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उर्दू साहित्य का चौथा स्तंभ कही जाने वाली इस्मत चुग़ताई को किसी ने अश्लील लेखक कहा तो किसी ने बेशर्म; पर आज का उर्दू साहित्य उनका ऋणी है और शायद ताउम्र रहे।
गुलज़ार साहब के इस जन्मदिवस पर उन्हें लाखों बधाइयां देते हुए आज हम बात करेंगे उनकी शायरी, उनकी फिल्में और उनके कुछ यादगार स्त्री पात्रों की!
बेहद महत्वपूर्ण है कि शॉर्ट फिल्म बेबाक़ जैसी और फिल्में बनाई जाएँ और इन्हें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाया जाए ताकि इससे समाज में बदलाव प्रेरित हो।
जब बॉलीवुड हिंदी फिल्मों में फ़ेमिनिज़म जैसे विचारों की बात भी नहीं होती थी, तब बासु चटर्जी ने बहुत ही हलके और नाज़ुक ढंग से इसे अपनी फिल्मों में दर्शाया।
सरदारी बेगम : रिश्तों का बहिखाता! एक बेहद उम्दा और आत्मीय रिश्तों को झलकाती यह फ़िल्म, कई स्तरों पे दिल को छूते हुए रूह में समा जाती है।
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