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कभी सिर्फ अपने लिए भी, दिल में दबे अरमान पूरे करना चाहती हूं। नाते रिश्तेदार गर रूठ भी गए कोई गम नहीं, रूठे ज़मीर को मनाना है, सिर्फ अपने लिए !!
समर्पण ही तो आता है स्त्रियों को, हर रिश्ते की कीमत में, क्योंकि स्त्रियाँ मतिहीन ही तो होतीं हैं, नहीं आता उन्हें खुद के बिखरे हुए हिस्सों को इकठ्ठा करना।
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