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बच्चों में मानसिक तनाव के 10 लक्षण और उसे कम करने के 9 टिप्स

कोरोना काल में हर माता पिता को एक और बड़ी चिंता है कि कैसे वो अपने बच्चों में मानसिक तनाव के लक्षण पहचानें, और उसे कम करने के लिए क्या करें? 

कोरोना काल में हर माता पिता को एक और बड़ी चिंता है कि कैसे वो अपने बच्चों में मानसिक तनाव के लक्षण पहचानें, और उसे कम करने के लिए क्या करें? 

कोरोना वायरस अपने साथ कई चुनौतियों को लाया है। पिछले एक साल से ऊपर का समय गुजर चूका है इस अदृश्य वायरस से हमें लड़ते हुए।

चारों ओर महामारी का डर और उस पर अपनों को खोने का ग़म, इससे ना सिर्फ हम बल्कि हमारे बच्चे भी तनावग्रस्त हो रहे हैं।  उनमें एक अनकहा सा डर घर कर रहा है। इसलिए, कोरोना काल में जहाँ हम कई तरह शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं वहीं एक और समस्या मुँह खोले हमें चुनौती दे रही है और वो है बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या। 

एक माँ होने के नाते मैं अपने बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य को ले कर हमेशा चिंतित और सजग रहती हूँ। लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो मेरी तरह ही कई माता पिता है जो इस विषय में अपनी अनिभिज्ञता जाहिर करते हैं।

इस कोरोना काल में अपने दोनों बच्चों के मानसिक स्वस्थ के प्रति मेरी चिंता ने मुझे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के विषय में पढ़ने के लिये प्रेरित किया। और आज का माहौल और कई परेशान माता पिता को देख मैंने अपनी जानकारी, जो मैंने भी इंटरनेट से इकट्ठी की है और अपनायी है, को आप सब के साथ भी सांझा करनी चाही है। 

क्या बच्चे भी कभी तनाव में होते हैं?

हम में से कई लोगो के लिये ये विषय चौंकाने वाला हो सकता है कि क्या बच्चे भी मानसिक तनाव में होते हैं?

शायद हम में से कई माता पिता इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते की उनका बच्चा तनाव में हो सकता है। लेकिन यकीन माने आज जो भय और चिंता का माहौल है उससे सिर्फ हम नहीं, हमारे बच्चे भी तनाव ग्रस्त हो रहे है। 

शारीरिक समस्या हम देख लेते है और उसका हल भी हम ढूंढ लेते हैं लेकिन कई बार मानसिक स्वास्थ्य को हम परख ही नहीं पाते।

बच्चों की उदासी या उनका अचानक से उग्र व्यवहार को हम कई बार नज़र अंदाज कर जाते हैं।

लेकिन अब वक़्त आ गया है कि हम ना सिर्फ इस विषय पे बात करें, लेकिन साथ ही अपने बच्चों को इस मनोदशा से निकालने का भी प्रयास करें।

आइये जानने का प्रयास करते हैं कि इस कोरोना काल में हमारे बच्चे किस प्रकार मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं? कैसे हम अपने बच्चों के लक्षणों की पहचान कर सकते हैं? साथ ही कुछ बिंदु जिन पे अमल कर हम अपने बच्चों को मानसिक मजबूती दे सकते हैं। 

बच्चों को घर में बंद रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य

कोरोना वायरस का भय और लम्बे चले लॉक डाउन ने बड़े, बूढ़े और बच्चे सभी को घरों में कैद कर दिया है। एक साल से लंबा वक़्त बीत गया स्कूल बंद हुए। बड़े तो फिर भी इस रोग की जटिलता समझते और इसके खतरे को भी जानते हैं, लेकिन बच्चों का क्या? उन्हें समझना और घरों में कैद करना बेहद मुश्किल काम होता है।

बच्चे जिन्हें अपने दोस्तों के साथ खेलना, स्कूल जाना और मस्ती करने की आदत होती है उन्हें घर में बंद करना बेहद चुनौती पूर्ण होता है। 

लॉक डाउन के कारण बच्चों से उनका स्कूल, दोस्त और खेल कूद सब छूट गया है। घर में बंद होने के कारण बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर हो गई है। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई और समय बिताने के लिये बच्चे हमेशा फ़ोन में लगे रहते हैं, जिसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पे पड़ता है और बच्चों में अकेलापन, चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है की वो कैसे इस कठिन समय में अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखे। 

बच्चों में मानसिक तनाव के 10 लक्षण

  •  बच्चा चिंतित हो या उसे घबराहट हो रही हो
  • खाने पीने में अरुचि हो जाना
  • देर रात तक जागना
  • चिड़चिड़ा होना, ज्यादा गुस्सा आना, या अधिक शांत हो जाना
  •  कम आत्मविश्वास होना
  • थकान, सरदर्द और बेचैनी होना
  •  जीवन के प्रति नकारात्मक रवैया
  • अकेले रहना
  • खुद को चोट पहुंचना
  •  बिस्तर गीला करना

बच्चों के बढ़ते मानसिक तनाव के लक्षण के बाद आइये जानें कि उसे कम कैसे करें

ये तो थे कुछ बिंदु बच्चों में तनाव के लक्षणों को पहचानने के। आइये जाने लक्षणों की पहचान के बाद माता पिता कैसे अपने बच्चे को संभाले और उनके तनाव को कम करें।

बच्चों की जिज्ञासा को शांत करें

जितने परेशान और जिज्ञासु आज हम हैं उससे कम हमारे बच्चे नहीं है उनके मन में भी इस वायरस को ले कर ढेरों सवाल और भय हो सकते हैं। ऐसे में जरुरी है कि माता पिता अपने बच्चों की बातें सुनें उनके मन की जिज्ञासा को सही जवाब से शांत करें। बच्चों के साथ समय बिताने से भी बच्चे कई बार तनाव मुक्त हो जाते है। 

टेक्नोलॉजी का उपयोग

दोस्तों और परिवार से दूरी बच्चों को अवसाद में ले जाती है। माता पिता कोशिश करे की बच्चों को वीडियो कॉल या फ़ोन के द्वारा उनके दोस्तों से बात करवाये साथ ही परिवार में बुआ, कजिन भाई बहन जैसे सदस्यों जिनसे बच्चे अधिक लगाव रखते हो, उनसे वीडियो कॉल पे बातें करवाये।

बच्चों को नई चीज़ें सीखने के लिये प्रोत्साहित करें

मोबाइल में गेम्स खेल कर बोर हो चुके बच्चों को आर्ट वर्क या पेंटिंग करने, नये इंडोर गेम्स खेलने के लिये माता पिता को प्रोत्साहित करना चाहिये। जिससे उनका वक़्त का सही इस्तेमाल हो साथ ही अगर जगह हो तो बालकनी या छत पे बच्चों के साथ योगा या एक्सरसाइज या कोई भी फिजिकल गेम्स खेले, जिससे बच्चों का मन भी शांत रहे और तनाव से भी बच्चे दूर रहे। 

दादी नानी का साथ

घर में अगर बड़े बुजुर्ग हैं तो कोशिश करें कि बच्चे उनके साथ समय बितायें। बच्चे अपनी दादी नानी से प्रेरणादायक कहानियाँ सुनें, उनसे पहले आ चुकी महामारी के संबन्ध में जानकारी ले तो काफ़ी हद तक बच्चे खुद को भी इस माहौल में ढालने की कोशिश करेंगे। 

बच्चों का स्क्रीन टाइम घटायें 

कोरोना काल में हर जगह बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। ऐसे में कोशिश करे की पढ़ाई के अलावा बच्चे स्क्रीन से दूर रहें। बच्चों को स्क्रीन से दूर कर उन्हें किताबों से दोस्ती करवायें, माता पिता बच्चों के साथ संगीत सुनें, उनके साथ डांस करे साथ ही रसोई में भी छोटी छोटी मदद लेना बच्चों के मानसिक तनाव के लक्षण को कम करता है। 

बच्चों की एक रूटीन बनायें

स्कूल बंद है और सुबह उठने की कोई जल्दी नहीं है, इसका मतलब ये नहीं की बच्चे देर रात तक जगे। बच्चों के उचित विकास में नींद बहुत आवश्यक होती है। स्लीप फाउंडेशन के अनुसार कम नींद लेने से भी बच्चों में तनाव का स्तर बढ़ता है इसलिए भी बहुत जरुरी है की 6 से 12 साल तक के बच्चे 9 -10 घंटे की नींद ले, इससे उनके इम्मून सिस्टम भी मजबूत होगा साथ ही तनाव भी कम होगा। 

अच्छी डाइट

रिसर्च कहती है की खान पान का भी मानसिक स्वास्थ्य पे सीधा प्रभाव डालती है।  एक संतुलित आहार ना सिर्फ बच्चों को कई संक्रमण से बचाएगा साथ ही बच्चों के मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खाने में प्रोटीन, फाइबर युक्त आहार के साथ सेब जैसे फल रोज़ाना बच्चों को देना चाहिये। सेब में एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो ऑक्सीडेशन डैमेज में मदद करता है। 

बच्चों के दोस्त बनें

एक स्टडी के अनुसार खेलकूद के कारण ख़ुशी देने वाले हॉर्मोन एंडोर्फिन निकलता है। जिससे नकारात्मक विचार कम होते हैं और तनाव का स्तर घटता है। माता पिता का साथ बच्चों के लिये बहुत जरुरी है। परेशानी में माता पिता का साथ पा बच्चे संतुष्ट होते हैं।

माता पिता चाहे जितने भी व्यस्त क्यों ना हो उन्हें बच्चों के लिये कुछ समय निकालें और उनके दोस्त बनने का प्रयास करें उन्हें अपने दिल की बात बताने को प्रेरित करें। बच्चों के साथ खेलने उनसे बातें करने से ना सिर्फ बच्चों का तनाव घटता है, साथ ही उनका आत्मविश्वास और सामाजिक रुझान भी बढ़ता है। 

बच्चों की कमियाँ नहीं खूबियाँ गिनायें 

बच्चों की कमियाँ गिनाने और बेवजह उन पर चिल्लाने की बजाए उन्हें उनकी ताकत बताएँ। बच्चों को ये ना कहें कि, “तुम ये भी नहीं कर सकते?” बल्कि वो क्या कर सकते है ये बताएँ। 

बच्चों का भविष्य ही हमारी बुनियाद

बच्चे हमारी और हमारे देश की धरोहर है। बच्चों का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है। कोरोना काल का ये भय युक्त माहौल तो कुछ समय बाद बीत जायेगा। लेकिन हमारे बच्चों के ऊपर जो इसका असर हुआ है अगर वो सही समय पे पहचान कर दूर नहीं किया गया तो इसका असर बच्चों पे हमेशा के लिये रह जायेगा। इसलिए ज़रूरी है कि बच्चों में तनाव के लक्षण पहचानें और उसे इग्नोर न करें। 

उन्हें ये एहसास दिलाते रहें कि ये वक़्त भी बीत जायेगा और माता पिता के रूप में आप हमेशा उनके साथ हैं।

मैंने तो इन बातों पे अमल कर अपने बच्चों की मजबूत मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर लिया है। अब आपकी बारी है समय रहते अपने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना। याद रखे बच्चे के सुनहरे भविष्य पे ही हमारी बुनियाद टिकी है। 

डिस्क्लेमर : ये जानकारी मैंने सोशल मीडिया से इकठ्ठी की है, अपने बच्चे में यदि आप तनाव के कोई भी लक्षण देखते हैं तो आपको एक्सपर्ट से राय लेनी चाहिए। 

 

मूल चित्र: ScoopWhoop Via Youtube 

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