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तुम्हारी कोई गलती नहीं है माँ, तुम्हारे कंधों पर पड़ी जिम्मेदारियों ने तुम्हें बाँट दिया, पर मुझे सुकून है कि थोड़ा ही सही पर मेरे हिस्से का प्यार दिया है।
मैं घंटों यात्राओं के बाद ढ़ूँढ़ लाऊँगी गुलाब पर तुम उसे बस ना समझ लेना गुलाब, ये गुलाब प्रतीक है मेरे अन कहे समर्पण का और मैंने सजा लिए है कुछ ख़्वाब...
शादी के बाद एक पत्नी का सवाल अपने पति से, "क्या तुम भी ले जा रहे हो एक 'काठ का पुतला' घुमाने को अपने इशारों पे? क्या तुम मेरा साथ निभाओगे?"
तेरे हर दर्द को वो अपना दर्द समझ कर जकड़ लेती है खुद को और ढूंढती है तेरी आखों में हर पल उस प्यार को जो आवश्यकताओं से ऊपर हो।
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