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निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा ज्ञान के मिटै न हिय को शूल हिंदी मेरी मातृभाषा व मेरी पहचान है ।अपनी निज भाषा में ही अपने मन की , विचारों की पूर्ण अभिव्यक्ति हो सकती है ऐसा मेरा विचार हैं । हिन्दी मे वार्तालाप से मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे मैं अपनी माँ के घर हूँ । अंग्रेजी मेरा कार्यस्थल का माध्यम है । मैं एक बहुत साधारण महिला हूँ ।
अब भी वक्त है समझ जा, समझने के लिए बुद्धि दी है मैंने! प्रकृति की ओर लौट जा, प्रकृति की शक्ति को चुनौती दी है तूने!
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