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लघु कथा ,कविताएं व सामाजिक मुद्दों पर लेख लिखने का शौक, समाचार पत्र व पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई रचनाएं, महिला संघ की पत्रिकाओं मेंं संपादिका का कार्यभार संभाला,अनेक नाटकों का संपादन व निर्देशन किया, कुशल मंच संचालिका व गायन में विशेष रुचि
जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं। कभी किसी को निर्धनता मार देती है कभी बिमारी और कभी विकलांगता। समाज की विकलांग लोगो के लिए दयाभाव नहीं प्रेम रखना चाहिए और उनके जीवन को खुशिओं से भर देना चाहिए।
यदि पता होता कि बड़े होकर ये सब झेलना पड़ेगा तो हम बड़े होते ही क्यों? पर अब जब बड़े हो ही गए हैं तो क्यों न ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा कुछ यूं समझ लें
आइये कहें, 'आधुनिक नारी हूँ मैं! मैं द्रौपदी नहीं कि पति की दुर्बलता पर चीर हरण का शिकार बनूँ, मैं मजबूर माँ नहीं कि कन्या के जन्म पर सिर झुकाऊँ!'
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