आज जब मौत चारों तरफ पसरी पड़ी है, तब बहुत ज़रूरी है कि हम किसी के गुज़र जाने की खबर एक दूसरे इंसान को सलीके से दें। कैसे दें ये खबर?
आज जब मौत चारों तरफ पसरी पड़ी है, तब बहुत ज़रूरी है कि हम किसी के गुज़र जाने की खबर एक दूसरे इंसान को सलीके से दें। कैसे दें ये खबर?
ट्रिगर वार्निंग : इस पोस्ट में सेंसिटिव कंटेंट है जो आपको परेशान कर सकता है
मुझे आपसे एक ज़रूरी बात कहनी है, हां आपसे ही।
आज जब मौत चारों तरफ पसरी पड़ी है, तब बहुत ज़रूरी है कि हम किसी के गुज़र जाने की खबर एक दूसरे इंसान को सलीके से दें।
आपके दिल में सिर्फ प्यार होना ही काफी नहीं है, उस प्यार को आपको कभी-कभी स्ट्रेटजिकली यानि युक्ति पूर्ण तरीके से व्यक्त करना पड़ता है, और आज वैसा ही समय है। जो गुज़र गए, उनकी इज्ज़त करने का मतलब यह नहीं है, कि जो ज़िंदा हैं हम उनकी भावनाओं की कद्र करना भूल जाएं।
मैं अपने साथ जुड़ा एक वाकया बताना चाहूंगी। मुझे खबर मिली कि मेरी एक स्कूल के समय की सहपाठी कोरोना के चपेट में आ गईं और उन्होंने बीते इतवार को अपना दम तोड़ दिया। पर जब और जैसे मुझे ये खबर मिली, उससे तो यूं कह सकते हैं कि मेरी ही जान पे बन आई।
मैं मंगलवार की सुबह 4 बजे उठी थी वॉशरूम जाने के लिए। बीच रात में मैं उठती हूं तो एलईडी बल्ब की जगह मैं अपने फोन के टॉर्च की रोशनी जलाना ज़्यादा पसंद करती हूं। बल्ब की चकाचौंध रोशनी से मेरी नींद पूरी खुल जाती है।
मोबाइल पर टॉर्च के ही बगल में वाई-फाई और इन्टरनेट बटन है तो इंटरनेट भी ऑन हो जाता है और कभी- कभी मैं खुद भी 2 सेकंड के लिए ऑन कर लेती हूं।
तो जब मैं उठी, उसी समय मेरे व्हाट्सएप पे एक मेसेज आया: “हाई माया, तुमसे एक बहुत दु:ख भरी खबर शेयर करनी है। हमारी सहपाठी x (उसका नाम मैं नहीं लेना चाहूंगी) अब हमारे बीच नहीं रही। उसको शनिवार के दिन अस्पताल में एडमिट किया गया और उसने रविवार को दम तोड़ दिया।”
यह मैसेज इतना सपाट (स्ट्रेट फॉरवर्ड) था कि मेरे दिल को तीर की भांति चीर कर चला गया।
मेरा मानना है कि किसी को भी ऐसी खबर देने के पहले उसके बारे में भी सोचें। किसी की मौत की खबर किसी ज़िंदा इंसान को कैसे देनी है, इसके बारे में ज़रा सोच- विचार कर लें।
किसी को भी ऐसी खबर तब दें जब वो पूरे होशो-हवास में हो, सुबह 4 बजे तो किसी को भी ऐसे मैसेज न भेजें।
कोशिश करें कि ऐसी खबर किसी को सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक भेजें।
मेरी दोस्त जिसने मुझे ये खबर दी वो यूरोप के एक देश में रहती हैं। उसने उस देश का वक्त देखा, पर भारत में क्या वक्त हो रहा होगा, इसपर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया।
आधी नींद में किसी को हार्ट अटैक भी आ सकता है अचानक ऐसी खबर सुनकर या पढ़कर। खासकर ऐसे समय जबकि एक की मौत से दूसरे की ज़िंदगी और मौत जुड़ी हुई है।
आप सिर्फ यह नहीं बता रहे कि कोई कोरोना संक्रमित होकर जान से हाथ धो बैठा, साथ में यह संदेश भी जा रहा है कि देखो कोरोना हमारे कितने करीब आ गया है कि अब हमारे अपनों को लील रहा है।
ऐसे समय में बेचैन न हों किसी के गुज़र जाने की खबर देने को, हां किसी की जान बचानी हो और दवाई या प्लास्मा वगैरह चाहिए तो आप किसी को कभी भी फोन कर सकते हैं।
अगर आप किसी और देश में रहते हैं तो दूसरे देश का वक्त ज़रूर देख लें कॉल या मैसेज करने के पहले।
समय तय करने के साथ ही मैसेज में थोड़ी भूमिका बनाएं या जैसे मैं कहती हूं, कुशनिंग यानि शब्दों को गद्दे की तरह मुलायम करके यह खबर दें, थोड़ा घुमा- फिरा कर यह खबर दें।
और, सबसे ज़रूरी बात, सामने वाले को यह दिखाएं कि आपको उनकी भी कद्र है।
ऐसी खबर देने का अच्छा तरीका यह है – “हाई माया, तुम कैसी हो। आज के इस समय में मैं तुम्हारे और तुम्हारे पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए शुभकानाएं भेजती हूं। हालांकि हमारी स्कूल के ज़माने की एक सहपाठी है जिसने कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दम तोड़ दिया। भगवान उसकी आत्मा को शांति दे। तुम भी अपना ध्यान रखना। तुम्हें खूब सारा प्यार।”
इस मैसेज में मौत की खबर जो ज़िंदा है उसके प्रति प्यार के शब्दों के बीच में दी गई है। ऐसे समय में रेडियो न बनें, जो सिर्फ खबर देता है, बिना आगा पीछा सोचे, पर दोस्त बनें।
आज से लगभग एक साल पहले भी मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ था।
मैं दोपहर में सो कर उठी थी। उसी दिन सुबह मुझे पता चला था कि मेरे एक पसंदीदा सूफी गायक ने ये दुनिया छोड़ दी थी। मुझे कलाकारों के जाने का गम थोड़ा ज़्यादा होता है। तो मेरा मन अच्छा नहीं था। लेकिन, मैं जब दोपहर की नींद पूरी कर के बस उठी ही थी कि मेरा फोन बजने लगा।
वो मेरी बहुत पुरानी दोस्त थी। फोन उठाते ही उसने सीधा कहा- “सुशांत मर गया।”
सुशांत यानि सुशांत सिंह राजपूत। उनको मैंने उनकी मौत से बस एक महीने पहले ही इंस्टाग्राम पे फॉलो करना शुरू किया था, और उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा था। अपनी ही तरह मुझे वो कला और विज्ञान प्रेमी दोनों लगे। और मैं आपको बता नहीं सकती कि मुझे कितना दु:ख हुआ।
मेरे पास उस वक्त कोई था भी नहीं जिसके कंधे पर मैं सिर रख कर रो सकती। मैं कुछ देर के लिए बिल्कुल जड़ हो गई थी। खासकर इसलिए क्योंकि जैसा मैंने पहले बताया एक सूफी गायक में मौत की खबर भी मैंने झेली थी।
सामने वाला किस दौर से गुज़र रहा है आपको पता नहीं, पर किसी के गुज़र जाने की खबर सुनते हुए कुशनिंग करना न भूलें।
माईकल जैक्सन का एक गाना है कि हमारे चारों ओर लोग मर रहे हैं, पर हमें ज़िंदा लोगों को नहीं भूलना चाहिए, देयर आर पीपल डाईंग, इफ यू केयर इनफ फॉर द लिविंग…
पर ज़िंदा लोगों कि केयर करने के साथ यह भी ज़रूरी है कि हम खुद को ज़िंदादिल रखें। सुख और दु:ख को पूरी गहराई से महसूस करें।
मेरी जिस सहपाठी को हमने खो दिया, उसके जाने के ग़म को मैंने पूरा महसूस किया, पर एक दिन से ज़्यादा इस बात पर सोच नहीं दौड़ाई कि अब मेरा क्या होगा, या हमारा क्या होगा।
स्वास्थ्य शब्द दो शब्दों के मिलन से बना हुआ एक बड़ा प्यारा शब्द है, और वो दो शब्द हैं स्व (मैं)+ आस्थय (आस्था, श्रद्धा). जो खुद पर यकीन रखेगा, वही स्वस्थ रहेगा। जो खुद से प्रेम करेगा, वही हंसेगा और जीवित रहेगा। अपने आप और दूसरों से प्रेम हमारी सबसे बड़ी औषधि या दवाई है।
मूल चित्र : Still from Short Film How Are You/Pocket Films, YouTube