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एक स्त्री को हर समय परखने वाले ये लोग सामने क्यों नहीं आते?

मंदिरा बेदी ने जींस-टी शर्ट क्यों पहनी? क्या उन्हें नहीं पता साड़ी या सलवार सूट इस समय बेस्ट ड्रेस होती। कपड़े ही तो संस्कार की निशानी हैं...

मंदिरा बेदी ने जींस-टी शर्ट क्यों पहनी? क्या उन्हें नहीं पता साड़ी या सलवार सूट इस समय बेस्ट ड्रेस होती। कपड़े ही तो संस्कार की निशानी हैं…

बचपन में आप सबने कभी न कभी अपनी दादी, नानी या फिर बड़े बूढ़ों से सुना होगा कि “बेटा कुल उद्धारक है। बेटे के हाथों की मुखाग्नि के बिना मनुष्य का परलोक गमन नहीं हो सकता।”

धीरे-धीरे ये सब पुराने समय की बातें लगने लगी। समाचारपत्रों में अक्सर देखा जाने लगा कि आजकल बेटियां, अपने माता-पिता की देखभाल बेटों से बेहतर तरीके से करती है और मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार भी करती है। कहीं न कहीं यह हमारे प्रगतिशील समाज को दर्शाता है कि महिला सिर्फ संवेदनशील ही नहीं बल्कि जरूरत पड़ने पर मजबूती के साथ सारे कर्तव्य निभाती है।

ऐसा ही कुछ देखा गया पिछले दिनों…

मंदिरा बेदी के पति की मृत्यु के पश्चात रोती बिलखती मंदिरा ने जिस मजबूती से अपने सारे कर्तव्य निभाए उसे देखकर किसी भी प्रगतिशील एवं भावुक समाज को गर्व महसूस करना चाहिए। लेकिन अफसोस कि इस दुःख के समय भी लोगों को मंदिरा के कपड़े, जूते और घड़ियां दिखाई दी।

सोशल मीडिया के इस समय में जहां लोगों की प्राइवेसी कोई माएने नहीं रखती खासतौर पर सिलेब्रिटीज की, मिडिया ने राज कौशल (मंदिरा के पति) के अंतिम संस्कार रिचुअल्स का कवरेज कर प्रत्येक व्यक्ति के हाथों तक पहुंचाया।

मंदिरा ने जींस- टी शर्ट क्यों पहना?

और फिर मंदिरा के संस्कार की कसौटी उनके कपड़ों से नापी जाने लगी। उन्होंने जींस- टी शर्ट क्यों पहना? ट्रोल्स के मुताबिक साड़ी या सलवार सूट इस समय के लिए बेस्ट ड्रेस होती।

मंदिरा के दोनों हाथों में घड़ियां देखकर भी ट्रोल्स परेशान हो गए। उनके मुताबिक मंदिरा को ऐसे समय दो घड़ियां पहनने का कैसे ध्यान रहा? अगर आप मंदिरा के फॉलोवर रहें हैं तो आपको पता होगा कि मंदिरा हमेशा अपने एक हाथ में फिटनेस वॉच पहनती हैं।

बेटे के होते हुए मंदिरा ने पति को कंधा और मुखाग्नि क्यों दी?

ट्रोल्स का अगला सवाल था कि बेटे के होते हुए मंदिरा ने पति को कंधा और मुखाग्नि क्यों दी? बाइस साल तक सुख दुख में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली औरत अपने पति को कांधा नहीं दे सकती? मंदिरा ने समाज की उस रूढ़ीवादी मानसिकता को तोड़ा।

अंतिम समय पति को कंधा देकर मंदिरा ने अपना आखिरी फ़र्ज पूरा किया तो लोगों को इतनी परेशानी क्यों होती है, समझ से परे है। मंदिरा और राज का बेटा अभी सिर्फ दस वर्ष का है। क्या ये सही होता कि एक छोटे से बच्चे, जो कि अपने पिता के अचानक चले जाने से सदमे में हैं उससे अंतिम संस्कार करवाया जाता?

अपनी पति की फिटनेस का ‘ध्यान’ रखना चाहिए था?

कुछ ट्रोलर्स ने मंदिरा के फिटनेस का मज़ाक बनाते हुए यहां तक कह दिया कि आपको अपने पति की फिटनेस का ध्यान रखना चाहिए था। ऐसी बात कहते हुए वो भूल जाते हैं कि मृत्यु पर किसी का बस नहीं चलता। यदि ऐसा होता तो हजारों की जान बचाने वाले डॉक्टर्स कभी न मरते। यदि फिटनेस से ही बीमारियां रूक जातीं तो बड़े बड़े खिलाड़ियों को हार्ट अटेक न आता या वो बीमार न पड़ते।

लेकिन टॉल्स की इस बात का मतलब ये भी समझा जा सकता है कि एक आदर्श पत्नी अपने पति की हर चीज़ का ध्यान रखती है और ज़रुरत पड़ने पर सावित्री भी बन सकती है। एक पत्नी का काम है सिर्फ अपने पति रखना…खैर!

अफसोस इस बात का हैं कि इन ट्रॉल्स में अच्छी खासी संख्या महिलाओं की थी। यदि एक महिला, दूसरी महिला की भावना नहीं समझती तो उस समाज में महिलाओं की उन्नति होना मुश्किल है।

आखिर में ट्रोलर्स आपके लिए मेरे पास सिर्फ एक ही जवाब है कि राज कौशल के निधन के बाद से न्यूज़ चैनल, वेब पोर्टल या सोशल मीडिया हर जगह एक ही हेडलाइन थी “मंदिरा बेदी के पति राज का निधन”

मंदिरा जींस पहनकर नहीं बल्कि बहुत पहले ही जेंडर स्टीरियोटाइप ब्रेक कर चुकी हैं और अफसोस कि आपको पता भी नहीं चला।

मूल चित्र : News18.com/Mandira Bedi IG

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