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मैं ना कहती थी कि अपनी सौम्या धाकड़ छोरी है। अब तो मैं यही चाहूंगी कि मेरे राजेश को भी सौम्या बेटी जैसी एक छोरी हो जाये।
सौम्या मैं कितना अभागा हूँ। जो मैंने मेरी मां के कोख से जन्म नहीं लिया। मेरी वजह से मेरी मां और बहनों को इतनी तकलीफ झेलनी पड़ी।
लड़कियों का जन्मदिन घर में ही परिवार के लोगों के साथ मना दिया जाता था लेकिन लड़कों का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता था।
ये बात समझने में मैंने बहुत देर कर दी कि पति होने के नाते मेरे कुछ कर्तव्य तुम्हारे प्रति भी हैं। लेकिन अब तुम्हारे साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
दाल-चावल, रोटी-सब्जी इत्यादि बना लेती हूँ। यहाँ हम ये खाना नहीं खाते और हाँ आपके पति देव को भी आपका गरीबों वाला खाना नहीं पसंद।
"अम्मा! नियम तो बदलने के लिए ही बनते हैं और बेटियाँ और बहुएं तो हमारे समाज और परिवार के लिए रीढ़ के हड्डी समान होती हैं..."
"बेटा पेट की लाइन तो दिखाना... टेढ़ी है या सीधी। कहते हैं, सीधी लाइन पे लड़का होता है। मीना मेरी सहेली उसकी बहु के सारे लक्षण लड़के के हैं।
राधा सोच में थी कि आखिर ऐसी क्या बात हो गयी? उसकी मां उसे यूँ अचानक अकेला छोड़कर दुनिया से चली गयी। उसका मन हो रहा था कि...
सौम्या को जैसे ही पता चला कि उसके मम्मी-पापा आये हैं। वो दौड़कर उनके पास आयी। अपने पापा को सामने देख वो उनके गले लग गयी।
"बेटा! तू नहीं जानता आजकल की लड़कियों को। अपनी मौसी की हालत देखी है ना? क्या बना दिया उनकी बहू ने।" फिर सुरेश जी ने कहा...
"रिया! देखो ना मैं नए घर के गृहप्रवेश की पूजा का निमंत्रण देने आयी थी और मेरे पीरियड्स आ गए। जरा सेनेटरी पैड देना। दरवाजे पर रख दो। मैं ले लूँगी।"
रमा की बात सुनकर उसके ननद नन्दोई और सास के चेहरे का रंग उड़ गया और अजय ने धीरे से मुस्कुरा कर मौन सहमति रमा को दी।
पल्लवी जब घर आयी तब उसकी दोनों ननदे घर पर हीं थी। उमाजी ने जुबान में मीठी चाशनी घोलकर पल्लवी से बोल-बोल कर सारे काम कराने लगी।
"माँजी क्या सारे फर्ज सिर्फ बच्चे की मौसी के होते हैं। तो बाकी के रिश्तों का क्या? घर बैठी बुआ और दादी का कोई फ़र्ज़ नहीं है क्या?"
अपने बच्चे को स्तनपान कराना हर मां का कर्त्तव्य और अधिकार है। आप अपनी बहू की मदद करने के बजाय उसे गलत और बुरी औरत साबित करने में लगी हैं?
"अरे! शादी के बाद ससुराल वालों को नौकरी करानी होगी तो वो लोग तुझे आगे पढ़ाएंगे। वरना उनकी मर्जी। शादी के बाद अपने घर जाकर अपनी मर्जी चलाते रहना।"
औरत मांग में सिंदूर भरकर, अपने शादीशुदा होने का प्रमाण देती है। फिर समाज क्यों नही मांगता कोई, प्रमाण पुरूष के शादी शुदा होने पर।
दीवाली पर लक्ष्मी को खुश करने के साथ साथ गृहलक्ष्मी को भी खुश रखना चाहिए क्योंकि जब दोनो खुश होंगी तो खुशियां खुद-ब-खुद दुगनी हो जाएगी।
अभी दो दिन पहले जब खुद के भाभी-भाभी आये थे तब तो बहुत खुश थी। हर चीज का इंतजाम खुद देख रही थी। तब तुम्हें कोई परेशानी नहीं हुई।
मोनिका अपनी जेठानी को फूटी आंख भी पसंद नही करती थी। लेकिन मजबूरी में उसको जेठानी को बर्दाश्त करना होता और बनावटी मुस्कान बनाये रखना होता।
दशहरे के मेले में रावण दहन देखने एकत्रित भीड़ के बीच भी मौका पाकर कुछ लोग महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। कहीं ये लोग आपके घर के तो नहीं?
आप लोग ये सोचते हैं कि पुत्र जन्म से आपका कुल और वंश आगे बढ़ेगा और इस वजह से आप अपनी पत्नी और बहू पर बेटे को जन्म देने का दबाव डालते हैं...
"दरअसल गलती इनकी भी नहीं। इनको इनके माता-पिता पढ़ा लिखाकर आत्मनिर्भर तो बना देते हैं, लेकिन संस्कार देना और घर के काम सीखाना भूल जाते हैं।"
रमा को ठंड के महीने में मारे डर के माथे से पसीने छूट रहे थे। उसे डर था कि अगर आज रूपा को कुछ भी हुआ तो उसका दोष उसे ही सिर पर आएगा।
साक्षी के मन मे तीसरी बेटी को लेकर इतनी कड़वाहट है, ये किसी को समझ नहीं आ रहा था। कोई कहता कि ससुराल वाले या पति किसी ने कुछ कहा होगा।
आजकल की बहुओं के मजे हैं! ऑपरेशन से बच्चा पैदा करो, दिन भर बच्चे को डायपर में रखो, और खुद हीरोइन बने थोड़ा सा काम करते घर में घूमते रहो...
"देखो रमन मुझे तीसरा बच्चा लड़का ही चाहिए, इसके लिए मैंने सब कुछ पता कर लिया। इस बार चेक कराकर ही तीसरे बच्चें को जन्म दूँगी।"
रमन ने लड़खड़ाती जुबान में डरते हुए कहा, “माँ, आप यहाँ? क्या हुआ? अंदर आइये ना, आप दरवाजे पर क्यों खड़ी हैं?”
"जो महिलाएं और लड़कियां मर्यादा में रहना नहीं जानती उनके साथ यही सब होता है। वो तो तेरे बाप पे तरस खा के हम तैयार हो गए थे शादी के लिए।"
उनको ऐसे कमरे में बंद देखकर मेरा मन भी दुःखी होता। लेकिन पतिदेव अमर की ज़िद थी कि मेरी पहली होली ससुराल में ही होगी।
समय से पहले पैदा हुए यानि प्रीमैच्योर बच्चे के जन्म के समय से ही माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग ज़रूरी है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी या अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण क्या हैं और ये क्यों होती है? यहां है कुछ सामान्य जानकारी जिसे मैंने समझने की कोशिश की।
लोग कहते हैं कि गर्भवती महिला को दो लोगों के लिए खाना चाहिए, लेकिन ये बात सही नहीं है, तो जानते हैं प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए।
सबसे पहले सर्वाइवर सवालों के कटघरे में हाज़िर हो...और शुरू होता है हमारे समाज का विक्टिम ब्लेमिंग का खेल जिसमें परिवार वाले भी शामिल हैं...
प्रेगनेंसी में कौन सी सब्जी नहीं खानी चाहिए? सिर्फ सब्ज़ी ही नहीं, ऐसी कई चीज़ें हैं जो प्रेगनेंसी में नहीं खानी चाहियें। यहाँ है एक लिस्ट।
वाह मां क्या बात कही आपने क्या सिर्फ भाई और आप ही अच्छे हैं बाकी दुनिया में जो भी लव मैरिज करे वो सब बेकार और खराब ही है?
"क्यों आंगन में तुम्हें खिचड़ी खाते समय तुम्हारे ससुराल वालों ने तुम्हें नेग नहीं दिए? वैसे भी इतना बड़ा संयुक्त परिवार है भाभी का।"
"बहुएं इतनी बुरी होती हैं तो बेटों की शादी क्यों करते हैं आप? वो भी झूठ बोलकर लड़कियों के परिवार वालों से, नालायक बेटों को लायक बता कर?"
मैं सोचने लगी कि अब तक तो मुझ पर निगरानी रखी जाती थी अब आज ये बात भी पता चली कि ऑनलाइन निगरानी भी मेरी रखी जाती है।
"अरे गरिमा तेरी मत मारी गयी है? कितना समझाया था क्यों 'बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम बन रही है?' अपना मजाक खुद क्यों बना रही है? मेरी बात मान।"
उम्र चाहे मेरी कुछ भी, बचपन का या पचप्पन का, शर्म का घूँघट मैं ही रख लेती हूँ, क्योंकि जनाब नारी हुँ मैं? सिर्फ इसलिए कि नारी हूँ मैं...
10 लाख नकद, कार, घर गृहस्थी का सारा सामान, महंगे से महंगे ब्रांडेड कपड़े, सोने-चांदी के जेवर, कुल मिलाकर कम से कम 30 लाख से ज्यादा...
लेकिन इन सब के बीच एक बात जो दिनेश देखते रह जाते की राजीव की दोनो बेटियो में पूरा घर सम्भाल रखा था और साये की तरह राजीव के साथ लगी रहतीं।
घर हो या बाहर, ज़्यादातर पुरुषों को एक आत्मनिर्भर और उनके बराबर या उनसे बेहतर काम कर दिखाने वाली महिला आंखों में चुभती है...
बुरा न मानो होली है? अगर किसी महिला ने जबर्दस्ती रंग लगाने का विरोध किया तो घमंडी, बदतमीज और ना जाने क्या क्या कहा जाता है उसे।
रमन के तरह-तरह के विचित्र सवालों के बाद रमन ने संध्या से बड़ा ही विचित्र सवाल पूछा, "अच्छा, आप कुंवारी हैं कि नहीं?"
पुरुष जहां खुलेआम माँ बहनों की गालियां देते हैं, तो क्या ऐसे घरों की सभी महिलाएं फटी जीन्स या शॉर्ट में ही होती हैं? जवाब है नहीं।
"आ गयी महारानी? ये भी नहीं सोचा कि बताकर जाएं। सारा काम घर में पड़ा हुआ है। मैं घर के कामों की वजह से आज सरला बहन के पास भी नहीं जा पायी।"
बुआ सास ने कहा, "जब सास ही रस्म रिवाज नहीं निभाएगी, तो बहु क्या खाक रीति-रिवाजों को मानेगी? वो तो आज के जमाने की लड़की ठहरी।"
कोरोना वैक्सीन टीकाकरण के इस चरण में हमारे माता-पिता और ऐसे लोग हैं जिन्हें गंभीर बीमारी है, तो ऐसे में प्रश्नों की बौछार संभाविक है।
"अरे यार हो जाता है गुस्से में। लेकिन मैं तुमसे प्यार भी तो करता हूं तुम तो जानती हो कि मैं गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाता।"
"अरे, ये क्या बोल रही हो बहू? अमर ने तो तुम को हमेशा प्यार किया, तुम माँ नहीं बन सकती थी तो बच्चा गोद लेकर तुम्हें माँ बनने का सुख दिया।"
क्या जो तुमने पहले किया वो शादी के बाद भी कर रही हो? नहीं ना? तो जाकर चुपचाप नॉन-वेज बनाओ और नहीं बनाना तो अपने बाप के घर चली जाओ।
बंद कीजिए तमाशा और जल्दी विदाई कीजिये, और पाण्डे जी आप क्या औरतों की तरह रो रहे हैं, आप अनोखे पिता थोड़ी ना है जो बेटी विदा कर रहे हैं।
आपने अपनी बेटी को तमीज ही नहीं सिखाई, ले जाइए अपनी बेटी। हमें ऐसी बहु नहीं चाहिये जो अपने पति को मारती हो।
चुपचाप पथरायी आंखों से आईने की तरफ निहारती खुशी ने सिर्फ इतना कहा, "पापा मैं आप सब के लिए हमेशा परायी से ही तो थी।"
रश्मि चाची सास की बातों से बहुत आहत होती। ऐसा नहीं था कि वो जवाब नहीं दे सकती थी, लेकिन उसके संस्कार उसे बड़े का अपमान करने से रोक लेते।
हमने सोचा माँ-बाप की इकलौती बेटी है, इतना बड़ा बिजनेस है, तो हमे ही मिलेगा। लेक़िन यहाँ तो बाप बेटी को कंगाल कर के गया।
तू झूठी तारीफ करना बंद कर, आज तक जब भी मैं तेरे घर आई हूं, तुझे ही काम करते देखा है। वो लोग तो सिर्फ बैठ के गप्पें ही मारती मिलीं मुझे।
रश्मि को अपनी कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जिस परिवार के लिए वो इतना कुछ करती है। वही परिवार उसके जन्मदिन को लेकर ऐसी सोच रखता है।
पैसा होने की वजह से समाज में रूतबा भी ससुराल वालों का बहुत था, लेकिन दरवाजे पर लगे महंगे पर्दे के पीछे की सच्चाई बिलकुल ही उलट थी।
"वाह, क्या बात है मेरे जन्मदिन पर मेरे पैसों से खरीदकर मुझे ही उपहार दिया जाएगा। और एहसान भी कि बचत पर मेरा अधिकार है", रमन ने कहा।
आपने मेरे आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान को झकझोर कर रख दिया कि आखिर क्यों सह रही हूं मैं? और फिर रश्मि की बातों ने मुझे मजबूत बना दिया।
शादी में कहीं किसी ने गहने चुरा लिये या गुम हो गए तो तुम्हारे घर वालों की भी उतनी हैसियत नहीं जो वापिस वैसे ही गहने दे सकें।
कोई कम उम्र की लड़की, बिन ब्याही, या फिर उम्र के 50 वे पायदान पार कर चुकी औरत रेड लिपस्टिक लगाए तो लोग तरह तरह की बातें करते हैं...
क्या पता कल को बेटी का पति या ससुराल वाले कैसे मिलें? तुझे अपनी बेटी का रोना दिख गया लेकिन दूसरी बेटी के रोने पर आंखे मूंद ली?
आज रात अनिकेत ने जैसे ही कहा, "तुम अब बूढ़ी हो चुकी हो, अब तुम में पहले वाली बात नहीं", शर्मसार रमा अंदर ही अंदर टूट गयी।
सही कह रहे हो। गलती मेरी है और मैं ही सुधार करूँगी। क्योंकि उसने वही कहा और किया जो उसने अभी तक देखा और महसूस किया।
पूरे नौ महीने नेहा से घर के सारे काम कराए गए। ये कहकर की घर के काम करने से सामान्य डिलीवरी होगी वरना आपरेशन करना होगा।
बहु जो होना था हो गया। ये सब तो भगवान की मर्जी होती है। लगता है कि समधन जी के कर्मों की कमाई अच्छी नहीं थी जो पति और बेटा दोनो चले गए।
तेरा दर्द मैं समझ सकती हूं लेकिन तुझे ही गाली देंगे। तेरे ही चरित्र पर उंगलियां उठाई जायेंगी। तू ये केस वापिस ले ले वरना...
हर रोज नमन ऑफिस जाने से पहले कितनी क्या व्यंजन बनेंगे, नमिता को बता के जाते। इतना ख्याल रखने वाला पति पाकर नमिता बहुत ख़ुश थी।
रवि मुझे समझ नहीं आ रहा कि सब काम का इतना टेंशन क्यों ले रहे हैं? जबकि मिठाई से लेकर सजावट के समान तक सब कुछ बाजार में मिल जाते हैं।
उनके जाने के बाद निशा ने कहा, "माँ क्या जरूरत थी उनको मिठाई और चांदी के सिक्के देने की? वो कौन सा उपहार लेकर आये थे।"
अरे! बहु तुम्हे क्या पता सास क्या होती है। वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो मुझ जैसी सीधी सास मिली वरना तो लोग बहु के...
माँ सच कहती थी कि मायका सिर्फ माँ से नहीं होता। रिश्ते को अगर प्यार से निभाया जाए तो भाई भाभी से भी मायका होता है।
अब बस हमे अपनी बेटियों को इतना मजबूत बनाना चाहिए कि ऐसे लोगों का डट के सामना कर सके और निसंकोच अपने परिवार को बता सके...
मामा और दादी का जन्मदिन तो एक ही तारीख और महीने में पड़ता है। और हम यहाँ आ जाते है, दादी का जन्मदिन नहीं मनाते।
इन बातों का असर कहीं ना कहीं सरिता के दिमाग पर भी था। शादी कर के ससुराल आयी, तो अंकिता को देखते उसकी हँसी ही गायब हो जाती।
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