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इस बार की ईद कुछ ऐसी हो…

इस ईद कुछ तो चमत्कार सा हो, ये बेबसी ये बैचेनी अब दूर तो हो, साँसों पर अब कोई उधार ना हो, इन साँसों में फिर से बहार सी हो...

इस ईद कुछ तो चमत्कार सा हो, ये बेबसी ये बैचेनी अब दूर तो हो, साँसों पर अब कोई उधार ना हो, इन साँसों में फिर से बहार सी हो…

इस बार की ईद कुछ ऐसी हो

साथ में फिर से दावत हों

ख़ुशियाँ भी बिन भय के हों

गले मिलने की फिर आज़ादी हो

ना कोई क्रंदन बस्ती में हो

ना कोई क्रंदन मेरे मन में  हो

दुआ मेरी इस बार क़बूल हो

इस बार की ईद कुछ ऐसी हो

मेरे प्रियजन सब घर में हों

वतन में भी सब मंगल हो

बाज़ारों में फिर से रौनक़ हो

इस बार की ईद कुछ ऐसी हो

इस ईद कुछ तो चमत्कार सा हो

ये बेबसी ये बैचेनी अब दूर तो हो

साँसों पर अब कोई उधार ना हो

इन साँसों में फिर से बहार सी हो

चाहे कपड़े चीजें सब पुराने हों

पर मेरे ऊपर माँ बाप का साया हो

घर में बच्चों की किलकारी हो

इस बार ईद की कुछ ऐसी हो

कहीं कोई बची साँसों को ना तरसे

कहीं कोई दवाई को ना तरसे

हर घर अब फिर से ख़ुशियाली हो

इस बार ईद कुछ ऐसी हो

मूल चित्र : Eid Mubarak Ads/2Bro’s TV, YouTube

About the Author

SHALINI VERMA

I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...

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