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मैं वो नहीं जिसे तुम जानते हो मैं के भीतर एक मैं चुप है ज्ञान के दिये के साथ जल रहा है परिवर्तन के मेघों से गर्जना कर रहा है वह जो स्वाधिनी तथा मानिनी है चुप एक चीख के साथ शब्द रचता है मैं वो हूँ!
मैं मुस्कुरा रही थी, किन्तु मुझे अपनी योनी में कुछ रेंगता सा महसूस हो रहा था और अचानक वह काला अजगर मेरे जाँघों के मध्य से निकल, मेरे सम्मुख खड़ा हो गया था।
करो-ना क्रांति का बिगुल बज गया था, "अपने बेटों को हुक्म देने वाला नहीं, साथ देने वाला पुरुष बनाना होगा। समाज में सकारात्मक परिवर्तन के हम सभी पक्षधर हैं।"
ये बिल केवल एक कोरा काला कागज़ है। ये ट्रांस लोगों की जिंदगी को बदलने के लिए नहीं बल्कि उसे अधिक पीड़ादायक बनाने के लिए लाया गया है।
वह कपड़ों पर इस्त्री कर रहा था, और उसकी आँखें टीवी पर आ रहे एक भावुक दृश्य को देखकर लगातार बह रही थीं, वह मुस्कुरा कर उठ गई और रसोई की तरफ चल दी।
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