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हमारी पहचान हमारे लिंग से नहीं, हमारी सोच से होती हैं। जब तक हमारे समाज में लैंगिक असमानता रहेगी तब तक हमारे समाज का विकास, वंचित रहेगा।
घरेलू हिंसा सहना मतलब शारीरिक और मानसिक शोषण सहना। ज़्यादातर महिलाएं इस कदर टूट जाती हैं कि अपने आपको ही मुजरिम समझने लगती हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने घरों में लड़कियों का नाम कौशल्या और सुमित्रा तो रखते हैं, लेकिन कोई कैकेयी नाम क्यों नहीं रखता?
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