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रिद्धि संयुक्त परिवार से थी अतः उसे रिश्तों की समझ थी। वह सोच चुकी थी कि ब्याहता ननद के साथ कभी सहेली तो कभी बहन की तरह रिश्ता निभाएगी।
छोटी-छोटी खुशियों को सहेज कर रखने वाली रिद्धि मन में अनेक उम्मीदें लेकर ससुराल आई, जितना पति के प्रति उसकी आशाएं थी, उतनी ही परिवार के अन्य लोगों के प्रति भी थी।
रिद्धि संयुक्त परिवार से थी अतः उसे रिश्तों की समझ थी। वह सोच चुकी थी कि ब्याहता ननद के साथ कभी सहेली तो कभी बहन की तरह रिश्ता निभाएगी। छोटी-छोटी खुशियों को सहेज कर रखने वाली रिद्धि मन में अनेक उम्मीदें लेकर ससुराल आई, पर यहाँ सब कुछ उसके मन के विपरीत था।
घर पर ननद दीपिका का एकाधिकार था, उसका कहा मानो पत्थर की लकीर होती। मायके में अपना पक्ष कमजोर न हो इसीलिए, दीपिका, आज के आधुनिक समय की हो कर भी रिद्धि को चार दिवारी में कैद देखना चाहती थी। रिद्धि की हर इच्छा पर उसकी टेढ़ी नजर होती।
दिपिका, भाई-भाभी में फूट डलवाने का हर संभव प्रयास करती, बात बात में रिद्धि को कमतरी का एहसास करवाती। रिद्धि और उसके पति के मध्य नीजता बाधित करने के उद्देश्य से बच्चों को उनके साथ सोने भेजती। सब ठीक हो जाने के उम्मीद में रिद्धि ये सब नज़रअंदाज करती रही।
दीपिका अक्सर मायके में ही रहती, इस तरह उसके व उसके ससुराल वालों के बीच दूरी उत्पन्न होने लगा। दीपिका जब वापस ससुराल गई उसका सामना पति के बदले हुए रूप से हुआ।
इसी बीच एक कार एक्सीडेंट में दीपिका के माता-पिता का आकस्मिक निधन हो गया, अब वह मायके में कम ही हक जता पाती थी। ऊपर से रिद्धि का मुंह देखना उसे बिल्कुल भी रास नहीं आता क्योंकि माता पिता की मृत्यु का जिम्मेदार उसने रिद्धि को अशुभ कदमी कहकर ठहराया। रिद्धि के साथ उसका रिश्ता खंडित हो चुका था।
लेकिन वो कहते हैं कि वक्त अपने किए की सजा सबको देता है। दीपिका उस पायदान पर खड़ी थी जहां अपना दुखड़ा सुनाने के लिए उसके पास कोई नहीं बचा।
दीपिका को सास व पति अब उससे काफी नाराज़ थे और उससे रिश्ता नहीं रखना चाहते थे। वे मानते थे कि वो ज़्यादा मायके में रहकर भी अपनी ही भाभी की नहीं हुई वह हमसे क्या नाता निभाएगी।
दीपिका काफी परेशान हो चुकी थी। पश्चाताप के आंसू बहाते वह मायके आई। लेकिन उसकी आशा के विपरीत, रिद्धि ने उसे माँ की कमी को बिलकुल महसूस नहीं होने दिया। उसकी तकलीफ समझते हुए उसके ससुराल वालों से बात भी की।
परिस्थिति को संभालते हुए उसने दीपिका की गृहस्थी को उजड़ने से बचा लिया।
देर सवेर दीपिका को यह बात समझ आ ही गई की मायका सिर्फ माँ से ही नहीं भाभी से भी होता है, माँ के बाद माँ का फर्ज निभाने वाली मायके में भाभी भी हो सकती है।
मूल चित्र: Prega News/Women’s Day Film, YouTube
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