कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मैं शादी नहीं करना चाहती क्यूंकि…

मुझे आशा है कि आप मेरे अब तक अविवाहित रहने के कारण पढ़कर मुझे विवाह ना करने के लिए क्षमा कर देंगे। यदि आपके पास इसका समाधान हो तो अवश्य बताइए?

Tags:

एयरपोर्ट पर बैग्स की चेकिंग करा कर मैं लाउंज में बैठी थी और अपनी फ्लाइट के उड़ने का इंतजार कर रही थी। सामने लगे शोकेस में अपनी परछाई देखकर सोच रही थी कि देखने वालों को लग रहा होगा कि मैं सुंदर, स्मार्ट और आत्म निर्भर होने के कारण एक तरह से आधुनिक युवती का उदाहरण हूँ।

हाँ, मैं आधुनिक हूँ परिवार से दूर अकेले बड़े  शहर में रहकर नौकरी करती हूँ और अपने सभी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हूँ। यह तो वह सब है जो सामने से दिखाई देता है। जो दिखाई नहीं देता वह है मेरे अंतर्मन का द्वंद।

कई बार सोचती हूं कि कितना अच्छा था जब लड़कियां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होती थी और माता पिता उनका विवाह खुद ही तय कर दिया करते थे। लड़कियां भी तकदीर में जो मिला उसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया करती थी पर मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ मुझे तो हमेशा से ही पढ़ने-लिखने तथा जीवन बिताने की स्वतंत्रता मिली।

उसे मैंने व्यर्थ नहीं जाने दिया बल्कि भली प्रकार से पढ़कर और अच्छी नौकरी पाकर यह सिद्ध कर दिया कि लड़कियां भी किसी से कम नहीं होती। समस्या तो अब इसके आगे शुरू हुई जब से मुझे अच्छी नौकरी मिलने के बाद परिवार ने कहना शुरू किया कि “अब तुम्हारा विवाह हो जाना चाहिए”। मेरे लिए रिश्ते भी आने लगे।

हाँ लड़की होने के बाद भी रिश्ते आने लगे क्योंकि मेरी विशेषता यही है कि मैं अंग्रेजी बोलती हूँ, नौकरी करती हूँ और देखने में सुंदर हूँ। किसी के पास अच्छी नौकरी है, किसी का बिजनेस बहुत अच्छा है, मकान-दुकान, प्रॉपर्टी आदि से सज्जित भावी वरों की फोटो मेरे सामने रखी जाने लगी।

यह मेरा लक्ष्य नहीं था इसलिए मैंने मना किया तब मम्मी पापा ने मुझसे कहा, “तुम जिस से विवाह करना चाहती हो कर लो पर विवाह अवश्य कर लो।” मम्मी ने मेरे सहकर्मी और मित्रों के नाम गिनाने शुरू कर दिए कि तुम उनमें से किसी से भी विवाह कर सकती हो।

मुझे हंसी आ गई क्योंकि विवाह इतना जरूरी हो गया कि परंपरावादी मेरा परिवार भी इस बात के लिए भी तैयार हो गया कि मैं चाहे जिस जाति के युवक से विवाह कर लूँ। आखिरकार नाराज होकर मम्मी मुझसे पूछने लगी की, “तुम चाहती क्या हो?”

उन्हें कैसे कहूँ कि मैं क्या-क्या चाहती हूँ ?

पहली बात तो मुझे अभी और आगे उड़ान भरनी है। अभी मैंने अपनी उन्नति के सामने पूर्ण विराम नहीं लगाया है। कई लक्ष्य है और कई उचाईयां हैं जिन्हें छूना है। क्या मेरा विवाह मेरे पैरों में बेड़ियां नहीं डाल देगा? मम्मी का यह कहना कि,”अब जो करना है विवाह के बाद कर लेना” क्या सही हो सकता है? विवाह के बाद पढ़ने के लिए या अपनी नौकरी में तरक्की के लिए पति और ससुराल वाले मुझे समय देंगे?

पति भले ही परिवार की पसंद हो या मेरी पसंद हो, इसकी क्या गारंटी है कि वह मुझे आगे जाने देगा? रोक नहीं लगाएगा। अपने सहकर्मियों और मित्रों की निगाहों में ही अधिक बोनस मिलने या अच्छा प्रोजेक्ट मिलने पर ईर्ष्या का भाव देखती हूँ तब क्या पति के मन में यह सब देखकर ईर्ष्या नहीं होगी?

यह सब सोचकर मन ही मन मैं दुखी हो जाती हूँ और समझ नहीं पाती कि मैं सही कर रही हूँ या गलत। मेरी जगह कोई लड़का होता तो उसे सोचना ही नहीं पड़ता। जितना ऊँचा जाना है जा सकता था उसकी तो प्रशंसा ही होती और उसकी पत्नी उसकी उड़ान में सहायता करती।

एक प्रश्न और मेरे मन में आता है कि क्या अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मुझे विवाह छोड़ना होगा? मान लीजिए, विवाह कर भी लेती हूँ तो क्या जरूरी है पति और ससुराल वाले सज्जन ही मिलें। परिवार तथा रिश्तेदार सभी यह समझते हैं कि मैं आत्मनिर्भर हूँ इसलिए मुझे कोई डर नहीं है यदि मेरे वैवाहिक जीवन में कोई समस्या आएगी तो अलग भी हो सकती हूँ।

क्या अलग होना इतना आसान होगा? भौतिक वस्तुओं की तो मैं चिंता ही नहीं करती पर किसी व्यक्ति के इतने नजदीक जाकर और फिर कुछ गलत पाकर उससे मानसिक दूरी बनाकर दोबारा जिंदगी शुरू करना क्या मेरे लिए आसान होगा? यह सब कोई नहीं समझता।

मैंने पढ़ाई की, सार्थक रूप से समय व्यतीत किया और इसमें मेरी सहायता घरेलू सहायिकाओं ने की मुझे पढ़ने और आगे बढ़ने का समय दिया। मुझसे यह उम्मीद करना कि मैं घर के काम करूं क्योंकि यह महिलाओं का कर्तव्य है, क्या सही है? यदि मैं यह कहती हूँ कि उन्हें पैसा देकर काम कराया जा सकता है तो कहने वाले जरूर कहेंगे कि यह पैसे का घमंड अच्छा नहीं है।

एक बार भी सोच कर देखें घरेलू सहायकों को उनके समय के बदले जितना पैसा मिलता है, क्या वह मेरे समय की कीमत के बराबर है? नहीं वह बहुत कम है। जितनी देर में सफाई करूंगी और खाना बनाऊंगी इतनी देर में तो बहुत बढ़िया प्रेजेंटेशन तैयार हो जाएगा।

मैं क्यों करूँ? जब कुछ महिलाएं घर का काम करके पैसा कमा सकती हैं तो काम के बदले उन्हें पैसा क्यों ना दूं? महिलाओं की परस्पर निर्भरता ही तो उनका विकास कर सकती है। शादी के बाद अगला स्टेप होगा परिवार बढ़ाने का पहले तो ईश्वर ने यह जिम्मेदारी महिलाओं को देकर उन्हें लंबे समय के लिए व्यस्त कर दिया है। इसके बाद माँ के कर्तव्य आ जाते हैं। क्या मेरा पति मेरे बच्चे की माँ बनेगा? जिस तरह से मैं अपने बच्चे की पिता भी बनूँगी क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति में उसके पिता की तरह से मेरा भी तो योगदान होगा।

इन सब सवालों के जवाब तो किसी के पास हैं नही। बस सब यही कह देते हैं कि, “आजकल की लड़कियां शादी नहीं करना चाहतीं, जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहतीं, माँ नहीं बनना चाहतीं।”

मैं भी सब कुछ चाहती हूँ लेकिन इसके साथ ही सब का योगदान भी चाहती हूँ। ठीक है अब तो मैंने अपने मन की बात आप सबको बता दी, यदि आपके पास इसका समाधान हो तो अवश्य बताइए?

हाँ! यह जरूर सुन लीजिए कि मैं अपनी शर्तें छोड़कर वैवाहिक जीवन में एडजस्ट नहीं करूंगी। एडजेस्ट तभी करूंगी जब पति तथा ससुराल भी मुझसे एडजस्ट करेंगे। मुझे आशा है कि आप मेरे अब तक अविवाहित रहने के कारण पढ़कर मुझे विवाह ना करने के लिए क्षमा कर देंगे।

इमेज सोर्स : Still from short film 30F & UNMARRIED via Youtube

 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

18 Posts | 451,877 Views
All Categories