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Kuch nahi hoker bhi bahut kuch hu
हमसफर के साथ समय बिताकर देखें। प्यार को कुछ अलग अंदाज में बताकर देखें। ठहरती जिंदगी में एक कंकड़ प्यार का मारकर तो देखें कैसे नयी जान आ जाएगी।
जैसे मेरे दिल को अंदर तक कुछ भेद दिया था। बहुत चुभन हुई, और सबके जाने के बाद आज आईने से बातें करने बैठ गई और खुद को निहारने लगी।
"कुछ देर के लिए खामोशियाँ ही बेहतर है, बोलने पर अब सुनता ही कौन है?" क्या खामोश रहने में वाकई समझदारी है ?
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