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कम से कम ससुराल वाले तुम्हें भूखा तो नहीं मार रहे…

तेरे कारण मेरी दोनों छोटी बेटियों की शादी नहीं हो पाएगी। लोग कहेंगे कि बड़ी बहन तो खुद पीहर आकर बैठी हुई है, पता नहीं छोटी कैसी होगी।

तेरे कारण मेरी दोनों छोटी बेटियों की शादी नहीं हो पाएगी। लोग कहेंगे कि बड़ी बहन तो खुद पीहर आकर बैठी हुई है, पता नहीं छोटी कैसी होगी।

चेतावनी : इस कहानी में सुसाइड का विवरण है जो आपको परेशान कर सकता है 

“माँ, मैं उस घर में दोबारा नहीं जाऊंगी। मुझे उस घर में दोबारा मत भेजो मां। आप तो कम से कम मुझे समझने की कोशिश करो। दम घुटता है मेरा वहां। कोई नहीं समझता मुझे। अपने स्वाभिमान की रोज-रोज धज्जियां उड़ते देखकर भी कैसे रह लूं उस घर में?”

“अरे! क्या परेशानी है तुझे? किस चीज की कमी रखता है तेरा पति? भूखा तो नहीं मार रहा ना तुझे।”

“क्या भूख ही सब कुछ होती है मां। मेरा मान सम्मान और स्वाभिमान क्या कोई मायने नहीं रखता। ऐसी रोटी किस काम की, जिसमें सम्मान न हो।”

“दो अक्षर क्या पढ़ लिये, हमको सीखा रही हो? क्या कमी है तेरे ससुराल में? रोटी, रोटी होती है। जब भूख लगती है तभी खाई जाती है। इसका मान-सम्मान से कोई लेना-देना नहीं। चुपचाप अपने ससुराल जाओ। तेरे कारण मेरी दोनों छोटी बेटियों की शादी नहीं हो पाएगी। लोग कहेंगे कि बड़ी बहन तो खुद पिहर आकर बैठी हुई है, पता नहीं छोटी कैसी होगी।”

अपने पिता के मुंह से यह सब सुनकर मधु चुप रह गई और उसकी मां कुछ ना कह पाई। पिछली बार भी यही हुआ था और अब की बार भी वही। मधु के पिता के सामने किसी की ना चलती। जो खुद भी ऐसे इंसान रहे हो वह दूसरों की भावनाओं को क्या समझेंगे। वहीं रमन और उसकी मां कुटिल मुस्कान के साथ मधु की तरफ देख रहे थे।

थक हार कर मधु को चुपचाप अपने मान सम्मान को छोड़कर पति रमन और सास के साथ वापस ससुराल जाना पड़ा।

रमन और मधु की एक साल पहले ही शादी हुई है। रमन के परिवार में उसकी मां और एक छोटा भाई है जो अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है। रमन अपने दिवंगत पिता के व्यापार को संभालता है। और उसी की कमाई से पूरा घर खर्च चलता है। और रमन की माता जी वह तो परफेक्ट भारतीय सास है जो बहू में कमी निकाल ही लेती है।

रमन अपनी जो भी कमाई है अपनी मां के हाथों में लाकर रखता है, जिससे मधु को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि इससे छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी तिरस्कृत कर दिया जाता है। उसे एक एक रुपए के लिए मोहताज कर रखा है।

अभी पिछली बार की ही बात है। शादी के कुछ दिनों बाद मधु पीरियड से हो गई, तो पैड्स खरीदने के लिए भी उसकी सासू मां ने खर्चा देना उचित ना समझा। बल्कि उसे पुराने कपड़ों में से कपड़ा फाड़ कर दे दिया और कहा, “इसे इस्तेमाल करो। इन चीजों के लिए बेवजह का पैसा नहीं है मेरे पास।”

जब उसने रमन से कहा तो रमन ने भी यही जवाब दे दिया, “जैसा मां कह रही है वैसा कर लो।”

“लेकिन रमन कपड़ा हाइजीनिक नहीं होता है।”

“तो क्या बेवजह का खर्चा करें इन चीजों पर?”

“पर रमन पैड्स इतने महंगे भी नहीं आते हैं। बस सौ-डेढ़ सौ रुपए ही लगेंगे।”

“रहने दो, जो मां कह रही है, करो। नहीं तो अपने बाप से मांग लो।”

रमन से इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि नई दुल्हन के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है। तब भी उसने अपने माँ से इस बारे में बात की थी और और कहा था कि वह ऐसे ससुराल में नहीं रह सकती। तब भी उसके पिता ने उसे चुपचाप ससुराल में रहने को कहा था।

इस बार भी यही हुआ था। मधु की प्रेगनेंसी कंफर्म हो गई थी। उसे बहुत परेशानी होती पर उसकी सास उसे दवाइयां तक नहीं दिलाती। कहती, “यह सब तो बेवजह के चोचले हैं। हमने भी बच्चे पैदा किए हैं लेकिन किसी हॉस्पिटल के चक्कर नहीं लगाएं। इन सब पर बेवजह का खर्चा क्या करना?”

इस कारण से मधु परेशान होकर अपने पीहर आ गई थी। पर इस बार भी इसके पिता का जवाब था कि कम से कम तुझे भूखा तो नहीं मार रहा और उसके स्वाभिमान की धज्जियां उड़ाकर उसे वापस वहीं भेज दिया।

अब तो उसकी सास उसे और ज्यादा परेशान करने लगी थी। सही भी है, जब माता पिता साथ नहीं देते, तो ससुराल वालों को भी मौका मिल जाता है बोलने का। जैसे तैसे उसने अपनी प्रेगनेंसी के टाइम को निकाला। लेकिन ठीक से ध्यान न रखने के कारण उसने एक मरी हुई बेटी को जन्म दिया।

इस सब के बाद तो मधु पूरी तरह से टूट चुकी थी पर इसके बावजूद भी उसके पिता और रमन के परिवार वालों के स्वभाव में फर्क नहीं आया। मधु को समझ ही नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना है। इतनी हिम्मत भी नहीं थी उसमें कि अलग हो जाए। वह बीमार रहने लगी थी। और आखिरकार एक दिन उसने आत्महत्या कर ली।

कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना उसके पिता ने ठीक न समझा क्योंकि उन्हें अपनी दो छोटी बेटियों की जिम्मेदारी भी पूरी करनी थी। और उन्होने उसके ससुराल वालों के पक्ष में ही जवाब दिया कि मधु अक्सर बीमार रहा करती थी, इस कारण से उसने आत्महत्या कर ली।

मधु ने अपनी जान से हाथ धोया, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ दिनों बाद रमन की दूसरी शादी हो गई।

कहानी को चाहती तो सुखद मोड़ दे सकती थी, लेकिन सच्चाई यही थी और सच्चाई मैं बदलना नहीं चाहती।

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मूल चित्र : Still from the Short Film, Budh (Awakening), YouTube

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