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Msc,B.Ed,बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक है कॉलेज के जमाने से ही लेख कविता और कहानियां लिख रही हूं मुझे सामाजिक मुद्दों पर लिखना पसंद है अपनी कहानियों के माध्यम से समाज में पॉजिटिव बदलाव लाना चाहती हूं।
"कैसी बातें कर रही हो खुशी? मैं कोई बच्चा थोड़े हूँ जो तुम मुझे समझा रही हो। फिर तुम सारा दिन करती ही क्या हो? बस मज़े से टीवी देखती रहती हो..."
मुझे अपने फैसले पर गर्व होता है कि मैंने जय को अपना जीवन साथी चुना। जय ने मेरा जीवन खुशियों से भर दिया है। आज हम दोनों सफल वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
ना जाने कितनी औरतों की कहानी शुभी और कनक जैसी है, जिनके पति उनको एटीएम कार्ड तो देते हैं लेकिन उस एटीएम कार्ड को इस्तेमाल करने की आज़ादी नहीं देते।
सुन छोटी, रिश्ते पकने में टाइम लगता है, इसलिये इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान मत दे। अब औरतें भी फ्रीडम चाहती हैं और कभी-कभी बहुत ज़्यादा केयर भी बुरी लगती है।
बाहर से आई लड़की क्या लड़के को सिखा सकती है? क्या लड़के में अपनी बुद्धि नहीं होती है? वो क्या एक छोटा बच्चा है जो उसे सिखाया जा सके?
रमेश को ये जिंदगी ज़्यादा अच्छी लगने लगी। उसने रेखा से कहा, "अब तो सब ठीक हो गया है। अब तो अपने घर चलो।"
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