कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
"क्यों तुम्हारे पति तुम्हें समय नहीं देते? सीधा सेक्स? फोरप्ले नहीं?" फोरप्ले क्या है? फोरप्ले के तरीके क्या हैं? क्या है फोरप्ले के लाभ?
लेस, साटन आदि से बनी, कामुक, अंतरंग पलों में ऐसी लेडीज ब्रा, आरामदायक कसावट के संग इन नज़दीकियों को और भी हसीन बना देती है।
प्रेगनेंट होने के लिए सेक्स करते समय दिमाग में प्रेग्नेंट-प्रेग्नेंट का सेक्स-सेक्स की दौड़ नहीं अपितु आत्मिक, शारीरिक सुख, आनंद होना चाहिए।
सारी उम्र लोगों ने उन्हें कभी इंसान नहीं माना। सच भी है, वो इंसान नहीं, बेरंग पानी में रंग घोलते, रंगों के भगवान थे। मेरे पुन्नू अंकल...
डिलीवरी के बाद योनि थोड़ी चौड़ी हो जाती है, इसकी वजह से प्रसव के बाद आपको योनि में ढीलापन महसूस हो सकता है...योनि में आते हैं ये 13 बदलाव।
प्रेम आवेश में, मुक्त परिवेश में, पावनी बढ़े है, पावन प्रदेश में नदी - नारी और प्रकृति की उपेक्षा संबंधी विचार मंथन और परिणाम विनाश।
मन मर्ज़ी से, सीधी मांग निकाले, मस्ती में मुक्त, झूमते, उड़ते कुँवारे धुले-धुले और खुले-खुले बाल।
क्या आज भी औरतों के जिस्म का नाप, इस समाज की संकीर्ण सोच की जागीर है? और क्या आप भी इस बॉडी शेमिंग का हिस्सा हैं?
अगर यहाँ पर भी वह अपने चरम सुख की प्राप्ति की बात करे, तो पति जो कि उसे अच्छी तरह जानता है, वो भी उस पल में आशंकित सा हो जाता है।
तुम लड़के पहले माँ, फिर बहन और मेरी शादी के बाद भाभी, बस निर्भर ही रहना तुम, और तुम क्या कहते हो कि मैं तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकती?
यदि आप जानना चाहते हैं कि एक शादीशुदा महिला के अधिकार क्या हैं, तो यहाँ आपके महत्वपूर्ण अधिकारों की पूरी जानकारी देने की कोशिश की गई है!
भरी दोपहरी तपती गर्मी में पसीना बहाती, कोमल तो है कमजोर नहीं, यही याद दिलाती, फिर कुछ सोच पत्थर दिल के लिए आँसू बहाती!
तेरे अश्रुओं में खुशी की धमक, इधर भी यही तो था हाल मेरा, मेरे रोने में हंसी की थी खनक। तब निडर मेरा मन हुआ था, माँ जब तुमने मुझे छुआ था!
अपने गुण, योग्यता या इच्छानुसार, निम्नलिखित में से किसी एक का उचित चुनाव कर, हम औरतें, घर में बैठे-बैठे आर्थिक रूप से अवश्य आत्मनिर्भर बन सकती हैं!
मर्द टैग से संबंधित क्रियाओं में से, दूसरे को माँ-बहन की गालियाँ निकाल कर, क्या आप ये दर्शाने की कोशिश करती हैं कि देखो! हम भी मर्दों से कम नहीं?
ये नहीं कहूँगी कि ये बात सब पर लागू होती है - बंद कमरे में, तकिए सी लगें जो, और उफ़ भी न करें जो, अक्सर मर्दों को ऐसी औरतें, बहुत हसीन लगती हैं।
अंतर्मन के द्वंद्व में उसी समय पिता ने भीष्म प्रतिज्ञा कर ली कि बेटी को बेटे की तरह पालेगा और इज्जत पर आँच न आने देगा, तो ज़रुरत पड़ने पर ऑनर किलिंग ही सही!
माँ के जगने से, जगता था, घर-आँगन, धूल भी छूकर उसे, बन जाती थी, पावन, पर, अब वो माँ, निस्तेज सी जगने लगी है, माँ! अब बूढ़ी लगने लगी है...
गरिमा अरोड़ा जी कहता हैं, "हम औरतों की सामाजिक कर्मभूमि को ही आर्थिक कर्मभूमि बना देना चाहिए ताकि उनको चुनाव की समस्या न हो!"
क्या ऐसा समझा जाए कि आज रक्षाबंधन का मतलब अपना स्वार्थ है? क्या हम केवल अपने फायदे के लिए ये रक्षा सूत्र बांधती हैं, कि भाई को राखी का फ़र्ज़ निभाना ही होगा?
इनमें से कई महिलाओं की सफल कहानी, सफल पत्नी, सफल माँ, तक ही सीमित रह जाती है, क्योंकि उनकी योग्यता को ग्रहण लग जाता है, अमीर पिता, पति या पुत्र का?
घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है और हमें इसके बारे में क्यों पता होना चाहिए और कितना कारगर है महिला सरंक्षण अधिनियम 2005, कुछ ऐसे प्रश्नों के जवाब आपके लिए।
औरतें नाक-मुँह बंद किए निर्जीव पड़ी रहें तो सुशील! और अगर कहीं सब ठीक करने के लिए आगे बढ़ कर कमान संभाल लें तो मनमानी? विरोध?
लोकतंत्र है, तो कुछ लोग इस फैसले के विरोध में भी अवश्य होंगे! और दुःख की बात है कि ऐसे लोग बड़ी आसानी से मिल गए, इसी ट्विटर पोस्ट के कमेंट बॉक्स में!
देखो असली नारीवादी प्रयोग यही है, हर चीज़ चाहे छोटी हो या बड़ी, मर्द की हो या औरतों की, पर विज्ञापन में बस लड़कियाँ क्यों खड़ी की जाती हैं? बताओ! बताओ!
कुछ स्पर्श मिर्ची से तीखे, कुछ स्पर्श बिजली के झटके! कुछ ऐसा जो तेरी कहानियों में न था, कुछ ऐसा मेरी-तेरी सोच से परे था...कुछ ऐसा था वो स्पर्श...
पति मोबाइल की फ़्लैशलाइट में मुँह चमकाते और आँखें मटकाते हुए बोले, "कौन नहीं पूछता! हम जो हैं! आप काम वाली थोड़े ही हो आप तो हमारी महारानी हो!"
हाल ही में शादी डॉट कॉम ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया कि अब उनकी वेबसाईट पर स्किन शेड कार्ड के आधार पर लड़की की प्रस्तुति नहीं होगी।
समाज में एक व्यवसाय के रूप में जब अध्यापन कार्य को जब देखा जाता है तो लिंग भेद करते हुए स्कूल टीचर की नौकरी किसके लिए श्रेष्ठ मानी जाती है?
अगर आप आज भी अपनी असफलता का ठीकरा अपने माता-पिता पर ही फोड़ कर फिर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं तो आपसे कोई भी उम्मीद रखना बेकार है।
इस लेख में मैंने छोटे-छोटे कस्बों और शहरों में केवल LGBTIQ कम्यूनिटी के T को पेश आती मुश्किलों के बारे में बात की है। बाकि आप 'सामान्य लोग' खुद सोचें...
माहीन ज़फर समाज को ललकार कर कह रही है कि अब ये रिमोट भी उन्हें ही दे दो, अगर वो अपनी जिदंगी को आकाश दे सकती है, तो उड़ान क्यों नहीं?
अपने जीवन साथी को देख कर दिल यूँ धड़क जाता है और कहीं से आवाज़ आती है, "हाय! आ गए!" और हाथ-पैर फूलने शुरु! ऐसा ही हाल था अपना....
जब नौकरी के आदेश, पति के तकाजे, बच्चों की इच्छाएं पूरी करने में 19-20 का फर्क रह जाता है ना, तो ये अंतर एक औरत, एक पत्नी, माँ के नाते बहुत भारी पड़ता है।
मैं और तुम मिलकर एक साथ होकर आओ समाज में फैली अराजकता को समेटते हैं, आओ हम एक होकर प्रार्थनाओं के सहारे जीवन को सरस् बनाते हैं।
ज़िंदगी बहुत अच्छी है, ज़िंदगी में उतार चढ़ाव तो आते ही हैं और साथ के साथ अपनी सोच को सकरात्मक दिशा देनी की ज़रूरत होती है ताकि एक प्रफुल्लित जीवन जी सकें।
दिल का करें और दिल का क्या कसूर,यह बेचारा कहीं भी चला जाता है और कहीं भी घूम कर आ जाता है। बुद्धू दिल , सच्ची में बुद्धू।
देश में भ्र्ष्टाचार की आंधी में सबको डट कर सामना करना होगा , डर कर नहीं, और न मुँह छुपकर, सम्भलो और देश को बदलने का विश्वास रखो।
तुम वही मौसम बन जाओ, कभी प्यार की धुँध में छन जाओ, कभी सुनहरी धूप बन जाओ।फिर देखना, मैं इक बार खिली तो, बस खिलती ही जाऊँगी।
हर घर कुछ कहता है' - घर का मानवीकरण कर एक संदेश देती कविता।
"तेरी मेरी ज़िन्दगी की किताब में कुछ नए पन्ने जुड़ने लगे" - एक प्रेम भरी लघु कविता
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