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प्रवेशपत्र मुँह में दबाया, वह नहर पार करने लगी। नहर पार करते गीले कपड़ो व नंगे पैर के साथ स्कूल में उसने प्रवेश किया।
बात उन दिनों की है जब लड़कियों को आगे पढ़ाई के लिए कम ही भेजा जाता था पर शारदा के बड़े भाई ने उसकी लगन देखते हुए 9वी के बाद 10वी परीक्षा का फॉर्म भर दिया। शारदा की माँ ने कई बार कहा, “बहुत पढ़ चुकी है अब आगे क्या करेगी पढ़ के? देख अपनी बड़ी बहनों को खेतों पर काम करने जाती हैं और घर का काम करती हैं।”
पर बड़े भाई ने कहा, “वो दोनों खुद नहीं पढ़ना चाहती पर जो पढ़ना चाहती है, उसे तो पढ़ाओ।”
समय बीतता गया और 10वी की परीक्षा आ गयी। अंग्रेजी का पेपर था, शारदा ने पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी। सुबह जल्दी उठी तो लगा बहुत पहले उठ गई है, उस समय घड़ी नही होती थी, मुर्गे की बांग व चिडियों की चहचहाट से ही समय का अनुमान लगा लिया जाता था। शारदा यही सोचकर थोड़ा फिर से लेट गयी, पर आंगन में धूप आने से उसे एहसास हुआ कि बहुत देर हो गयी है। इसलिए जल्दी उठी प्रवेशपत्र लिया और भागी।
घर पर कोई नहीं था। थोड़ा सोच के कि आज का पेपर लगता छूट जाएगा। केवल 15 मिनट ही शेष बचे थे, वो बहुत तेज भागी। गाँव के कच्चे रास्ते से जाने के बजाय उसने नहर को पार करना ज्यादा उचित लगा क्योंकि समय नही था और अपना पूरा साल उसे खराब नही करना था।
सपना भी था उसका एक अध्यापिका बनने का। यही सोचकर उसने प्रवेशपत्र मुँह में दबाया और नहर पार करने लगी। नहर पार करते गीले कपड़ों व नंगे पैर के साथ स्कूल में प्रवेश किया। पेपर बंट चुके थे पर शारदा को पेपर देने का मौका मिल गया। अच्छे नम्बरों से पास होने के बाद उसने 12वी की परीक्षा दी। जिसके बाद बी.टी.सी. की ट्रेंनिंग के बाद वो एक विद्यालय में शिक्षिका बन गयी।
उस समय अंग्रेजी की परीक्षा देना मेरी माँ यानी कि शारदा के लिए बहुत बड़ी चुनौती था। मुझे गर्व है कि मैं ऐसी माँ की बेटी हूँ, जो स्वयं कभी चुनौतियों से नहीं घबराईं।
मूल चित्र : Still from A Suitable Boy via Netflix
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