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कोवैक्सिन या कोविशील्ड? यह सवाल सभी के मन में है। और रूस से नयी स्पुतनिक वैक्सीन जो उपलब्ध हो रही उसका क्या?
नोट : ये लेख पहले यहां अंग्रेजी में पब्लिश हुआ और इसका हिंदी अनुवाद मृगया राय ने किया है
कोविड की दूसरी लहर ने भारत पर भारी वार किया है और सार्वभौमिक टीकाकरण की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। हालांकि, एक प्रश्न हम में से अधिकांश के मन में रहता है, और अक्सर इसका जवाब देना मुश्किल होता है- कौन सी वैक्सीन बेहतर है, कोवैक्सिन या कोविशील्ड?
इस पर लेख और अनुसंधान बहुत जटिल हैं। तो यहाँ आपके निर्णय लेने में मदद करने के लिए एक साधारण ब्रेकडाउन है।
फार्मईज़ी द्वारा किए गए अनुसंधान के अनुसार, दोनों टीके, कोवैक्सिन या कोविशील्ड, समग्र रूप से सुरक्षित और प्रभावी हैं। इसके अलावा, दोनों की दो डोज़ चाहियें, जो कि 6 सप्ताह के अवधि में प्रशासित होते हैं, और दोनों ही इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन हैं- ऐसा तरीक़ा जिसका किसी दवाई को मांसपेशियों की गहरायी तक देने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दवा को रक्त प्रवाह में जल्दी अवशोषित करने में मदद करता है।
कोवैक्सिन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है और भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित किया जा रहा है।
कोवैक्सिन 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को दिया जा सकता है जबकि कोविशील्ड को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए अनुमोदित किया गया है।
कोवैक्सिन या कोविशील्ड – कैसे तैयार होती है ये वैक्सीन?
कोविशील्ड एक सामान्य कोल्ड वायरस या एडेनोवायरस के कमजोर संस्करण पर आधारित है जो कि चिंपांज़ी में पाया जाता है, और इसे निर्धारित कोविड-19 एंटीजन, प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है।
कोवैक्सिन को अधिक पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है, जिसमें तनूकृत और मारे गए कोरोना वायरस का उपयोग किया जाता है, और एसएआरएस-सीओवी -2 कोरोनवायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सिखाता है।
प्रभावोत्पादकता
कोवैक्सिन यूके और ब्राजील के वेरिएंट पर प्रभावी है जबकि कोवीशील्ड यूके वेरिएंट पर प्रभावी है और ब्राजील के संस्करण के खिलाफ परीक्षण किया जा रहा है
भारत में कोविशील्ड को रोलआउट किया गया है और इसकी कुल प्रभावकारिता 70 प्रतिशत है।
कोवैक्सिन ने दूसरे अंतरिम विश्लेषण में 78 प्रतिशत प्रभावकारिता और ‘गंभीर कोविड -19 रोग’ के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है।
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद कोवैक्सिन ने कम दुष्प्रभाव दिखाए हैं, इस लिए यह नागरिकों और चिकित्सा समुदाय द्वारा पसंद किया जा रहा है।
यशोदा हॉस्पिटल्स में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट हरि किशन गोनगुंटला के अनुसार, कोवैक्सिन की तुलना में कोविशील्ड लगवाने वालों में ज़्यादा एलर्जी प्रतिक्रियाएं दिखी है।
हालांकि, उपयोग के लिए दोनों ही चिकित्सकीय परीक्षण द्वारा सुरक्षित ज़ाहिर की गयी है।
नोट: गर्भवती या स्तनपान करने वाली महिलाओं में उपयोग के लिए पीफाइजर और मॉडर्ना टीके को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन फिलहाल, भारत में, कोवैक्सिन या कोविशील्ड दोनों के लिए, सरकार गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के मामले में सावधानी के साथ आगे बढ़ रही है। इसलिए वैक्सीन लेने से पहले सुनिश्चित करे की आप स्वास्थ्य पेशेवरों को सूचित ज़रूर करें।
कोवैक्सिन के सामान्य दुष्प्रभाव
किसी गंभीर एलर्जी होने के बहुत कम चान्स है लेकिन उसके लक्षण होसकते है: सांस लेने में कठिनाई, चेहरे और गले की सूजन, तेजी से दिल की धड़कन, पूरे शरीर पर चकत्ते, चक्कर आना और कमजोरी, इनमें से कुछ भी होने पे तत्काल चिकित्सा मदद लेनी चाहिए।
कोवैक्सिन किसे नहीं लगवानी चाहिए
कोविशील्ड के सामान्य दुष्प्रभाव
अत्यन्त साइड इफेक्ट्स में समान एलर्जी रीऐक्शन, जो कि कोवैक्सिन में भी बताए गए है, के रूप में मुख्य रूप से शामिल हैं, जिसपर तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
कोविशील्ड किसे नहीं लगवानी चाहिए
आयातित, इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार विदेशी टीके जैसे स्पुतनिक-वी भी भारत में 1 मई से उपलब्ध हो जाएंगे।
इसके बारे में मुख्य तथ्य-
यह बिलकुल ज़रूरी है की हमें एक सूचित निर्णय लेने के लिए जितना संभव हो उतना अनुसंधान करना चाहिए, पर साथ ही यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने डॉक्टरों से वैक्सीन लगवाने से पहले सलाह लें।
भारत का वैक्सीन वितरण नेटवर्क चार गवर्न्मेंट मेडिकल स्टोर डिपो (GMSDs) के माध्यम से संचालित है –
जीएमएसडीस निर्माताओं से वैक्सीन की खरीद करता है। लगभग 53 स्टेट वैक्सीन स्टोर अपनीआपूर्ति या तो इन जीएमएसडी से या सीधे निर्माताओं से प्राप्त करते हैं। स्टेट वैक्सीन स्टोर फिर रोधक वैन के माध्यम से क्षेत्रीय, जिला और उप-जिला स्तरीय कोल्ड चेन पॉइंट्स को वैक्सीन वितरित करते हैं।
स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ और अब धीरे-धीरे 18-44 आयु वर्ग के लिए पंजीकरण खोल दिया गया है। वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जो इस प्रकार है-
पंजीकरण
भारत सरकार ने पंजीकरण के लिए दो ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध कराए हैं, जो टीकाकरण के लिए पहला कदम है- को-विन पोर्टल और आरोग्य सेतु ऐप।
पंजीकरण के बाद, जिसके लिए फोन नंबर और वैध फोटो पहचान दस्तावेज (उदाहरण के लिए आधार कार्ड या ड्राइवर का लाइसेंस – ज़्यादातर आधार कार्ड मांग रहे हैं) की आवश्यकता होती है, पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, और निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए प्रवेश मिलता है, जो की उपलब्ध अपॉइंटमेंट के साथ-साथ वैक्सीन भी प्रदान करते हैं।
ऑन-साइट पंजीकरण भी संभव है, लेकिन टीकाकरण के लिए जब जाए तो साथ उचित पहचान दस्तावेज ले जाना चाहिए, चाहे आप पहले से पंजीकृत हों या नहीं।
टीकाकरण का मूल्य
निजी केंद्रों में टीकाकरण का पैसा लगता है (पूर्व निर्धारित शुल्क 250 रुपये तक) और सरकारी केंद्रों में आप टीकाकरण मुफ़्त में करा सकते है।
यह निर्माताओं से वैक्सीन की वास्तविक मूल्य पर ख़रीदी के बावजूद है।
सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा, इस लेखन के समय, कोविशिल्ड (पर डोज़) की कीमत राज्य के अस्पतालों के लिए 300 और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपय है। भारत बायोटेक राजकीय अस्पतालों से 400 रुपये और प्राइवेट अस्पतालों से 1200 रुपये मांग रहा है। ये मूल्य फिलहाल, इन खरीदारों द्वारा बातचीत के अधीन हैं। ये रेट बदल रहे हैं। जाने से पहले सही रेट ज़रूर पता करें।
टीकाकरण का प्रमाणीकरण
पहली खुराक के बाद, एक अनंतिम प्रमाण पत्र मिलेगा और दूसरे शॉट के बाद, अंतिम प्रमाण पत्र दिया जाएगा, दोनों ही ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। हालांकि, टीकाकरण केंद्रों से प्रिंट आउट एकत्र किया जा सकता है।
टीकाकरण अभियान के कुछ ही महीनों में, पहले से ही असमानताएं देखी जा रही हैं। शहरी वर्सेस ग्रामीण विभाजन भी हैं, जो कि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन ना पहुँचने वाला लॉजिस्टिक लैग है।
भारतीय राज्यों और निजी हॉस्पिटल्ज़ को यह सूचित करने के लिए छोड़ दिया गया है कि सार्वभौमिक टीकाकरण कैसे प्राप्त किया जाए, क्योंकि केंद्र ने कुल आबादी के केवल 300 मिलियन लोगों को मुफ्त वैक्सीन प्रदान करने का प्रतिबद्ध किया है। इसके अलावा, वैक्सीन की कमी होने का जोखिम पहले से ही है, और कम से कम कुछ महीनों तक ऐसे ही हालत रहने की भविष्यवाणी की गयी है।
हालांकि स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता वैक्सीन प्रदान करने और दूसरी लहर से जूझने में अपनी सभी ऊर्जाओं का विस्तार कर रहे हैं, यह भविष्यवाणी की गयी है कि वैक्सीन का बाजार में आना आसान होना केवल 2022 तक ही हो पाएगा। हालांकि, उद्देश्य यह है कि हर्ड इम्यूनिटी हासिल करके, वायरस कम हो जाए।
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कोविशील्ड पर फैक्टशीट
कोवैक्सिन पर फैक्टशीट
मूल चित्र: YouTube
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