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साहित्य समाज का दर्पण है यह मेरी मान्यता है। एक लेखक का समाज के प्रति उत्तरदायित्व होता है और उसका यही प्रयास होना चाहिए कि उसके लेखन से किसी के द्वारा कुछ सीखा जा सके। इसी कारण हमेशा सार्थक रचना करने का प्रयास करती हूं।
मुझे आशा है कि आप मेरे अब तक अविवाहित रहने के कारण पढ़कर मुझे विवाह ना करने के लिए क्षमा कर देंगे। यदि आपके पास इसका समाधान हो तो अवश्य बताइए?
नंदिनी तो केवल अपनी इच्छा जाहिर कर रही थी। लता भी अब सोच रही थी कि क्या उसका फैसला सह था, क्या वास्तव में उसकी बेटी राज कर रही है?
कुमुद को जब खाना कपड़ा मिल रहा है और मायके जाने का किराया मिल रहा है तब उन्हें एक रुपए की भी आवश्यकता क्यों है, यह पुरुष नहीं समझते थे।
उस लड़के की पहली पत्नी आग लगाकर मर गई थी और एक छोटा बच्चा भी था। वे लोग इतने रसूख वाले आदमी थे कि लड़की वाले उन पर मुकदमा तक नहीं चला सके।
यह सुनते ही रुचि का शर्म के मारे बुरा हाल हो गया और भाइयों के चेहरे तन गए। भाभियों की आंखों में तिरस्कार और व्यंग्य का भाव आ गया।
मनमोहन जी और उनकी पत्नी घर और अंशु में बदलाव देखकर चौंक गए। अपनी बेटी का कान खींच कर प्यार से बोले, "इतना पैसा क्यों खर्च किया?"
आशु सबके बीच में आया और अपनी माँ का नाम लेकर बोला, "निधि अभी देखना दादी तुम्हें कैसे पीटती है, तब तुम्हें समझ में आएगा कि आशु भूखा है।"
कुछ बोलने का मतलब था अपनी बेइज्जती कराना। मुझे समझ में आया कि मुझे सजे संवरे रहना है, सब की आज्ञा का पालन करना है, दिमाग का प्रयोग नहीं...
अपनी बेटी विनीता से उन्होंने कहा, "तुम जब चाहो तब मायके आ सकती हो, लेकिन मेहमान बनकर नहीं घर की सदस्य बनकर यहां रह सकती हो।"
क्यूंकि सुभाषिनी को गोद नहीं लिया गया था, इससे उसे कोई कानूनी अधिकार नहीं मिले। बस रचना ने उस का एडमिशन एक बहुत नामी स्कूल में करा दिया।
बात बात पर गुस्सा करने वाले और उसी गुस्से की वजह से दीवार पर अपना सिर पटकने वाले पति सुरेश के साथ उसकी जिंदगी मुश्किल के साथ ही कटेगी।
“मम्मी यह क्या पहना है? गर्मी के मौसम में शादी हो रही है और आप इतनी भारी बनारसी साड़ी पहन कर आई हैं? चंदेरी, शिफॉन पहन लिया होता।"
बीना को बहुत बुरा लगा और वह सोचने लगी कि दोनों बच्चों की डिलीवरी के समय वह मायके में ही रही और मम्मी पापा ने सारा खर्चा उठाया तब...
बच्चे अगर देर से सोकर उठते तो अनिला का यही कहना होता, "कावेरी भाभी ने अब तक सब को उठा कर नाश्ता भी करा दिया होगा।"
धीरे-धीरे बिंदु ने अकेले बड़बड़ाना सीख लिया। जितना गुस्सा होता था वह अकेले कमरे में बोलकर निकालती थी और ऐसे ही वो बड़ी हो गयी...
यदि उसे ससुराल की आवश्यकता है तो पति और सास को भी तो उसकी आवश्यकता है। उसके बिना भला घर का काम कैसे चलेगा?
वह परफ्यूम की इतनी शौकीन रही है कि बहुत कीमती तथा आसानी से ना मिलने वाली सुगंध खरीद खरीद कर जमा करती रही।
हेवी सिल्क, शिफॉन और चंदेरी साड़ियाँ उसने उन्हें दी थीं लेकिन वे कभी फटी जींस में और कभी अन्य आधुनिक पोशाकों में ही नजर आती थीं।
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