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कविता घर में प्रवेश कर साफ सफाई में लग गई, तभी रशीदा ने उसे देखा और अपने बेटे साहिल से पूछा, “कोई नए पड़ोसी आए हैं क्या?”
पर यह क्या! लड़की मांगलिक थी। अब तो शांति देवी और राजेश जी के अरमानों पर पानी फिर गया। आती हुई लक्ष्मी जाते हुए दिखाई देने लगी।
"हां, माजी ना जाने क्यो सुबह उठते ही जी मचलाता है और दिन भर चक्कर आते हैं खाने का भी कुछ जी नहीं करता", बहु ने कहा तो...उसके बाद क्या हुआ?
कोई कष्ट नहीं होता! यह बात मैंने कई बार सुनी थी। मुझे अब इसी दर्द के साथ जीना था हमेशा के लिए जीना था, बिना शिकायत के।
अपने बेटे की ख़ुशी के लिए एक माँ को अपना मन मार कर भी बदलना पड़ा, और इसके लिए हम शुक्रगुज़ार हैं ऐसी माओं के! काश ऐसी माँ सबको मिले...
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