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तुम्हारे जैसी दोस्त हो तो दुश्मन किसे चाहिए…

अमिता शैलजा से अपने दिल का सारा हाल बयां कर देती और बाद में शैलजा अमिता की सारी बातें चटकारे ले लेकर ऑफिस को बताती।

अमिता शैलजा से अपने दिल का सारा हाल बयां कर देती और बाद में शैलजा अमिता की सारी बातें चटकारे ले लेकर ऑफिस को बताती।

जब अमिता का तबादला इस शहर में हुआ तो वो काफ़ी परेशान हो उठी, पति दूसरे शहर में और वो यहाँ। कैसे मैनेज करेगी वो? यूँ तो वो इस बैंक में पिछले 5 सालों से थी पर ये शहर उसके लिए नया था।

अमिता के ब्रांच में कई लड़कियाँ थीं जो लगभग उसके ही उम्र की थी। ज़्यादातर लड़कियाँ शादीशुदा थीं और कईयों के बच्चे भी थे। अमिता की शादी हुए 4 साल हो गए थे पर अब भी वो मातृत्व सुख से वंचित थी।

अमिता की दोस्ती उसके साथ काम करने वाली शैलजा नाम की सहकर्मी से हो गई, जो इसी शहर की रहने वाली थी। शैलजा ने अमिता को किराये का घर दिलवाने में बहुत मदद की।

अमिता शैलजा के व्यवहार से काफ़ी प्रभावित हो गई और उससे अपना सुख दुख बांटने लगी। बातों ही बातों में उसने शैलजा को ये भी बता दिया की उसे माँ बनने में काफ़ी परेशानी हो रही है और इस कारण अब वो आइवीएफ का सहारा लेगी। शैलजा जो एक बच्चे की माँ थी उसने अमिता को ढांढस बंधाया कि सब ठीक हो जाएगा।

अमिता शैलजा की सहानुभूति से ओत प्रोत हो उठती और उससे अपना दिल का सारा हाल बयां कर देती। बाद में शैलजा अमिता की सारी बातें चटकारे ले लेकर ऑफिस की दूसरी सहकर्मियों को बताती।

शैलजा ने अमिता को अपने झूठी दोस्ती के जाल में ऐसा फंसाया था कि अमिता अब अपने ससुराल वालों की दास्ताँ और पति-पत्नी के झगड़े भी उससे डिसकस करने लगी। शैलजा उस वक़्त तो उससे सहानुभूति दिखलाती, पर बाद में दोस्तों को बताकर ख़ूब हंसती खिलखिलाती।

ऑफिस में दूसरों के तंज भरे लहजे और कातर निगाहों को देख अमिता को अब शक होने लगा कि कुछ तो बात है। जल्द ही अमिता को पता चल गया कि शैलजा किस तरह उसके बातों को पूरे ऑफिस में फैलाई हुई हैं और उसे ऑफिस की हॉट टॉपिक बना दिया है।

अमिता को पहले तो बहुत गुस्सा आया फिर उसने सोचा कि गलती उसकी भी है, जो उसने इतनी जल्दी किसी पर यकीन कर लिया। पर अब उसने इस फ़्रेनेमी को सबक सिखाने की ठान ली। अब वो शैलजा के घर ज़्यादा से ज़्यादा जाने लगी।

एक दिन जब अमिता शैलजा के घर गई तो शैलजा घर पर नहीं थी। घर में सिर्फ़ उसके पति और बच्चे ही थे। बातों ही बातों में उसके पति के मुंह से निकल गया कि उनका बच्चा भीआइवीएफ से हुआ था। अमिता ने उस वक़्त कुछ न कहा और चुप चाप वहाँ से निकल गयी।

एक दिन ऑफिस में शैलजा ने अमिता को सब के सामने टोक दिया,  “क्या हुआ यार? तेरा आइवीएफ कामयाब हुआ कि नहीं?”

अमिता ने पलट कर जवाब दिया, “शैलजा तुम मेरी चिंता न करो। मुझे बच्चा न भी हुआ तो मैं गोद ले लूंगी। वैसे तुम बताओ तुमने आइवीएफ किस डॉक्टर के यहाँ करवाया था। तुम्हारे पति ने मुझे बताया कि तुम्हें कितनी परेशानियों के बाद ये बच्चा हुआ।”

शैलजा उसकी बातें सुनकर भौचक्की रह गई।

अमिता बोल उठी, “शैलजा! मैंने तुम्हें  दोस्त समझ कर तुमसे काफ़ी बातें साझा की, पर इसका ये मतलब नहीं कि तुम ऑफिस में सब लोगों को मेरी निजी बातें चटकारे लेकर सुनाओ। वैसे जब तुम माँ नहीं बन सक रही थीं, तो तुम्हें कैसा लगता था? हर व्यक्ति की ज़िन्दगी में कुछ न कुछ परेशानियां होती है जिनसे वो जूझता है पर इसका ये मतलब नहीं कि दूसरे उसका मज़ाक़ बनायें।”

“और हाँ! एक बात और, या तो दोस्त बनो या दुश्मन, ये फ़्रेनेमी बनकर लोगों को छलना बंद करो।”

शैलजा, लज्जित हो सारी बातें चुपचाप सुन रही थी, क्यूंकि अमिता ने उसका असली चेहरा जो लोगों के सामने ला दिया था।

दोस्तों, जीवन में हमें कई बार ऐसे लोगों से पाला पड़ता है जो दोस्ती का मुखौटा पहन दुश्मनी निभा जाते हैं। तो ज़रा ऐसे फ़्रेनेमियों से सावधान रहें।

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मूल चित्र: Sofy India via Youtube 

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