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मैं एक गृहिणी और दो प्यारी बेटियों की मां हूं।
तुम बीमार जब पड़ती हो, मैं कुछ नहीं संभाल पाता हूँ! बिखरे हुए, घर का हाल देखकर, मैं भी, अंदर से टूट जाता हूँ!
सौम्या को होश आ रहा था और निक्की का दिल फटा जा रहा था। अपनी बहन की तकलीफ़ उससे देखी नहीं जा रही थी। सौम्या को जब होश आया तो उसे खाना और दवाई खिलाकर सुला दिया गया।
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