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मेरा जीवन साथी दिखने में मॉडर्न हो लेकिन ख्याल मेरी माँ की तरह रखे…

नवरस की गिटार कम्बी मेले निंद्रू बताती है पुरुष कैसे मार्डन जीवन साथी की तलाश तो करते हैं लेकिन उसमें अपनी मां की सोच भी खोजते हैं।

नवरस की गिटार कम्बी मेले निंद्रू बताती है पुरुष कैसे मार्डन जीवन साथी की तलाश तो करते हैं लेकिन उसमें अपनी मां की सोच भी खोजते हैं।

कोराना महामारी के दौरान जब भारत के लोगों की दुनिया थम गई। ओटीटी प्लेटफार्म मनोरंजन के एक विकल्प की तरह उभर कर सामने आए। लॉकडाउन की वज़ह से फिल्मों का निर्माण पूरी तरह से ठप्प पर गया, जिसका बहुत बड़ा असर फिल्मों को बनाने वाले क्रू मेम्बर्ज़ के जीवन पर पड़ा।

दक्षिण के दो दिग्गज फिल्म निमार्ता  मणिरत्नम और जयेश ने दक्षिण के फिल्मों के निर्माण में सहयोग करने के इरादे से एक बड़ा फिल्म शो बनाने का फैसला किया, जिसका पैसा क्रू मेंबरों को मिलना तय हुआ। इस सहयोग में दक्षिण के फिल्म कलाकार और कई निर्माता-निर्देशक सामने आए।

सभी ने मानवीय संवेदना के रस करूणा, श्रृंगार, हास्य, वीर,वीभत्य, भयानक, रौद्र, अद्भत और शांत रस पर अपनी-अपनी कहानी कहने की योजना बनाई और यह प्रोजेक्ट बना नवरस । मूल रूप से यह अभिनय के मूल शास्त्र भरतमुनी के नाट्यशास्त्र पर कही गई 9 कहानियां हैं, जो बीते दिनों नेटफिल्क्स पर रिलीज़ हुई। बेशक यह एक बेहतरीन प्रयास है, पर नवरस की नौ कहानियां दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब हो सकेगी, यह कहना कठिन है।

इन नवरस में श्रृगांर रस पर कही गई कहानी “गिटार कम्बी मेले निद्रे” जिसका निर्देशन गौतम वासुदेव मेनेन ने किया है थोड़ी चर्चा में है, जो एक इमोशनल रोमांस पर आधारित है। इसका काम चलाऊ हिंदी मतलब “दिल के तार पर बनते धुन” कह सकते हैं।

क्या कहानी है नवरस 9 की ‘गिटार कम्बी मेले निंद्रू’ की

कमल(सूर्या) एक म्यूज़िशियन है। वह जिंदगी के भावों को संगीत के धुनों में पिरोता है। इन भावों में महिलाओं के साथ जुड़े हुए प्रेम भाव के साथ सम्मान के भाव को वह अपने संगीत में पिरोता है। प्रेम के भावों के साथ वह जिस तरह का संगीत पिरोता है, इसके लिए वह लंदन जाना चाहता है। उसे लगता है वह जिस तरह का काम करना चाहता है, उसके लिए भारत सही जगह नहीं है।

तभी उसकी मुलाकात नेत्रा(प्रज्ञा मार्टिन) से होती है जो एक सिंगर है। पहली मुलाकात से ही वह नेत्रा के साथ अनकहे प्रेम भाव से बंधने लगता है। वह भी इसलिए क्योंकि नेत्रा जब उससे मिलती है, तो वह उसकी मां की तरह ही साउंड भी करती है और उसके अपने ख्य़ाल के तरह भी साउंड करती है। वह कमल की मां और कमल दोनों की ही तरह सोचती-समझती और मिश्रित व्यवहार करती है। कमल इसको एक हूक की तरह देखता है।

कमल यह सब फ्लैशबैक में सुना रहा है। जीवन में प्यार के साथ-साथ अलगाव भी जगह बनाती है। नेत्रा से पहली मुलाकात का यह अनुभव और उससे निकली धुन उसे जीवन के बारे में बहुत कुछ सिखाती है। कमल को एक अच्छा संगीतकार बनाती है और नेत्रा इन कहानियों में एक खूबसूरत गीत बन जाती है।

क्यों अलग है नवरस 9 की ये कहानी

कहानी जब तक संगीत और जीवन के भावों में संगीत खोज रही होती है, तो काफी झूमती-गाती हुई लगती है। तब कहानी वहां आकर थोड़ी कंज़रवेटिव साउन्ड करती है, जब मुख्य चरित्र अपनी प्रेमिका में मां को तो खोजता ही है, साथ-साथ उसी की तरह खाब-ख्याल रखने वाली लड़की को पसंद करने लगता है।  यह कहीं न कहीं सिग्मन फ्रायड के ओडीपस कॉम्प्लेक्स की तरह ही है कि हर पुरुष अपनी प्रेमिका में अपनी मां की तलाश में होता है, जो आधुनिकता के साथ सामंजस्य भी बना रही हो, थोड़ी क्लासिक्ल भी हो और मार्डन भी हो।

मानवीय घरेलू जीवन में इस थ्योरी के साथ आधुनिकता पर आधारित विचार ने आज के समय में महिलाओं को दायरे में कंट्रोल ही नहीं किया है, उनको पुरानी बोलत में नई शराब के जीवन सरीखा बनाकर रख दिया है। पुरुष आधुनिक माहौल में मार्डन जीवन साथी की तलाश भी करते हैं और उसमें अपने मां की तरह का केयरिंग व्यवहार भी खोजते हैं, जो बचपन से होश संभालने या पैर पर खड़ा होने तक हर चीज का ख्य़ाल रखती है। गोया, एप्पल के फोन पर बात करते हुए उसे सिलबट्टे वाली चटनी खाने की चाहत है क्योंकि मिक्सी की चटनी में दरदरापन का स्वाद नहीं मिल रहा है।

कहानी जब इस मोड़ पर लाकर पटक देती है, तब यकायक यह ख्य़ाल आता कि क्या भरतमुनी के नाट्यशास्त्र के नवरस की कोई नारीवादी आलोचना भी हो सकती है या अभिनय, कला, रगमंच इससे मुक्त है? अगर मुक्त है तो वह क्यों मुक्त है?

कहानी का यह कंज़रवेटिव साउन्ड जीवन की संगीत धुन में झूमते हुए अचानक से पॉज़ ला देने जैसा ही है। कहानी कहने की अदायगी की यह खूबी है कि इसका कंज़रवेटिव पक्ष लाउड नहीं हो पाता है। कमल और नेत्रा के बीच में बन रही प्रेम धुन आपको झूमाने लगती है। दोनों का ही अभिनय कमाल का है, बेहद संतुलित और सयमित। खासकर मोटर साइकिल पर दोनों पर फिल्माया गया दृश्य और संवाद। गौतम ने सूर्या और प्रज्ञा मार्टिन के बीच के जो मोमेंट्स चुने और फ़िल्माए हैं, वह कमाल के रोमांटिक हैं।

मात्र पांच दिन में खत्म हुई “गिटार कम्बी मेले निद्रे” की शूटिंग ही बता देती है कि मानवता के सहयोग के लिए नवरस 9 से जुड़े लोगों ने कितना समर्पित होकर काम किया है।

मूल चित्र: Think Music India, YouTube

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