाओं के साथ हिंसाएँ जैसे एक आम ख़बर हो गयी है। ज़ाहिर सी बात है कि हर केस तो रिपोर्ट हो नहीं रहा और हर रिपोर्टेड केस इन्साफ तक नहीं पहुँच रहा। हर मिनट कभी घरेलू हिंसा, तो कभी रेप आदि की खबरे हमारे न्यूज़ फीड में बनी रहती हैं। जिन्हें शायद अब हम खोलकर देखते भी नहीं है। क्योंकि कुछ नया नहीं है। बस इन सब में कुछ नया है तो वो है ज़ुल्म करने के तरीक़े। कभी लड़की को मौके पर गोली मार दी जाती है तो कभी शरीर के अंग तोड़ दिए जाते हैं और अगर फिर बच जाएं तो उन्हे जिन्दा जलाया जा रहा है। कल हाथरस, बदायूं गैंगरेप थे और आज मुजफ्फरपुर गैंगरेप हो गया।

किसी को कुछ फर्क भी पड़ रहा है?

किसी को कुछ फर्क भी पड़ रहा है? या बस दो दिन ख़बर पर नज़र रखकर सोशल मीडिया पर शेयर करनी है। क्या किसी ने जानने की कोशिश की आखिर अब हाथरस गैंगरेप की कार्रवाई कहाँ तक पहुंची? क्या बदायूं गैंगरेप मामले में चंद्रमुखी देवी द्वारा दिए गए बयान पर कोई ठोस कदम उठाया गया? चलिए ये सब छोड़िये। क्या आपने पड़ोस वाले घर में हो रही घरेलु हिंसा पर कोई कदम उठाया? नहीं ना? पर आज सभी को मुजफ्फरपुर गैंगरेप पर लम्बी चौड़ी बातें जरूर करनी है।

अब हमें बात करनी होगी कि आखिर कैसे इन हिंसकों से निबटा जाए

ना इन हिंसाओं के बढ़ते आँकड़े किसी को उद्धेलित कर रहे हैं न उनकी बर्बरता। और क्यों सिर्फ एक ही चीज़ पर बात की जाती है कि आखिर कैसे हम महिलाओं को सुरक्षित करें। अगर हम इसे सही नज़रिये से देखें कि आखिर कैसे इन हिंसकों से निबटा जाए तो हो सकता है कुछ बदलाव आये।

लेकिन इन सबका कोई अंत है भी या नहीं? आखिर ऐसा क्या किया जाना चाहिए जिससे ऐसी मानसिकता वाले हवस से भरे लोगो में इंसानियत जागे। अगर आपके पास कोई विकल्प है तो उसे सबके साथ शेयर करें या ना करें पर अपने आप के लिए ज़रूर लागू करें। क्योंकि आज हम आज मुजफ्फरपुर गैंगरेप के बारे में सुन रहे हैं, हो सकता कल आपके शहर या गांव की खबर सुन रहे हों।

मूल चित्र : thainopho via Canva Pro

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About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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