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तुम मुझे रोज़ ऐसी बातें सुनाया करते हो…

अरे! अरे! अरे! ठीक से बैठो, थोड़ा कम बोलो, मोटी हो गयी हो...कौन करेगा तुमसे शादी?कुछ ऐसी ही बातें तुम मुझे हर रोज़ सुनाया करते हो...

अरे! अरे! अरे! ठीक से बैठो, थोड़ा कम बोलो, मोटी हो गयी हो…कौन करेगा तुमसे शादी?कुछ ऐसी ही बातें तुम मुझे हर रोज़ सुनाया करते हो…

मैं कौन हूं?

आप सोच रहे होंगे कि सवाल तो अच्छा है,
पर जवाब सच्चाई का मोहताज नहीं!

मैं कहूँगी…

मैं तेरी मोम की गुड़िया नहीं,
न तेरे सजावट का खिलौना हूं।
बरसों से सजाया जिसे,
मैं वो सपना सलोना हूं।

जो बिता इतने साल मुझ पर,
वो आज भी मेरे मन में हावी है।
मत पूछना तू हाल मेरा,
क्योंकि मेरी लड़ाई आज भी जारी है।

तू मेरी खामोशियों को मेरी कमजोरी समझता है,
मैं आवाज़ उठाऊँ,
तो तू मुझे दायरों का टैग दिखाया करता है।

हर रोज़ बंदिशे लगाकर,
तू मेरा हक़ छीन लेता है।
फिर उन्हें संस्कारों का नाम देकर,
तू मुझे सिखाया करता है!

मैं लड़की हूं न,

शायद इसलिए
हर बार सलीके का नया पाठ पढ़ाया करता है।
फिर मेरी कुर्बानियों को तू
मेरी मज़बूरी का नाम दिया करता है।

देख
तेरी देखा-देखी में,
मैनें भी एक काम किया
ठगी सी खड़ी ज़िन्दगी को
फिर मैंने किस्मत का नाम दिया।

ज़िन्दगी तो मेरी थी,
पर जीने को तरस गयी।
फिर चलती सासों को,
मैनें लड़की का नाम दिया।

लेकिन,
मैं अब वो नारी नहीं,
जिसे तुम सती बुलाया करते थे।
मै नारी हूं आज की,
जिसे तुम फेमिनिज्म बुलाया करते हो!

दहेज के नाम पर तुम मेरा सौदा लगाया करते थे,
फिर खुद को तुम प्रोग्रेसिव बुलाया करते हो?

अरे! अरे! अरे!
ठीक से बैठो,
थोड़ा कम बोलो
मोटी हो गयी हो…कौन करेगा तुमसे शादी?

कुछ ऐसी ही बातें तुम मुझे हर रोज़ सुनाया करते हो,
अरे! मै लड़की हूं आज की,
तुम क्या मुझे स्टरिओटाइप बतलाया करते हो।

समाज की आड़ में,
तुम मुझ पर उंगली बड़ी उठाते हो।
अगर कपड़े छोटे हैं मेरे,
तो तुम क्यों नज़रे उठाते हो?

मैं बहक न जाऊँ, इस डर से
तूने पंख मेरे जो काट दिए।
फिर ह्यूमैनिटी की बातें कर
न जाने कौन से झंडे गाड़ दिए।

मैं इंसानियत की मूरत नहीं,
मैं समझौतों का समंदर हूं।
तेरे लिए लक्ष्मी नहीं,
मैं आई दुर्गा बनकर हूं।

हाँ,
मैं वही नारी हूं,
कल की तेरी वही अबला बेचारी हूं।
मैं #मीटू की ज्वाला से निकली,
वही सती पुरानी हूं।

हाँ मैं उसी ज्वाला से निकली
वही सती पुरानी हूं…

मूल चित्र : Still from The Perfect Match/Pocket Films, YouTube

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Parul Mishra

Myself Parul Mishra .I'm a published writer, poet and sketch artist..My first book is on women empowerment named as " One Step Ahead" . I always try to stand for a women not to support read more...

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