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मुझसे कहा कि तश्तरी में खीर देने की जरूरत नहीं है, वो किसी भी प्लेट में खा सकती हैं। क्यों? मैंने पूछा नहीं, उन्होंने बताया नहीं।
हमें एक घर चाहिए, एक ऐसा घर जिसे इस बात से फर्क नहीं पड़े कि वह मायका है या ससुराल लेकिन इस बात से फर्क पड़े कि मैं वहां मैं बन कर रह पाऊँ।
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