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माँजी, बच्चे को अपना दूध पिलाने में शर्म कैसी?

अपने बच्चे को स्तनपान कराना हर मां का कर्त्तव्य और अधिकार है। आप अपनी बहू की मदद करने के बजाय उसे गलत और बुरी औरत साबित करने में लगी हैं?

अपने बच्चे को स्तनपान कराना हर मां का कर्त्तव्य और अधिकार है। आप अपनी बहू की मदद करने के बजाय उसे गलत और बुरी औरत साबित करने में लगी हैं?

सौम्या अपने पति रमन, छ: महीने की बेटी और सास ससुर के साथ दिल्ली से वाराणसी ट्रेन से जा रही थी क्योंकि सौम्या के ससुराल में उसके ताई सास-ससुर जी के बेटी की शादी थी। सौम्या के ससुर और ताऊ ससुर के बीच आपस में बहुत ही मधुर सम्बंध थे। किसी भी शादी विवाह या खास मौके पर दोनों परिवार हमेशा इकट्ठा होता।

हालांकि सौम्या अपने सास-ससुर के साथ जाना नहीं चाहती थी। उसने ये बात रमन से कही भी की, “रमन मैं तुम्हारे साथ बाद में शादी के दो दिन पहले चलूंगी। माँ बाबूजी को पहले जाने दो।”

रमन ने कहा, “क्यों?”

सौम्या ने कहा, “देखो रमन मेरी बात समझने की कोशिश करो। फिर मैं खुशी (सौम्या की नवजात बेटी) को दुध कैसे पिलाऊंगी। उसे अभी बोतल की भी आदत नहीं है।”

“तो इसमें क्या परेशानी है? तुम ऊपर के बर्थ पर जाकर दूध पिला देना”, रमन ने मोबाइल देखते हुए कहा।

सौम्या ने कहा, “तुम मेरी बात समझते क्यों नहीं रमन? हमारे साथ माँ बाबु जी भी रहेंगे। हमारा सफर भी छोटा नहीं लम्बा है।”

लेकिन रमन ने सौम्या की बात नहीं मानी। उसने सौम्या की बात को बीच में हीं काटते हुए कहा, “देखो सौम्या तुम्हें एडजेस्ट करना होगा। कैसे? ये तुम सोचो! अच्छा नहीं लगता यूं मना करना। मां बाबू जी को बुरा लगेगा। और शादी में सिर्फ एक सप्ताह है। ताऊ-ताई जी भी क्या सोचेंगे हमारे बारे में?”

सौम्या मन मारकर तैयार हो गयी। सौम्या दिल्ली जैसे शहर में रहती थी। लेकिन पर्दे से लेकर ससुर जी के सामने सिर पर पल्लू रखने जैसे हर नियम का पालन करती थी। क्योंकि उसकी सास का कहना था कि जगह बदल जाने से हम अपने संस्कार और संस्कृति तो नहीं बदल सकते ना।

थर्ड ए.सी बोगी में उनकी टिकट थी। उनके साथ हीं उस बोगी में एक और बुजुर्ग महिला आयी। जो देखने मे बहुत हीं सौम्य और शालीन थी। रात के लगभग नौ बजे सौम्या की बेटी भूख से रोने लगी। तो उसकी सास ने कहा, “बहू उसके दूध का बोतल दे दो मैं पिला देती हूं।”

सौम्या सोचने लगी कि कैसे वो मां जी से कहे कि वो बाबु जी को थोड़ी देर के लिए बाहर भेज दें। ताकि वो अपनी बेटी को दूध पिला सके, बार-बार कोशिश करने पर भी खुशी बोतल से दूध नहीं पी रही थी। सौम्या मन ही मन सोचने लगी मेरी बच्ची मुझे पता है। रमन भी वाॅशरूम गया था। रमन पास होते तो उससे ही कह देती क्योंकि उसकी बेटी को बोतल से दूध की आदत नहीं थी।

सौम्या ने मन मारकर एक बार फिर दूध का बोतल सास को दिया। लेकिन उसकी बेटी एक बार फिर बोतल से दूध नहीं पी रही थी। तेज भूख से रो-रो कर वो हकलान मारने लगी। तो सौम्या ने अपनी बेटी को अपनी गोद में लिया और पीठ घुमा कर बैठ गयी। फिर अपने आंचल से बेटी को ढककर उसे दूध पिलाने लगी। जिसे देखकर उसके ससुर वहाँ से उठकर चले गए। 

सौम्या की सास ने चिल्लाना शुरू कर दिया। मां से स्तनपान करती सौम्या की बेटी अब चुप-चाप अपनी भूख को मिटाने में लग गयी। इधर सौम्या की सास का बोलना चालू था।

“सौम्या, बेशर्मी की हद होती है। यूं सबके सामने बच्चे को दूध कौन पिलाता है? आजकल की लड़कियों में निर्लज्जता तो कूट-कूट कर भर गयी है। बोला था इसको बोतल से दूध पिलाने की आदत डाल दो। लेकिन महारानी को तो आदर्श मां बनने का भूत सवार है। तो तुमको बता दूं यूं सबके सामने बच्चे को दूध पिलाने वाली औरत को बेशर्म मां कहते हैं।”

चुप-चाप अपनी सास की कड़वी बातों को सुनती सौम्या ने अपने आंखों में आंसू लिए, बेटी को दूध पिलाती सिर्फ दो टूक कहा, “मां जी अभी मैं सिर्फ एक माँ हूँ। जिसकी नवजात बेटी भूखी है। अपने दुधमुंहे बच्चे को स्तनपान कराना असभ्यता है तो वही सही।”

तुमको तो गलती करना और अब जुबान भी चलाना दोनों आता है।”

तभी सामने बैठी बुजुर्ग महिला जो अब तक चुप थी उन्होंने बोला, “अब बस भी करो बहु को गलत ठहराना। मेरी उम्र आप से कहीं ज्यादा है। इसलिए अपने तजुर्बे से आपको समझा रही हूं। गलत बहू नहीं गलत तो आपकी सोच है। और वो सभी लोग जो इसको गलत कहते हैं। क्योंकि जिसका जैसा नजरिया होगा उसकी वैसी सोच होगी।

अपने बच्चे को स्तनपान कराना हर मां का कर्तव्य और अधिकार है। आप अपनी बहू की मदद करने के बजाय उसे गलत और बुरी औरत साबित करने में लगी हैं। जबकि आप खुद एक औरत, बहु और माँ हैं और इस दौर से गुजर चुकी हैं। आपको तो खुश होना चाहिए कि आपकी बहू मां होने के फर्ज निभाना जानती है। वरना कितनी ऐसी भी महिलाएं है जो फिगर खराब होने के डर से या अपनी सुविधा और आराम के लिए बच्चों को बोतल से दूध पिलाती हैं। और कितनी मां मजबूरी में अपने बच्चो को बोतल से दूध पिलाती हैं।

लेकिन स्तनपान और बोतल से दूध या बच्चे की परवरिश को लेकर एक औरत को दूसरी औरत मजाक उड़ाना या उसको कभी शर्मिंदा नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि एक माँ हर हाल में अपने बच्चे के लिए अच्छा ही करती और सोचती है। स्तनपान कराने में कैसी शर्म? शर्म तो हमें अपने गंदे सोच और नजरिए पर आनी चाहिए। जो ईश्वर के वरदान को गंदगी और शर्म से जोड़कर देखते हैं।”

तभी पीछे से रमन ने आकर कहा, “बिल्कुल सच कहा आपने आंटी जी, मैं सहमत हूं आपकी बात से। अब मुझे समझ आया सौम्या तुम आने से क्यों नहीं आना चाहती थी। लेकिन अब आगे से मैं तुम्हारी सुविधा का पहले ख्याल करूँगा। क्योंकि एक पिता और पति का भी तो फर्ज होता है। कि वो अपने बच्चे और पत्नी की परेशानियों को समझे और उनकी सुविधा का ख्याल रखे।”

तभी सौम्या के आंचल से बाहर झांकती उसकी बेटी की हँसी की किलकारियां गूँजने लगी। जिसे देख सौम्या भी मुस्कुराने लगी। रमन ने सौम्या की गोद से उठाकर अपनी बेटी को अपनी गोदी में लेकर उसे प्यार करने लगे।

तभी सौम्या की सास ने नजरें झुकाये हुए कहा, “आप सही कह रहीं हैं। मैं बहू की समस्या को समझने की बजाय पति की सुविधा देखने लगी। जबकि मैं चाहती तो इनको हीं थोड़ी देर के लिए बाहर जाने के लिए कह सकती थी। लेकिन सौम्या तुम चिंता मत करना आगे से मैं इस बात का जरूर ध्यान रखूंगी।”

प्रिय पाठकगण उम्मीद करती हूँ की मेरी ये रचना आपको पसंद आएगी। कहानी के माध्यम से मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आज के आधुनिक युग में भी एक महिला का सार्वजनिक जगह पर अपने बच्चे को स्तनपान कराना गलत ही माना जाता है। लोग उस महिला को ऐसे हेय दृष्टि से देखते हैं जैसे उसने कितना बड़ा अपराध कर दिया हो।

जबकि समाज को जिस चीज को सार्वजनिक जगह पर करने में शर्म आनी चाहिए, लोग उसे खुले में बेशर्मों की तरह करते हैैं। आज भी सार्वजनिक जगहों पर पुरुषों का पेशाब करना, लड़कियों के साथ अभद्र व्यवहार करना, लोकल ट्रेन, बस, या ऑटो में कही भी भीड़-भाड़ में बहाने से महिला के निजी अंगों को छूना और फिर मुस्कुराना। कुछ अभद्र पुरुषों द्वारा किया जाने वाला ये व्यवहार महिला को बहुत सी मानसिक परेशानियों और तनाव में डाल देता है। जिस पर कभी कोई बात नहीं करता ना हीं विरोध करता है।

लेकिन अगर एक महिला स्तनपान सार्वजनिक जगह पर कराये तो उसको बेशर्म का तमगा लगा दिया जाता है। लेकिन अब जरूरत है हम महिलाएं स्तनपान पर बात करें। और ये एक माँ या महिला का निजी फैसला होना चाहिए कि वो अपने बच्चे को कब कैसे और कितनी बार स्तनपान कराए।

इमेज सोर्स:  Still from HealthPhone Short Film on Family Planning, YouTube 

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