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I writer by 'will' , 'destiny' , 'genes', & 'profession' love to write as it is the perfect food for my soul's hunger pangs'. Writing since the age of seven, beginning with poetry, freelancing, scripting and having tried my hand at Journalism with a national daily........i have been extending my expression as i 'see & feel' the world around me. Here's my first step of opening my realm of thoughts for you. Welcome to 'my space' as i share it with you....and a hope that you find your connection here.
"साथ मिलकर गाई, बेसुरी ग़ज़लों में; तेरे लिए लिखी कविता की,अधूरी पंक्तियों में", तेरे साथ बिताये हर लम्हे में, तू तो नहीं पर तेरी एक याद बाकी है।
ये देवी की उपाधि किस काम की? आज देवी खुद ये सवाल करती है अपने पूजने वालों से - देगा कोई जवाब?
उन तमाम हँसते चेहरों को समर्पित - "जिनके दिल के, किसी बियाबान कोने में, रोज़ - एक हूक सी उठती है, जीने के लिए, अपनी मर्ज़ी का एक दिन।"
एक बार आप भी देखिए! ये तो मल्टीप्ल चॉइस क्वेश्चन से भी ज़्यादा चोइसेस वाला पेपर मालूम पड़ता है। इतनी वैरायटी! समझ नहीं आ रहा कि सेलेक्ट कैसे करूँ?
मेरे लिए कोई संडे क्यों नहीं बना? आख़िर, मेरा संडे कब आएगा? "जैसे बाकी सबकी दिनचर्या संडे को चैन की सांस लेती है, मेरी अकड़ कर सर पर सवार हो जाती है। मुझसे वही सब काम करवाती है जो मैं आमतौर पर हर रोज़ करती हूँ।"
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