कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
एक स्पेशल एजुकेटर, क्राफ्टर, पाठक, लेखक, सीखने की इच्छार्थी...
"मैं शादी से पहले भी जॉब करती थी, वो पैसा मैंने अपने बच्चे की जरूरतों पर खर्च किये। जब पति को जरूरत होती उसे भी दिया। लेकिन जब मैंने..."
दोनों की शादी जब हुई, माता-पिता और रिश्तेदार बुद्धिजीवी होते ही हैं, वो तो घोषणा कर बैठे कि ये रिश्ता नहीं चलना, छ: महीने भी।
कल सपने में क्या गजब हुआ, दो गज का घूंघट निकाल, पनघट पर जा रही लड़कों की टोलियां, उनकी बदलती चाल देखकर, चुटकी ले रही, ताश खेलते बुढ़िया।
बेटा, एक औरत को औरत ही समझ सकती है। आदमी तो औरत को बहलाता है कि बस मैं ही हूं तुझे समझने वाला। औरत ही दूसरी औरत का असली सहारा है।
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