कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
नंदिता दास की जीवनी भी एक कहानी ही है। बेबाक, मुखर, पितृसत्तात्मक व्यवस्था में एक स्त्री के रूप में काम करती महिला।
अब ये ‘स्क्रिप्ट' क्या है? हमेशा हम आम बोलचाल में ये सुनते है “अरे! ये शो तो स्क्रिप्टेड है।” तो आइये जानते हैं फिल्म स्क्रिप्ट राइटर कैसे बनें?
फिल्मों में महिलाओं का चित्रण बदला तो है, पर वह केवल एक खांचे से निकलकर दूसरे में फंस जाती है और एक बुरी औरत बन जाती है। क्या कहती हैं ये फिल्में?
हम सबको मिलकर इस महामारी के खिलाफ ज़ग लड़नी है। हमारा समाज चुपचाप औरतों के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसे एक्शन लेना पड़ेगा।
ये सारी बातें हमेशा हमारी दादी-नानी, मां और बहनों से ही सुनने को मिलते हैं। बचपन से वो हमें काजल लगाती हैं नजर से बचाने के लिए।
एक इंसान पर बोझ न डालें रिश्ते का, क्योंकि रिश्ते दो लोगों से बनते हैं और इन रिश्तों को चलाने के लिए जानते हैं कि कम्युनिकेशन क्या है...
जहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म होते, जहां महिलाओं के साथ भेदभाव होते, जो है शिकार पितृसत्तात्मक व्यवस्था की, वह जगह बड़ी दूर है।
“तुम इतनी मोटी हो कि कोई तुमसे शादी नहीं करेगा। तुम्हें न स्लीवलेस टॉप नहीं पहननी चाहिए। तुम्हें न ढीले कपड़े पहनने चाहिए।”
एक बार शादी और कन्यादान कर दिया तो फिर बेटी कैसी है उसकी चिंता नहीं करते। वो जिंदा भी है या नहीं ये भी जानने को इच्छुक नहीं रहते।
क्या शक्ति बिल जैसे विधेयक एक रेपिस्ट को रेप करने से रोक पाएंगे और क्या मृत्युदंड बलात्कार को रोकने के लिए काफी है? क्या सोचते हैं आप?
अगर, कोई लड़की पहल कर दे तो वो डेस्परेट कहलाती है। और अगर, न करे, तो भाव खाती है। लड़कियाँ दोनों तरफ से फंसी हुई हैं।
ये 5 महिला प्रधान डॉक्युमेंट्रीज़ हैं जो चर्चा में कम रहीं लेकिन इनमें समाज में औरतें अपनी व्यथा पर बात होते हुए स्क्रीन पर दिखेंगी।
24 नवंबर, 2020 को स्कॉटिश पार्लियामेंट ने एक बिल पारित किया, जिसके तहत उन्होंने स्कॉटलैंड में पीरियड्स प्रोडक्ट्स को फ्री कर दिया।
वैसे तो धर्म हमारी सहूलियत, हमारे समाज को एक आदर्श समाज की ओर बढ़ाने में सहायक होना चाहिए, अब उसकी भी नारीवादी व्याख्या होनी चाहिए।
प्लूरल्स पार्टी अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी के दावों पर भरोसा कर अगर जनता इन्हें वोट दे और ये अपना वादा निभाऐं, तो बिहार की सूरत बदल सकती है।
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