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मैं इमरान खान। मेरी प्रथमिकता है 'समानता' चाहे वह महिलाओं के लिए हो या फिर LGBTQA समुदाय के लिए। मेरा मिशन हिंदी भाषा शिक्षण को सुखद और समृद्ध बनाना है। मुझे अपने गुरुओं, शिक्षकों से बहुत कुछ मिला है और मैं इस पेशे के साथ-साथ छोटे बच्चों को और बड़ों को मैं समानता के साथ जीना सिखाना चाहता हूँ। मैं लिखता हूँ, ताकि समाज में फ़ैली रूढ़िवादी सोच को बदल सकूँ। समाज तक अपना संदेश पहुँचा सकूँ। मैं एक नारीवादी हूं, जिसमें लैंगिक मुख्यधारा और समावेशी दृष्टिकोण है। मैं संसार की हर छोटी से बड़ी चीज़ों और प्राकृतिक के हर आयाम जैसे जानवर, पंछी, मनुष्य सबकी गरिमा को बरक़रार रखना चाहता हूँ। मैं कवि गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर नई से ख़ासा प्रेरित हूँ। मुझे आत्मविश्वास है कि समाज को प्राकृतिक तरीके से सींच पाऊंगा।
मम्मी जब पलक कोचिंग की छुट्टी करती है, तब सारे बच्चे मुझे चिढ़ाते हैं, बोलते हैं तेरे दो पापा हैं, दो-दो पापा। मुझे बहुत बुरा लगता है।
एक हफ्ते के अंदर ही प्रेम दीमा को बहुत अच्छी तरह से समझ गया था और दोनों में एक दोस्ती होने लगी। शायद एक दूसरे का अधूरापन पूरा करते थे दोनों?
शन्नो और अनस की शादी हो गयी, एक ही कपड़ों के जोड़े में बिना मेहँदी और चूड़ियों के शन्नो ब्याह दी गयी और अब उसके सारे सपने चूर-चूर हो चुके थे।
डिअर तन्वी मैं तुमको समझाने की कोशिश कर रहा हूं और तुम समझ नहीं रहीं, इस मीटिंग में तुम्हारा जाना ज़रूरी है और सेक्सी-मॉडर्न लुक में।
सेक्स करने के कई फायदे हैं, विशेष रूप से महिलाओं के लिए शारिरिक और भावनात्मक जुड़ाव को मज़बूत करने में सेक्स का प्रभाव अत्यंत सकरात्मक है।
गर्ल्स हॉस्टल था तो परिवार वालों को भी कोई अफसोस नहीं था और न ही कोई डर। मगर मुझे ही पता था मैं वहां किन हालातों में रह रही थी।
देख पायल, मैंने हमेशा छोरे की ख्वाहिश रखी, अब या तो तू इस बच्ची को किसी को दे दे या मैं तुझे छोड़ रहा हूँ, देख ले तुझे क्या करना है।
वर्जिनिटी और हाइमन को समाज नैतिकता की नज़र से देखता है, जो निराधार है। यदि किसी की कौमार्य भंग होता है तो इसकी अनेक वजह हो सकती हैं।
जिन मर्दों की मानसिकता पर पुरुषवाद का नशा सिर चढ़ कर बोलता है, उनके लिए किसी भी लड़की से छेड़खानी, लड़की की गलती से ही होती है।
अमेरिका में भारतीय मूल की कमला हैरिस उप राष्ट्रपति की बागडोर संभालेंगी जो ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है, ये महिला सशक्तिकरण को एक नया रूप देगी।
आज मैं भी कोई बर्तन उछाल देती हूँ, चलो! आज मैं ही हुक्का संभाल लेती हूँ। हफ़्ते का एक दिन तो अपने नाम करूँ, अपनी ख़ुशी से अपने लिए कोई काम करूँ।
आज उसने ठान लिया था और वह अपने घर के मैले आसमान से निकल कर असली आसमान देखने को निकल पड़ी, आज उसे कोई नहीं रोक सकता था, ना समाज न गालियाँ!
माहवारी के बारे में सबको ये समझना ज़रूरी है कि महावारी कोई बीमारी या अपवित्रता नहीं, यह पूर्ण रूप से एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है।
यह सारी LGBTQA समाजसेवी संस्थाएँ एक साथ, एक ही लक्ष्य पर काम कर रही हैं और वह है समानता का लक्ष्य। आइये इनके बारे में और जानें।
आज लाखों बाल बलात्कारी और चाइल्ड पोर्नोग्राफी एडिक्ट्स की खपत बढ़ गई है और यह बच्चों की ऑनलाइन कक्षा के दौरान एक गंभीर समस्या हो सकती है।
जिन निग़ाहों में थी, तलवार भी इमराह पे हराम, आ गई उनके मुक़ाबिल लिए लश्कर औरत।
आज की महिलाओं को और लोगों को अनु अग्रवाल से सीखना होगा कि विपरीत परिस्थितियों में ख़ुद को जीवित रखना कितना आवश्यक होता है।
मेनोपॉज क्या है और ये कब और कैसे शुरू होता है? इसके कुछ लक्षण और उनके रहते अपना ख्याल कैसे रखें? ऐसे कुछ सवालों की जानकारी के लिए आगे पढ़ें...
कह दो मुझसे के, चाय दे दो, लेकिन वापस मेरी, राय दे दो, मेरी सोच! मेरी मर्ज़ी! जैसी लगे वो, चाहे दे दो...क्यूंकि मैं, आम सी, एक औरत हूँ।
मुझे असमानता का वो समय आज भी काटने को दौड़ता है। मुझे तब भी यही महसूस होता था की यह तो गलत बात है, हम एक ही माँ की औलादें हैं फिर ये भेदभाव क्यों?
घुँघरुओं को पहन कर रुबिना बेहिसाब रोती हुई नाचने लगी, जैसे ही ज़मीन पर उसने अपनी एक छाप लगाई, वैसे ही अल्ताफ़ की आँखे खुल गईं।
वीरा अपने पिता को देख कर चीख़ चीख़ कर रो पड़ी और बोली, "पापा मेरा दुपट्टा नहीं मिल रहा, आपने देखा क्या? पापा सच्ची मेरा दुपट्टा कहीं खो गया है...."
26 जून 2020 को विनी महाजन को पंजाब की पहली महिला चीफ़ सेक्रेटरी नियुक्य किया गया। इससे पहले कभी कोई महिला इस पद पर नियुक्त नहीं हुई है।
फिल्म बुलबुल की पृष्ठभूमि 100 साल पहले की है, जब बंगाल में ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जैसी हस्तियाँ महिलाओं के शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठा रहीं थीं।
मुझे लगता है कि अगर ये रूढ़िवादी समाज हमारी महिलाओं को चार दीवारी में बाँध कर न रखे, तो क्या पता वो पुरुषों से बहुत आगे जाएं?
डायन प्रथा के नाम पर होने वाली हत्याओं की तादाद कई गुना है, लेकिन डायन के खिलाफ लोगों की एकजुटता की वजह से ये मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते।
लोग समलैंगिकता का मतलब ही नहीं समझते कि यह क्या तथ्य है, ग्रामीण लोग इस बात को देवी देवता और अंधविश्वास से जोड़ कर देखते हैं।
जाते-जाते याद आया मैं लिपस्टिक लगाना तो भूल गयी, फिर घर की ओर भागी और होंठों पर अपनी बर्बादी का रंग मल आई और आते ही मैं गाड़ी में बैठ गई।
पैर दबाते दबाते नलिनी वहीं सो गई, रात के 2 बज चुके थे। सुबह उसको जल्दी उठना था, और उसका जी घबरा रहा था, और वह कई बातें सोच रही थी।
प्रेग्नेंट होने के लिए क्या किया जाए, क्या ना किया जाए, अगर आपने भी गर्भ धारण करने का मन बना लिया है तो ये लेख आपकी मदद कर सकता है।
मैंने आँखों में काजल लगाया, तो आपने मुझे नचनिया बना दिया? मैंने अपने पसंद के कपड़े पहने तो आपने मुझे हिजड़ा और छक्का बना दिया?
लेडीज संगीत में पहले ज़माने में बच्चों से लेकर बूढ़ी औरतों तक सब मज़े करते थे, ढोलक और उस पर चम्मच से तान बजायी जाती थी, औरतें घूँघट कर के नाच किया करती।
होमोफोबिया दो शब्दों से मिलकर बना है जो दो शब्दों का युग्म है, मगर न जाने कितनी ही तक़लीफ़ों का और असमानता का एक अंबार लिए है।
जेसिका लाल मर्डर केस के ऐसे फ़ैसले से ना जाने कितने मनु शर्मा को एक आत्मविश्वास मिलेगा और फिर कोई जेसिका होगी जो तड़प तड़प कर दम तोड़ देगी।
ख़ुद को साबित करने वाली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर सोनाझरिया मिंज ने एक इतिहास रचा और सबके लिए एक मिसाल बनीं।
प्राकृतिक और महिलाएं आपस में हर आयाम से पूरक लगती हैं, और देखा जाए तो ईश्वर के दवरा भेजे हुए यह बेशकीमती उपहार, सृष्टि की प्राथमिक रचना हैं।
जब मैं डिप्रेशन से पीड़ित था तो मैंने जाना कि डिप्रेशन दूर करने के उपाय में कुकिंग बहुत ही उपयोगी साबित होती है और इससे मेरा कुकिंग का शौक़ और बढ़ गया।
अभी 15 मिनट पहले तक तो आप मेरे पापा थे, मगर अब सिर्फ विनय, जो एक कायर इंसान है, जिसकी बाजुओं में दम तो है मगर अपने से कमज़ोर के लिए।
अगर आपका बच्चा समलैंगिक संबंध रखता है, तो आपकी नजरें झुक क्यों जाती हैं? एक दिन पूरा समाज इस सवाल का जवाब मांगेगा, क्यों करते हैं आप ये भेदभाव?
हाँ! वह चेहरा कोई और नहीं लेखिका कृष्णा सोबती जी थीं, जिनका उपन्यास मैं कुछ देर पहले पढ़ रहा था, और अब उनके सामने बैठा हुआ था।
रमज़ान का नाम आए तो इफ्तारी को कौन भूल सकता है और यहां दिए इसके ये 6 व्यंजन खाकर आप शर्तिया अपनी अंगुलियां चाटते रह जाएंगे...
अगर आप भी बेकरी की ब्रेड खरीदने में थोड़ा संकोच कर रहे हैं, तो बिना ओवन की ये आसान और पौष्टिक ब्रेड रेसिपीज करेंगी आपकी मुश्किल आसान!
आप चाहे सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करें या इसके अन्य नए विकल्प, पीरियड्स के दौरान अपने स्वास्थय और हाइजीन का विशेष ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
रज़िया सुल्तान भारत की राजधानी दिल्ली की पहली मुस्लिम महिला शासक थीं और उन्होंने सुलताना की जगह अपने नाम के आगे सुल्तान लगाया।
हिंदू कानून में महिलाओं के संपत्ति के अधिकार का विशेष ध्यान रखा गया है जहां महिलाओं को संपत्ति विरासत में देने की अनुमति और समान अधिकार है।
मदर इंडिया से मॉम तक फिल्मों की माँ के हर किरदार से हमको और हमारे समाज को कोई न कोई संदेश ज़रूर मिला है और यहां हम उन फिल्मों की बात करेंगे!
बॉइज़ लॉकर रूम नामक इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ लड़के कम उम्र की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें उनकी सहमति के बिना साझा कर रहे थे।
विश्व में प्रख्यात पाक कला के क्षेत्र की ये 5 भारतीय महिला यूट्यूब और रेस्टोरेंट की दुनिया में छाई हुई हैं, आइये जानते हैं आज कुछ इनके बारे में भी।
बिरयानी का अर्थ 'बिरयान' शब्द से निकला है जिसका अर्थ है पकाने के बाद तलने की प्रक्रिया और आज यहां हैं 12 बिरयानी रेसिपी सिर्फ आपके लिए।
आज हम बनाएंगे 5 डिप्स और स्प्रेड जो स्वाद के साथ-साथ रखते हैं हमारी सेहत का भी ख्याल क्यूंकि बाजार जैसी चीज़ें घर पर बनाने का हुनर भी है हमारे पास...
शादी की बात करते ही याद आते हैं, फेरे, शहनाई, बाजे, खुशियाँ और भी न जाने क्या क्या... मन ही तो है न जाने क्या क्या सोच लेता है...
अबला उस को कहते हो और श्रम विहीन भी, मत भूलो दुर्गा और काली का रूप धरण करने वाली भी महिलाएं ही होती हैं...देख लेना अपनी ख़ातिर एक दिन दुनिया से लड़ जाऊंगी...
कई माहवारी सम्बन्धी समस्याएं सामाजिक हैं और इनको बढ़ावा देने का कारण है इनके बारे में खुल कर बात ना करना और इनका हल ढूंढना पुरुषों का भी काम है...
बड़ी संख्या में, दलित महिलाओं का भारत में हर दिन उत्पीड़न, अपहरण, बलात्कार और नृशंस हत्या की जाती है फिर भी, हम उनकी कहानियों को नहीं सुनते हैं।
बेंगलुरु की बेम्बला फाउंडेशन, असहाय और हिंसा से प्रभावित महिलाओं और बच्चों के लिए एक सकारात्मक वातावरण वाला स्वतंत्र और गोपनीय स्वयंसेवक सहायता केंद्र है।
सेक्स हम सब की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है लेकिन इसके बारे में अभी भी बहुत सी बातें हैं जिनकी जानकारी ज़रूरी है - क्या करें, क्या न करें, यहां है कुछ टिप्स
इन सब का आधारिक पात्र हैऔरत ! इसके समावेश में ही कोई पुत्र बनता है तो कोई पिता, कोई पति बनता है तो कोई भाई, एक सशक्त पात्र है यह सम्पूर्ण विश्व का...
उस रात के बाद जब सुबह हुई तो मैंने अपने भूत को अपने माज़ी को पीछे छोड़ दिया था और सोचा मेरा कल बुरा था, पर जो आने वाला कल है वह तो मेरे हाथ में है।
धरती को माता कहते हो और मुझको गाली देते हो? ये तुम्हारा ही अपमान है, क्यूंकि मैं केवल औरत नहीं, मैं एक जननी हूँ, और वही सबसे ऊँचा सम्मान है।
अगर पुरुष अपनी मर्ज़ी से घर के काम करना चाहे और महिला अपनी मर्ज़ी से अपने परिवार के लिए कमाना चाहे, तो इसमें समाज को परेशानी क्यों होनी चाहिए?
समझ लीजिये अच्छे से कि बेटियाँ बोझ नहीं, पर समाज आज भी असमानता की सीढ़ीओं पर विराजमान है, वह पितृसत्ता की सोच में बंधा हुआ क़ैदी है।
दाग़ और कलंक, क्यों यह दो नाम जब भी जुड़े, महिलाओं के साथ ही जुड़े? क्यों ना आज दाग देने वालों को इन शब्दों को जोड़ा जाए...
आज वो दिन आ गया जब मैं शादी का लाल जोड़ा पहनूँगी, लाल चूड़ियों से अपनी कलाई सजाऊंगी, लाल रंग के फूलों की माला पहनूँगी, आज मैं बहुत खुश हूं...
भारत और ना जाने कितने ही देशों में वैश्या और वेश्यावृत्ति आदिकाल से ही परिलक्षित रही है, भारत के इतिहास में वेश्याओं के कई रूप देखने को मिलते आ रहे हैं।
आधुनिक दासी, क्यूंकि अगर हमें किसी से खतरा होगा, तभी हम उसको कंट्रोल करने या दबाने की कोशिश करेंगे, तो तय है कि औरतों को दबाने के पीछे, समाज का डर छिपा है।
यह लेख इन समाचार रिपोर्टों पर आधारित था – यहाँ, यहाँ, और यहाँ। मंत्रालय ने बाद में इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, इसलिए हम इस लेख को हटा रहे हैं। अपने पाठकों की असुविधा के लिए हमें खेद है। मूल चित्र : Canva विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों […]
अगर आप पुरुष हैं तो यह तो बिल्कुल मत समझिए कि आप उसके मालिक हैं और वह एक खेलने वाली गुड़िया की भांति, जिसको किसी भी बात का एहसास नहीं होता।
वर्ल्ड हेल्थ डे के दिन, जब पूरी दुनिया में ऐसा लग रहा जैसे प्रलय ने अपना तांडव मचाया हुआ है, हमको अपने स्वास्थ्य कर्मियों का एहसान मानना चाहिए।
युवाओं में UPSC और सरकारी नौकरी SSC, आदि के लिए इतना जोश भर चुका है कि भारत के हर 10 युवा में से 4 लोग UPSC की परीक्षा देने के इक्छुक होते हैं।
मुझे अच्छा लगता है सबका ख्याल रखना, मगर मुझे भी अच्छा लगेगा अगर कोई मुझसे कहे, "सुनो, तुम थकी हुई हो, क्यों न आज मैं काम कर दूं?"
लॉकडाउन के समय हमारी सबसे बड़ी समस्या है खाना पकाने की और बार-बार वही पकाने की, कुछ नया चाहते हैं तो ट्राई करें ये आसान रेसिपीज़!
सीमा कुशवाहा ने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे से अपनी ज़िंदगी और निर्भया केस से जुड़ी कुछ यादें और अनुभव साझा किए। आइये पढ़ें उस इंटरव्यू के कुछ अंश यहाँ।
हमारी दुनिया में कई तरह की सोच वाले प्राणी रहते हैं, जिनको यह विचार अखर सकते हैं, लेकिन यहां कोशिश सिर्फ लिव इन रिलेशनशिप के सकारात्मक पहलू को पेश करने की है।
क्या आप जानती हैं कि आप अपने स्त्रीधन की अनन्य मालिक हैं और उस पर आपका पूरा हक़ है और आपका ये हक़ कोई नहीं छीन सकता। जानिए और...
खाना पकाना अब लगेगा आसान इन 5 वन-पॉट रेसिपीज़ के साथ क्यूंकि इन्हें पकाने में समय काम लगेगा, ये स्वादिष्ट तो होंगी ही साथ के साथ पौष्टिक भी।
पहले हमें जागरूक होना होगा तभी हम दूसरों को जागरूक कर पाएंगे वरना फिर कोई विशाल मिलेगा जिसका पेट खाली होगा या कोई रामस्नेही, जिसके शरीर पर ज़ख्म होगा।
लॉक डाउन हो चाहे ना हो, कभी न कभी हम सभी को अपना खाना खुद बनाना पड़ सकता है और इसलिए हम यहां बात करने जा रहे हैं कुछ बेसिक कुकिंग टिप्स की।
Covid - 19 की महामारी और लॉकडाउन के समय कई ट्रांसजेंडर्स की हालत और बदतर हो गयी है और इनके कमाई के सारे रास्ते बंद हो गए हैं।
कोरोना लॉकडाउन के बीच निर्मला सीतारमण द्वारा बनाई गई वित्त योजना गरीब और असहाय लोगों, खासतौर पर महिलाओं के लिए, एक सहारा है।
Covid - 19 लॉक डाउन, मतलब कई लोगों के लिए घर पर आराम, मगर ऐसे में क्या हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे घर की महिलाओं को भी आराम मिले?
आज वर्ल्ड टीबी डे है और हम बात करने जा रहे हैं उन महिलाओं के बारे में, जो इस बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
ताराबाई शिंदे के विचार आज के समाज के लिए, जहाँ महिलाओं को नीचा समझा जाता है, एक तलवार का प्रहार हैं, जो पितृसत्ता की सोच को छिन्न भिन्न कर देता है।
महिलाएं इस लॉक डाउन की कब से साक्षी रहीं हैं क्यूंकि पुरुषवाद इस लॉक डाउन को महिलाओं पर कई सदियों से चलाता आ रहा है, क्या इसे पुरुषों ने कभी महसूस किया?
नवरात्रि व्रत के व्यंजन ख़ास आपके लिए, क्यूंकि हमें ख्याल है आपकी हेल्थ और आपके स्वाद का, और अगर ये दोनों चीज़ें एक साथ मिल जाएं तो क्या कहने!
सीमा समृद्धि कुशवाहा चट्टान की भाँति निर्भया के लिए खड़ी रहीं और कितने ही तूफानों को पार करती हुई वह बस आगे बढ़ती गईं।
आज की सुबह न्याय ले कर आयी और निर्भया की माँ ने अपनी बेटी की तस्वीर गले से लगाया और कहा, "आखिरकार तुम्हें इंसाफ मिल गया।"
दुआ-ए-रीम जो पंक्ति मुझे तोड़ गई और कोरी सच्चाई भी बता गई समाज की, वह है, "धमकियां दें तो तसल्ली हो के थप्पड़ न पड़ा, पड़े थप्पड़ तो करूँ शुक्र के जूता न पड़ा।"
क्या नेहा धूपिया का रोडीज़ शो में ये कहना कि कोई भी व्यवहार, चाहे आपकी नज़र में वो कितना भी गलत हो, उसका जवाब हिंसा नहीं हो सकता, गलत है?
तू फूल है, तू आग तो है शोला भी है, शोषण के खिलाफ चिंगारी है, तू सब की पायेदारी है, धरती हो या आकाश कहीं, तेरे ही लिए सरदारी है।
एक दिन पुरुष द्वारा तिरस्कृत नारी लावा की भाँति फट भी सकती है और, उस दिन हम इस असमानता के तांडव को देख कर असहज ना हों, क्योंकि यह आग हमने ही लगायी है।
अक्सर देखा जाता है, पुरूष कहीं से भी, किसी से भी क्रोधित होकर घर आते हैं, तो सीधा इसका गुस्सा वे अपनी पत्नी, माँ, या बहन पर दिखाते हैं।
पुरूष केवल एक भूमिका निभाते हुए, कर्मठ, मज़बूत साबित होता है और महिलायें न जाने कितनी भूमिकाओं में लिप्त हैं और फिर भी अबला और कमज़ोर कहलाती हैं।
मेरी यह बात कई लोगों को बहुत बुरी लगेगी, मगर वास्तव में अगर सोचा जाए कि इतने सारे त्यौहारों के बीच यदि एक दिन सिर्फ प्यार के नाम है भी तो इसे रहने दें।
हमको कई प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, इनमें से एक है समानता का अधिकार, मुझे इस समानता का अर्थ तो बखूबी पता है, मगर मैं इसको कहाँ ढूँढूँ?
मेरा मानना है कि महिलाओं को अगर प्रेरित किया जाए तो अवश्य एक सकारात्मक बदलाव आएगा, समाज में क्रांति का श्रेय महिलाओं की भूमिका पर निर्भर करता है।
हमारे देश के वर्तमान में महिलाओं की स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, ऐसे में कबीर सिंह जैसी फ़िल्में आग में घी डालने के जैसी हैं।
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