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Antima Singh

13 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय , समाचार पत्रों में कविताएं कहानियां लेख लिखती हूँ। एक टॉप ब्लागर मोमस्प्रेसो , प्रतिलिपी, शीरोज, स्ट्रीमिरर और पेड ब्लॉगर, कैसियो, बेबी डव, मदर स्पर्श, और न्यूट्रा लाइट जैसे ब्रांड्स के साथ स्पांसर ब्लॉग लिखती हूँ मेरी कहानियां समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए होती है रिश्तों के उतार चढ़ाव मेरे ब्लॉग की मुख्य विशेषता है

Voice of Antima Singh

बेटियाँ भी करती हैं एक कन्या दान…

पर बेटियां जो करती हैं कन्यादान अपने दिल के अंदर किसी कोने में छिपी उस मासूम लड़की का तो नहीं होती उसके बाद पगफेरे की रस्म के लिए कोई जगह...

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दुःख

भोर निकलने से पहले हीअचानक छोड़ जाए जीवनसाथी। कैसे तुम उसके संस्कारो पर सवाल उठाते होसंस्कारो से बड़ा है उसका दुःख क्यों ये भूल जाते हो।

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सिर्फ बाबुल के घर से ही विदा नहीं होती हैं बेटियाँ…

कुछ बेटियाँ कर दी जाती हैं विदा, इज्जत की खातिर। उतार देते हैं अपने ही मौत के घाट, कर दी जाती हैं विदा इस संसार से। 

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माँ, मुझे अपनी पत्नी पर पूरा भरोसा है…

“माँ आप पढ़ी-लिखी होकर भी ऐसी बातें कर रही हो? आप तो शिवानी को कितना प्यार करती थीं, सब भूल गयीं?” रवि ने पूछा। 

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आज भी सिर्फ लड़कियों का ही सर्वगुण सम्पन्न होना क्यों ज़रूरी है?

आज भी समाज की मानसिकता लड़कियों को हर कदम पर लड़कों से कम आंकती है, आखिर क्यों? क्या  'लड़का लड़की एक समान' सिर्फ कागजों में लिखी एक खूबसूरत पंक्ति है?

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अब दिन वो आने वाला है, पानी धरती से जाने वाला है

लोग हैं देखो कितने झगड़ते, सड़कों पर है लगी कतार, मटके-बाल्टी खाली पड़े हैं, लाइन लगा सड़कों पर पड़े हैं। 

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सावन के सोमवार-देख भोलेनाथ का चमत्कार!

भगवान् ने सबको एक जैसा बनाया है। ये जात-पात और छुआ-छूत नासमझ लोगों के मन की सोच है। अगर भगवान पर विश्वाश है, तो इस दायरे से बाहर निकलिए।

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अपनी मौन सहमति ना दें, सबक सीखाना ज़रूरी है

अगर कोई पुरुष आपसे कोई भद्दा मज़ाक करे तो उसका विरोध करें, चुपचाप अपनी मौन सहमति ना दें। इससे पुरुषों का हौसला बढ़ता है और वो मज़े लेते हैं।

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बहु के अधिकार को ‘कब्ज़ा करना’ क्यों समझें?

हमने भी तो अपने पति से ये सब चाहा है, फिर हम अपनी बहू के प्रति उसके अधिकार को इस घर पर कब्ज़ा करना क्यों समझें?

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हमारे समाज को अंधविश्वास से मुक्ति कब मिलेगी?

शनिदेव पर तेल बहाने से ईश्वर खुश होंगे या किसी गरीब के घर में तेल देने से, उसका परिवार भर पेट भोजन खा सके, उससे ईश्वर खुश होंगे?

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दोस्ती:रिश्तों की भी कोई मर्यादा होती है

पलक ने झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसे रोहन का स्पर्श कुछ अटपटा सा लगा।

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मेरा नया परिवार मेरा इंतज़ार कर रहा है

जिस कलेजे के टुकड़े को रात-रात भर जाग कर, पाल-पोस कर इतना बड़ा किया, आज उसे माता-पिता से दूर जाने में ज़रा सा भी अफ़सोस नहीं था।

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