कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
एक रास्ता खोजती खुद को पहचानने का.........
जय नेहा को हर समय नीचा दिखाता था कि, “तुम औरत हो तुम कुछ नहीं कर सकती हो, जो पुरुषों का काम हैं उन्हें ही करने दो”।
हमारी कोई नहीं सुनेगा, कोई उलटा मुझ पर ही इल्जाम लगा देंगे और भाभी मेरी शादी के लिए मुश्किलें होगी। आप प्लीज चुप रहिए, आपको मेरी कसम।
“मैंने खुद से लड़ना है सीखा, मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता?” आज की नारी कमज़ोर और लचार नहीं है, उससे अपने लिए लड़ना आता है।
बेटा हम हैं लेकिन हमें समाज के नियमों के अनुसार चलना पड़ता हैं, रवि अंकल बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं हमारी नहीं सुनेगा कोई...
कई लड़कियां हैं जो अपने ऊपर हुए अत्याचार पर आवाज नहीं उठाती, समाज क्या कहेगा सोचकर। लेकिन समय को बदलना होगा, अब बस हो चुका है।
आ दूर कहीं ले जांऊ तुझे, आ पलकों में छुपाऊं तुझे, जहां कोई न छू पाये तुझे, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
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