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स्त्री भी बस एक इन्सान है!

सच्चा मान और सम्मान इसी में है कि उच्च-निम्न का भेद न हों, स्त्री भी बस एक इन्सान है। कुछ फर्क नहीं है हम में, जब रचने वाला एक ही है।

सच्चा मान और सम्मान इसी में है कि उच्च-निम्न का भेद न हों, स्त्री भी बस एक इन्सान है। कुछ फर्क नहीं है हम में, जब रचने वाला एक ही है।

ओह! दूसरी भी बेटी!
कोई नहीं, पल जायेगी ये भी
ये कहकर ही मान कम कर दिया तुमने।

ये मेरी बेटी, बेटों से कम नहीं,
ये कहकर ही मान कम कर दिया तुमने।

मेरी बहू जिसे हम बेटी की तरह रखते हैं,
ये कहकर ही मान कम कर दिया तुमने।

ये मेरी पत्नी, स्वतंत्रता दे रखी है पूरी,
ये कहकर ही मान कम कर दिया तुमने।

मत कहो हमें अबला,
मत कहो तुम पराया धन,
करके तुलना किसी और से,
मत आंकों मेरे वजूद को कम।

सच्चा मान और सम्मान इसी में है कि
उच्च-निम्न का भेद न हों,
स्त्री भी बस एक इन्सान है।

कुछ फर्क नहीं है तुम में, हम में,
जब रचने वाला एक ही है।

मूल चित्र : via YouTube

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