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जिंदगी की राह का एक राही ... Social worker, Backpacker, Storyteller, Poet, Neophile, Ambivert, Spritual Seeker!!!
हमें शादी के लिए " कुंआरी" लड़की चाहिए, आज भी पुरुष शादी से पहले जितने चाहे रिश्ते बनाए वो उसकी मर्दानगी की पहचान है पर स्त्री के लिए वो एक कलंक...
ना जाने उस दिन मुझमें कहां से वो हिम्मत आई, पास पड़ी एक ईट को उठाकर मैंने जोर से तुम्हें दे मारा। पहली बार तुम्हें कमजोर, घबराया हुआ और डरा हुआ देखा था मैंने...
अगली बार मुझे लाल, हरा, भगवा, नीले रंग का परचम बना देना, अक्सर लोगों के खून में उबाल आ जाता है, पड़े किसी की भी इन पर गलती से भी जो निगाह मैली!
"नहीं सुनना मुझे कुछ... इतनी भीड़ में तुम पर ही क्यों नजर गई उनकी? कुछ तो किया होगा तुमने? यूं ही तो कोई परेशान नहीं किया करता..."
अगर एक ने प्रोफाइल पिक्चर बदली और उस पर ज्यादा कमेंट और लाइक आ गए तो एक हफ्ते के अंदर-अंदर आपको भी अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलनी होगी...
लखनऊ में अभी एक वृतांत हुआ जहां एक महिला ने एक गरीब कैब ड्राइवर को बिना उसकी गलती के उसके साथ हाथापाई की और...
हम सब एक ढोंगी समाज का हिस्सा हैं। बगुलाभगत तो यहां इतने हैं गिनती कर कर के थक जाएंगे... लेकिन इनकी गिनती कम नहीं होगी...
मेरी लाल रंग की चुनर, लाल रंग में लहराती मेरी वो साड़ी, लाल रंग का सिंदूर, लाल रंग की मेरी बिंदिया, और वो लाल लहू का रंग...
कल रात जो सेक्सुअल मीम कॉपी/पेस्ट किए थे, वो अश्लील गाना जो डाउनलोड किया था, अपने एडल्ट ग्रुप में आप कैसे पहुंचा पाएंगे? कहाँ पोस्ट करेंगे?
छोटी सी जान को उसकी मां की गोद में देते हुए डॉक्टर ने कहा, "घबराइए नहीं, बच्ची का रंग थोड़ा दबा हुआ है पर नैन नक्श बहुत अच्छे हैं।"
इस दौर में कहते हैं सब, हम लिखेंगे नई कहानियां, जन्म लूं मैं किसी भी सदी में, क्यों लगता है बिकती हैं बस मेरी जवानियां?
किसी ने एक बार भी ये जानने की कोशिश भी नहीं करी कि क्या आरोपी पहले से शादीशुदा है? अगर वो शादीशुदा होता तो क्या होता?
चलते रहना थकना मत, इस काली रात की सुबह भी बहुत शानदार होगी, जिंदगी किसने कहा कि आसान होगी।
आत्मा का टूटना, बचपन का चले जाना, जिंदगी भर अपने आपको दोषी मानना, मानसिक आघात, शारीरिक टूटन, इसको आप किस एक्ट में लाना चाहेंगे?
जीवनसाथी तलाशते हो या बुढ़ापे में सेवा करने के लिए कोई आया, मुझे तो तुम्हारा यह समाज आज तक कुछ समझ में नहीं आया...
घबराई सी पहुंची कहने जो अपनी बात, सभी के आंख के इशारे कहने लगे मानो चुप रह, सह, कह नहीं सकते हम ये किसी से...
मजाक का विषय, शारीरिक अंगों का भंडार, यही है इस देश में हर औरत की पहचान। और ऐसी मर्दांगी की बातें करने वाले मर्द हमारे बीच ही पनपते हैं।
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