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प्राइड मंथ शुरू हो गया है और मैं आपका नज़रिया जानना चाहती हूँ

प्राइड मंथ में मेरा एक प्रश्न है क्या ये समानता वैसी ही है जैसी आपको महिला और पुरुष में चाहिए? या कहीं आप सलेक्टिव इक्वलिटी का हिस्सा तो नहीं?

प्राइड मंथ में मेरा एक प्रश्न है क्या ये समानता वैसी ही है जैसी आपको महिला और पुरुष में चाहिए? या कहीं आप सलेक्टिव इक्वलिटी का हिस्सा तो नहीं?

आज से प्राइड मंथ शुरू हो गया है और ये जून के पूरे महीने मनाया जायेगा। खैर ये तो आपको आज अपने सोशल मीडिया टाइमलाइन से पता चल चुका होगा। क्योंकि आज से हम सब LGBTQIA+ कम्युनिटी को सेलिब्रेट जो करेंगे। मीडिया प्लेटफॉर्म्स, कॉर्पोरेट वर्ल्ड, फेमिनिस्ट्स, इन्फ्लुएंसर्स, एक्टर्स आदि सब प्राइड रेनबो से अपने फीड को सजाएंगे और अपनी चिंताएं व्यक्त करेंगे। आखिर हम सब समानता में जो विश्वास करते हैं।

लेकिन यहां मेरा एक प्रश्न है। क्या ये समानता वैसी ही है जैसी आपको महिला और पुरुष में चाहिए? या कहीं आप आपकी सलेक्टिव इक्वलिटी का तो हिस्सा नहीं? अगर मेरा प्रश्न नहीं समझ आया तो आगे पढ़िए।

गुंजन सक्सेना, प्रियंका चोपड़ा, मैरी कॉम, मलाला युसूफ, आपकी बेटी या बहन आदि उन सभी महिलाओं पर आपको गर्व है ना जो समाज की रूढ़िवादी सोच को ठोकर मार आगे बढ़ रही हैं? क्योंकि आज हम सब पितृसत्ता को चुनौती देकर महिलाओं का साथ दे रहे हैं। और इसी साथ की वजह से महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।

क्या आप इसी तरह क्वीर कम्युनिटी का साथ देते हैं?

तो मेरा प्रश्न बस इतना था कि क्या आप इसी तरह क्वीर कम्युनिटी का साथ देते हैं? या पूरी चिंताएं सिर्फ इस एक महीने – प्राइड मंथ के लिए बचाकर रखते हैं।

जरा सोचिये, अगर महिलाओं को भी सिर्फ इसी तरह का साथ मिलेगा तो वो आगे बढ़ पाएगी? क्या महिलाओं के लिए सिर्फ 365 में से 30 दिनों का सपोर्ट काफी है? ज़वाब सोचियेगा ज़रा…

उम्म्म…लेकिन आप तो उनका साथ देते हैं। अपने हर फंक्शन में याद करते हैं। तो आपकी कोई गलती नहीं है। है ना?

बिलकुल, आप ट्रांसजेंडर्स को नवरात्रि के दौरान, शादी, बच्चे के जन्म आदि सब में आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करते हैं। लेकिन यदि आपको उनके आशीर्वाद की आवश्यकता है तो आप उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं लेकिन जब उन्हें आपकी आवश्यकता होती है कि आप उनका सम्मान करें या उनके साथ समान व्यवहार करें तो आप इसके खिलाफ जाते हैं और उनके प्रति असभ्य होते हैं।

बाजार में या काम पर देखकर आप हंसते हैं, उन्हें घूरते हैं और अपने आप को उनसे दूर कर लेते हैं। बस, ट्रेन आदि में कहीं गलती से वो आपके पास न बैठ जाए, इसी बात का डर रहता है ना? तो क्या आप वाकई उन्हें समझते हैं?

हाँ, हमारे यहां एक महिला और एक ट्रांसवुमन के साथ भी अलग-अलग व्यवहार होता है

किसी के भी साथ दुर्व्यवहार हो, ये एक अपराध है। और अपराध के खिलाफ आवाज उठाना और अपराधी को सजा दिलाना सभी का हक़ है। लेकिन यहां भी LGBTQIA+ के पास वो हक़ नहीं है। भारत में ट्रांस लोगों को अभी भी बहुत अधिक हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

क्या आपने पिछले एक साल में हुए LGBTQIA+ समुदाय के व्यक्तियों के साथ हुए अपराधों के केसेस को न्यूज़ में देखा? क्या कभी सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ? कभी उनका साथ दिया?

लेकिन अब इस प्राइड मंथ में हर एक मीडिया प्लेटफॉर्म, कॉर्पोरेट कंपनीज़ अपने-अपने कैंपेन के साथ आएंगे। वही जो पूरे साल में मुश्किल से एक या दो केसेस भी रिपोर्ट नहीं करते। क्योंकि वे हमारे देश में अल्पसंख्यक की श्रेणी में भी नहीं हैं। क्या आपको भी ऐसा लगता है यहां हेट्रोसेक्सुअल महिलाएं कई हद तक प्रिविलेज्ड हैं?

सिर्फ 1 महीना – ‘प्राइड मंथ’? क्या ये उनके हिस्से के प्यार और सम्मान के लिए काफी है?

आज भारतीय फिल्मों में भी, उनकी समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के बजाय, उन्हें अक्सर कैरिकेचर के रूप में दिखाया जाता है, जिससे उनके आसपास के सामाजिक कलंक और भेदभाव बढ़ता है। इसीलिए 1 महीने का समय उनके हिस्से के प्यार और सम्मान के लिए काफी नहीं है।

अगर ये सब रोकना है तो भारतीय समाज में क्वीर समुदाय के बारे में फैली इस अज्ञानता को जल्द से जल्द बदलने की जरूरत है, और यह केवल लोगों में जागरूकता फैलाने और ट्रांस लोगों को शिक्षा, सम्मान और नौकरी देने के साथ-साथ उन्हें दिए कानूनी हक़ों के द्वारा ही किया जा सकता है।

हाँ, अपने सपनों को एक ऐसे समाज में हासिल करने की कोशिश करना जहां लोग हर कदम पर उनका मजाक उड़ाते और परेशान करते हैं, उनके जीवन को और भी कठिन बना देता है।

अगर ये कुछ बातें आप अपना लेंगे तो हो सकता है कल को आपके बच्चे का ही भविष्य बेहतर हो

अपने आप को शिक्षित करें

सबसे पहले LGBTQIA+ समुदाय को लेकर, ह्यूमन सेक्सुअलिटी को लेकर अपने मिथकों को दूर करें। आप पहले समझें की आख़िर ये क्या है और क्यों है। अनलर्निंग इज़ इम्पोर्टेन्ट! 

फ़ोबिक व्यवहार को रोकें

अगर कोई किसी की सेक्सुअलिटी के लिए टिप्पणी या दुर्व्यवहार/हिंसा करता है, तो कदम बढ़ाएं और उस व्यक्ति को टोकें। ये सिर्फ एक कदम अगर आप हर बार उठाएंगे तो यक़ीनन आप बहुत बड़ा बदलाव ला रहे हैं।

जहां भी कर सकते हैं, मदद करें

यदि आपके पास घर है, तो इसे उन ट्रांस महिलाओं को किराए पर दें जो रहने के लिए जगह चाहती हैं। अपने भाई-बहन, दोस्त, रिश्तेदार जो भी समलैंगिक के रूप में अपनी पहचान करने में मुश्किलों का सामना कर रहें हैं, उनसे बात करें और भरोसा दिलाएं कि आप उनके साथ हैं। अगर किसी को नौकरी दे सकते हैं तो क्विर समुदाय को मौका दें।

हानिकारक टिप्पणियां फॉरवर्ड करने से बचें

LGBTQIA + विरोधी टिप्पणियां और चुटकुले हानिकारक है। अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों को बताएं कि आप इस तरह के जोक फॉरवर्ड करने के खिलाफ हैं। उनसे प्रश्न करें कि आखिर इसमें क्या गलत है। हाँ, वे आप पर गुस्सा भी कर सकते हैं लेकिन आप पीछे न हटें।

उन्हें आपको उनके अनुभवों के बारे में बताने दें (पूछने के बजाय)

वे बहुत सारी चीज़ों से गुज़रते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं है वे हर बार आपको बताना चाहें। किसी ऐसी बात के बारे में बताने के लिए उन पर दबाव न डालें जो दर्दनाक या ट्रिगर करने वाली हो सकती हैं। अगर वे चाहते हैं तो वे आपको बताएंगे। और अगर वे बता रहे हैं तो ध्यान रखें, अपने प्रश्नों को पूछते समय एक सीमा रखें और सम्मान करें।

तो इस बार प्राइड मंथ के बाद भी आप एलजीबीटीक्यूआइए+ का साथ देंगे ना? आइये हम सब एक दूसरे के मित्र बनें। 

मूल चित्र : Still from short film No Clapping/AKS Films, YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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