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पीएचडी, रिसर्च स्कॉलर, स्त्री अध्ययन विभाग महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) मो. 8421966265
एक बार तुम बुलंद तो करो अपने हक़-अधिकार और मान-सम्मान के खातिर अपनी आवाज...क्यूंकि अब अकेली नहीं हो तुम...अब अकेली नहीं हो तुम!
कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशें बनाई गयीं...जैसे-जैसे औरतों की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों से उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है...!
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